आचार्य जी को बैठक में बैठने के बाद उस व्यक्ति ने आचार्य जी से पूछा की अगर आपको दीपक जलाना ही था तो अपने दीपाक बुझाया क्यों ? आचार्य चाणक्य जी ने उत्तर दिया की आप लोग जब आये तो मै राज्य का कार्य कर रहा था उस दीपक में राज्यकोश का तेल था परन्तु आपका कार्य निजी है इसलिए निजी कार्य के लिए मेरे स्वयं के धन से लाये हुआ दीपक का उपयोग कर रहा हूँ। आचार्य चाणक्य जी की बात को सुनकर सभी मेहमान एकदम प्रफुल्लित एवं गर्व महसूस कर रहे थे । | आचार्य जी को बैठक में बैठने के बाद उस व्यक्ति ने आचार्य जी से पूछा की अगर आपको दीपक जलाना ही था तो अपने दीपाक बुझाया क्यों ? आचार्य चाणक्य जी ने उत्तर दिया की आप लोग जब आये तो मै राज्य का कार्य कर रहा था उस दीपक में राज्यकोश का तेल था परन्तु आपका कार्य निजी है इसलिए निजी कार्य के लिए मेरे स्वयं के धन से लाये हुआ दीपक का उपयोग कर रहा हूँ। आचार्य चाणक्य जी की बात को सुनकर सभी मेहमान एकदम प्रफुल्लित एवं गर्व महसूस कर रहे थे । |