# हर गाँव में विभिन्न जातियों में व्यवसाय बँटे हुए थे। उन को उस व्यवसाय में पीढियों से काम करने के कारण महारत प्राप्त थी। गाँव की हर आवश्यकता की पूर्ति हो ऐसी व्यवस्था की जाती थी। गाँव में किसी विशेष परिस्थिति का सामना करने के लिये किसी व्यक्तिपर, परिवार पर या जाति पर, उस की योग्यता समझकर कोई जिम्मेदारी दी जाती थी तो वह अपनी पूरी क्षमता के साथ उसे पूरा करते थे। ऐसी जिम्मेदारी स्वीकार कर वे गौरव अनुभव करते थे। | # हर गाँव में विभिन्न जातियों में व्यवसाय बँटे हुए थे। उन को उस व्यवसाय में पीढियों से काम करने के कारण महारत प्राप्त थी। गाँव की हर आवश्यकता की पूर्ति हो ऐसी व्यवस्था की जाती थी। गाँव में किसी विशेष परिस्थिति का सामना करने के लिये किसी व्यक्तिपर, परिवार पर या जाति पर, उस की योग्यता समझकर कोई जिम्मेदारी दी जाती थी तो वह अपनी पूरी क्षमता के साथ उसे पूरा करते थे। ऐसी जिम्मेदारी स्वीकार कर वे गौरव अनुभव करते थे। |