− | आबालवृद्ध सब खा सकते हैं। मेहमान को भी परोस सकते हैं, किसी भी समय पर किसी भी ऋतु में किसी भी अवसर पर नाश्ते अथवा भोजन में भी खाया जाता है। किसी भी पदार्थ के साथ खाया जाता है, जो सादा भी होता है, पानी के स्थान पर दूध मिलाकर भी हो सकता है, उसमें बदाम-केसर-पिस्ता चारोली इलायची जैसा सूखा मेवा भी डाल सकते हैं। और सत्यनारायण का प्रसाद भी बन सके ऐसा यह अदभुत पदार्थ बनाने में सरल, झटपट, स्वाद में रुचिकर और पाचन में भी लघु और पौष्टिक है। | + | आबालवृद्ध सब खा सकते हैं। अतिथि को भी परोस सकते हैं, किसी भी समय पर किसी भी ऋतु में किसी भी अवसर पर नाश्ते अथवा भोजन में भी खाया जाता है। किसी भी पदार्थ के साथ खाया जाता है, जो सादा भी होता है, पानी के स्थान पर दूध मिलाकर भी हो सकता है, उसमें बदाम-केसर-पिस्ता चारोली इलायची जैसा सूखा मेवा भी डाल सकते हैं। और सत्यनारायण का प्रसाद भी बन सके ऐसा यह अदभुत पदार्थ बनाने में सरल, झटपट, स्वाद में रुचिकर और पाचन में भी लघु और पौष्टिक है। |
− | बेसन के आटे का घोल बनाते हैं। आलू, केला, बेंगन, मिर्ची, प्याज ऐसी कई सब्जियों से पतले टुकडे कर उन्हें घोल में डूबोकर तलने से पकोडे तैयार होते हैं। इसका पोषणमूल्य कम है पर खाने में अतिशय स्वादिष्ट है। बनाने में सरल, अल्पाहार एवं भोजन दोनो में चलते हैं। मेहमानदारी भी की जा सकती है। गृहिणी कुशल है तो सोडा जैसी कोई चीज डाले बिना भी पकोडे खस्ता हो सकते हैं। | + | बेसन के आटे का घोल बनाते हैं। आलू, केला, बेंगन, मिर्ची, प्याज ऐसी कई सब्जियों से पतले टुकडे कर उन्हें घोल में डूबोकर तलने से पकोडे तैयार होते हैं। इसका पोषणमूल्य कम है पर खाने में अतिशय स्वादिष्ट है। बनाने में सरल, अल्पाहार एवं भोजन दोनो में चलते हैं। अतिथिदारी भी की जा सकती है। गृहिणी कुशल है तो सोडा जैसी कोई चीज डाले बिना भी पकोडे खस्ता हो सकते हैं। |