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ऊँचनीच का स्वरूप दिया, एक वर्ग को उच्च और दूसरे वर्ग को नीच बताकर उच्च वर्ग को अत्याचारी और नीच वर्ग को
 
ऊँचनीच का स्वरूप दिया, एक वर्ग को उच्च और दूसरे वर्ग को नीच बताकर उच्च वर्ग को अत्याचारी और नीच वर्ग को
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शोषित और पीडित बताकर पीडित वर्ग की सेवा के नाम पर इसाईकरण के प्रयास शुरू किये । उनका तीसरा उद्देश्य था
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शोषित और पीडित बताकर पीडित वर्ग की सेवा के नाम पर इसाईकरण के प्रयास आरम्भ किये । उनका तीसरा उद्देश्य था
    
भारत का यूरोपीकरण करना । उनके पहले उद्देश्य को स्थायी स्वरूप देने में भारत का यूरोपीकरण बडा कारगर उपाय था ।
 
भारत का यूरोपीकरण करना । उनके पहले उद्देश्य को स्थायी स्वरूप देने में भारत का यूरोपीकरण बडा कारगर उपाय था ।
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यशस्वी हुई कि आज हम जानते तक नहीं है कि हम यूरोपीय शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं और यूरोपीय सोच से जी रहे हैं ।
 
यशस्वी हुई कि आज हम जानते तक नहीं है कि हम यूरोपीय शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं और यूरोपीय सोच से जी रहे हैं ।
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भारत को अभारत बनाने की प्रक्रिया दो सौ वर्ष पूर्व शुरू हुई और आज भी चल रही है । हम निरन्तर उल्टी दिशा में जा
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भारत को अभारत बनाने की प्रक्रिया दो सौ वर्ष पूर्व आरम्भ हुई और आज भी चल रही है । हम निरन्तर उल्टी दिशा में जा
    
रहे हैं और उसे विकास कह रहे हैं । अब प्रथम आवश्यकता दिशा बदलने की है । दिशा बदले बिना तो कोई भी प्रयास
 
रहे हैं और उसे विकास कह रहे हैं । अब प्रथम आवश्यकता दिशा बदलने की है । दिशा बदले बिना तो कोई भी प्रयास
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नहीं होने लगती है, उसकी योजना करनी होती है । किसी
 
नहीं होने लगती है, उसकी योजना करनी होती है । किसी
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भी प्रकार से शुरू हो भी गई हो तो भी समय के साथ
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भी प्रकार से आरम्भ हो भी गई हो तो भी समय के साथ
    
अनुभव और बुद्धिपूर्वक विचार से वह परिष्कृत होती है
 
अनुभव और बुद्धिपूर्वक विचार से वह परिष्कृत होती है
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आचार्य ज्ञाननिधि इस प्रकार के प्रश्नों की अपेक्षा कर
 
आचार्य ज्ञाननिधि इस प्रकार के प्रश्नों की अपेक्षा कर
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ही रहे थे । उन्होंने अपना निरूपण शुरू किया...
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ही रहे थे । उन्होंने अपना निरूपण आरम्भ किया...
    
आपके प्रश्न में ही कदाचित उत्तर भी है । समस्या
 
आपके प्रश्न में ही कदाचित उत्तर भी है । समस्या
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धार्मिकों के मानस और विचार बदले । बदले हुए विचार और
 
धार्मिकों के मानस और विचार बदले । बदले हुए विचार और
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मानस ने व्यवस्थायें भी बदलना शुरू किया । परिवर्तन की यह
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मानस ने व्यवस्थायें भी बदलना आरम्भ किया । परिवर्तन की यह
    
प्रक्रिया अभी भी जारी है । अभी पूर्ण परिवर्तन नहीं हुआ है ।
 
प्रक्रिया अभी भी जारी है । अभी पूर्ण परिवर्तन नहीं हुआ है ।
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की योजना बननी ही चाहिये |
 
की योजना बननी ही चाहिये |
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प्रात:काल ठीक साड़े आठ बजे सभा शुरू हुई ।
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प्रात:काल ठीक साड़े आठ बजे सभा आरम्भ हुई ।
    
कुलपति आचार्य ज्ञाननिधि की अध्यक्षता में यह सभा होने
 
कुलपति आचार्य ज्ञाननिधि की अध्यक्षता में यह सभा होने
Line 3,011: Line 3,011:  
का प्रचलन हुआ । आज अविकसित के स्थान पर
 
का प्रचलन हुआ । आज अविकसित के स्थान पर
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विकासशील देश कहना शुरू हुआ है । परन्तु शब्द
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विकासशील देश कहना आरम्भ हुआ है । परन्तु शब्द
    
............. page-32 .............
 
............. page-32 .............
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उन्होंने अध्यक्ष महोदय और सभा का अभिवादन कर आधुनिक विश्व की यह विकास यात्रा उन्नीसवीं
 
उन्होंने अध्यक्ष महोदय और सभा का अभिवादन कर आधुनिक विश्व की यह विकास यात्रा उन्नीसवीं
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अपनी बात शुरू की ... शताब्दी में यूरोप में शुरू हुई । टेलीफोन और स्टीम इंजिन
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अपनी बात आरम्भ की ... शताब्दी में यूरोप में आरम्भ हुई । टेलीफोन और स्टीम इंजिन
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आज कुल मिलाकर विश्व ने बहुत विकास किया है ।.. की खोज से शुरू हुई । यह विकासयात्रा आज तक अविरत
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आज कुल मिलाकर विश्व ने बहुत विकास किया है ।.. की खोज से आरम्भ हुई । यह विकासयात्रा आज तक अविरत
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यह विकास ज्ञान के क्षेत्र का है । ज्ञानात्मक विकास का... शुरू है । दिनोंदिन नये कीर्तिमान स्थापित हो रहे हैं । यहाँ
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यह विकास ज्ञान के क्षेत्र का है । ज्ञानात्मक विकास का... आरम्भ है । दिनोंदिन नये कीर्तिमान स्थापित हो रहे हैं । यहाँ
    
मुख्य पहलू विज्ञान के विकास का है । मनुष्य ने अपनी . तक कि अब स्टीफन होकिन्‍्स ने गॉड पार्टिकल की भी
 
मुख्य पहलू विज्ञान के विकास का है । मनुष्य ने अपनी . तक कि अब स्टीफन होकिन्‍्स ने गॉड पार्टिकल की भी
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दूसरे दिन सूर्योदय के समय यज्ञ हुआ । ठीक साड़े
 
दूसरे दिन सूर्योदय के समय यज्ञ हुआ । ठीक साड़े
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आठ बजे सभा शुरू हुई । आचार्य ज्ञाननिधि ने अपना
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आठ बजे सभा आरम्भ हुई । आचार्य ज्ञाननिधि ने अपना
    
स्थान ग्रहण किया । कल की तरह ही संगठन मन्त्र का गान
 
स्थान ग्रहण किया । कल की तरह ही संगठन मन्त्र का गान
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नैमिषारण्य के ऋषियों का स्मरण कर उन्होंने अपनी . है। इस धर्म का पालन सबको सर्वत्र, सर्वदा करना ही
 
नैमिषारण्य के ऋषियों का स्मरण कर उन्होंने अपनी . है। इस धर्म का पालन सबको सर्वत्र, सर्वदा करना ही
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प्रस्तुति शुरू की । वे कहने लगे ... होता है । भिन्न भिन्न संदर्भों में धर्म कभी कर्तव्य बन जाता
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प्रस्तुति आरम्भ की । वे कहने लगे ... होता है । भिन्न भिन्न संदर्भों में धर्म कभी कर्तव्य बन जाता
    
धर्ममय जीवन जीने वाला व्यक्ति या समाज ही... है तो कभी स्वभाव, कभी नीतिमत्ता बन जाता है तो कभी
 
धर्ममय जीवन जीने वाला व्यक्ति या समाज ही... है तो कभी स्वभाव, कभी नीतिमत्ता बन जाता है तो कभी

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