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=== संचार माध्यम का प्रभाव ===
 
=== संचार माध्यम का प्रभाव ===
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६२. जनमानस को अत्यन्त प्रभावी ढंग से उद्देलित करने वाला एक कारक है मीडिया । समाचार पत्रों तथा टीवी की समाचार वाहिनियों ने बाजार का हिस्सा बनकर ऐसा कहर ढाना शुरू किया है कि प्रजा की स्वयं विचार करने की, स्वयं आकलन करने की शक्ति ही क्षीण हो गई है । अपने ही समाज का, सरकार का, देश का, शिक्षा का, अर्थव्यवस्था का अत्यन्त नकारात्मक चित्र इन समाचार माध्यमों में प्रस्तुत किया जाता है और मानस को आतंकित करता है । अखबारों के सभी पन्नों पर टीवी समाचारों के सभी अंशों में दुर्घटनायें, गुंडागर्दी, मारकाट, बलात्कार, आगजनी, आतंक, प्रदर्शन कारियों के विरोध प्रदर्शन, पुलीस का अत्याचार दिखाया जाता है । चित्र ऐसा उभरता है जैसे इस देश में दया, करुणा, प्रामाणिकता, उदारता, सुरक्षा, शान्ति जैसा कुछ है ही नहीं । शिक्षा धन, सद्गुणआदि का अभाव ही है। क्रिकेट और फिल्मों के समाचारों की भरमार है, शेरबाजार की प्रतिष्ठा है परन्तु प्रेरणादायक घटनाओं का सर्वथा अभाव है । ऐसे में प्रजा अपने आपको दीनहीन असुरक्षित माने इस में कया आश्चर्य है ?
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६२. जनमानस को अत्यन्त प्रभावी ढंग से उद्देलित करने वाला एक कारक है मीडिया । समाचार पत्रों तथा टीवी की समाचार वाहिनियों ने बाजार का हिस्सा बनकर ऐसा कहर ढाना आरम्भ किया है कि प्रजा की स्वयं विचार करने की, स्वयं आकलन करने की शक्ति ही क्षीण हो गई है । अपने ही समाज का, सरकार का, देश का, शिक्षा का, अर्थव्यवस्था का अत्यन्त नकारात्मक चित्र इन समाचार माध्यमों में प्रस्तुत किया जाता है और मानस को आतंकित करता है । अखबारों के सभी पन्नों पर टीवी समाचारों के सभी अंशों में दुर्घटनायें, गुंडागर्दी, मारकाट, बलात्कार, आगजनी, आतंक, प्रदर्शन कारियों के विरोध प्रदर्शन, पुलीस का अत्याचार दिखाया जाता है । चित्र ऐसा उभरता है जैसे इस देश में दया, करुणा, प्रामाणिकता, उदारता, सुरक्षा, शान्ति जैसा कुछ है ही नहीं । शिक्षा धन, सद्गुणआदि का अभाव ही है। क्रिकेट और फिल्मों के समाचारों की भरमार है, शेरबाजार की प्रतिष्ठा है परन्तु प्रेरणादायक घटनाओं का सर्वथा अभाव है । ऐसे में प्रजा अपने आपको दीनहीन असुरक्षित माने इस में कया आश्चर्य है ?
    
६३. संचार माध्यमों का सही ढंग से मार्गदर्शन करने का काम विश्वविद्यालयों के मनोविज्ञान विभाग का है । अभी तो सारे माध्यम बाजार के हि हिस्से बने हुए हैं और अपनी कमाई का ही विचार करते हैं । परन्तु जनमानस प्रबोधन करना उनका प्रथम कर्तव्य है । इस कर्तव्य की घोर उपेक्षा हो रही है ।
 
६३. संचार माध्यमों का सही ढंग से मार्गदर्शन करने का काम विश्वविद्यालयों के मनोविज्ञान विभाग का है । अभी तो सारे माध्यम बाजार के हि हिस्से बने हुए हैं और अपनी कमाई का ही विचार करते हैं । परन्तु जनमानस प्रबोधन करना उनका प्रथम कर्तव्य है । इस कर्तव्य की घोर उपेक्षा हो रही है ।
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६९. युवाओं का व्यायामशाला में जाना बढना चाहिये, दण्ड बैठक, कुस्ती, मलखम्भ और सूर्यनमस्कार से जो शक्ति आती है उससे दुर्बल विचार भाग जाते हैं । पथ्थर भी पचाने की शक्ति आती है ।
 
६९. युवाओं का व्यायामशाला में जाना बढना चाहिये, दण्ड बैठक, कुस्ती, मलखम्भ और सूर्यनमस्कार से जो शक्ति आती है उससे दुर्बल विचार भाग जाते हैं । पथ्थर भी पचाने की शक्ति आती है ।
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७०. युवायों को मोटर साईकिल का त्याग कर चलना, दौडना और साइकिल चलाना शुरू करना चाहिये । इससे स्फूर्ति, चापल्य और साहस बढ़ता है ।
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७०. युवायों को मोटर साईकिल का त्याग कर चलना, दौडना और साइकिल चलाना आरम्भ करना चाहिये । इससे स्फूर्ति, चापल्य और साहस बढ़ता है ।
    
७१. भारत के गीत, भारत के प्रेरणादायक चरित्रों के गीत गाना चाहिये । गीत सुनने का नहीं, गाने का विषय है । ऐसे गीतों से गौरव का भाव जाग्रत होता है । ऐसे गीतों के माध्यम से भारत का गौरवमय चरित्र सामने आता है ।
 
७१. भारत के गीत, भारत के प्रेरणादायक चरित्रों के गीत गाना चाहिये । गीत सुनने का नहीं, गाने का विषय है । ऐसे गीतों से गौरव का भाव जाग्रत होता है । ऐसे गीतों के माध्यम से भारत का गौरवमय चरित्र सामने आता है ।

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