Changes

Jump to navigation Jump to search
m
Text replacement - "बीच" to "मध्य"
Line 7: Line 7:  
व्यक्ति के लिये भी शिक्षा केवल अर्थार्जन के लिये नहीं होती। वह होती है शरीर और मन को सुदृढ़ और स्वस्थ बनाते हुए विवेक जाग्रत करने हेतु, जो अन्ततोगत्वा अनुभूति की सम्भावनायें बनाता है । कहाँ तो आज का व्यक्तिकेन्द्री विचार और कहाँ भारत का परमेष्ठी विचार।
 
व्यक्ति के लिये भी शिक्षा केवल अर्थार्जन के लिये नहीं होती। वह होती है शरीर और मन को सुदृढ़ और स्वस्थ बनाते हुए विवेक जाग्रत करने हेतु, जो अन्ततोगत्वा अनुभूति की सम्भावनायें बनाता है । कहाँ तो आज का व्यक्तिकेन्द्री विचार और कहाँ भारत का परमेष्ठी विचार।
   −
दो छोर हैं, दो अन्तिम हैं । इन दो अन्तिमों के बीच का अन्तर पाटने हेतु हमें शिक्षा के उद्देश्यों को पुनर्व्यख्यायित करना होगा ।
+
दो छोर हैं, दो अन्तिम हैं । इन दो अन्तिमों के मध्य का अन्तर पाटने हेतु हमें शिक्षा के उद्देश्यों को पुनर्व्यख्यायित करना होगा ।
    
इस पर्व में शिक्षा के उद्देश्यों का ही विचार किया गया है जिसकी पूर्ति के लिये समस्त शिक्षा व्यापार चलता है । यह एक सार्वत्रिक नियम है कि एक बार उद्देश्य निश्चित हो जाय तो शेष कार्य भी निश्चित और सुकर हो जाता है ।
 
इस पर्व में शिक्षा के उद्देश्यों का ही विचार किया गया है जिसकी पूर्ति के लिये समस्त शिक्षा व्यापार चलता है । यह एक सार्वत्रिक नियम है कि एक बार उद्देश्य निश्चित हो जाय तो शेष कार्य भी निश्चित और सुकर हो जाता है ।

Navigation menu