एक दिन महाराज कृष्णदेवराय उदास अपने आसन पर बैठे थे तभी वहां तेनालीरामा आए उन्होंने महाराज को उदास देखकर पूछा महाराज आप उदास क्यों है? क्या कोई चिंता का विषय है मुझे बताइए मैं उसका समाधान करने का प्रयास करता हूँ । महाराज ने अपनी उदासी का पूरा वृतांत तेनालीरामा को सुनाया कि मेरी प्रिय मुद्रिका मील नही रही है । मैंंने मुद्रिका ढूढ़ने का पूरा प्रयास किया ,मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा है मेरी मुद्रिका चोरी हो गई है । तेनालीरामा ने महाराज से पूछा <nowiki>''</nowiki>महाराज आप को किसी पर संदेह है जो आपकी की मुद्रिका चोरी कर सकता है । | एक दिन महाराज कृष्णदेवराय उदास अपने आसन पर बैठे थे तभी वहां तेनालीरामा आए उन्होंने महाराज को उदास देखकर पूछा महाराज आप उदास क्यों है? क्या कोई चिंता का विषय है मुझे बताइए मैं उसका समाधान करने का प्रयास करता हूँ । महाराज ने अपनी उदासी का पूरा वृतांत तेनालीरामा को सुनाया कि मेरी प्रिय मुद्रिका मील नही रही है । मैंंने मुद्रिका ढूढ़ने का पूरा प्रयास किया ,मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा है मेरी मुद्रिका चोरी हो गई है । तेनालीरामा ने महाराज से पूछा <nowiki>''</nowiki>महाराज आप को किसी पर संदेह है जो आपकी की मुद्रिका चोरी कर सकता है । |