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साधु ब्राह्मण को वरदान में एक जिन्न देते हैं और कहते है की जिन्न को हमेशा काम में व्यस्त रखना, अगर उसे काम नहीं दिया, तो वो तुम्हें खा जाएगा। वरदान पाकर ब्राह्मण मन ही मन बहुत प्रसन्न  हुआ और साधु को आदर के साथ विदा किया। साधु के जाते ही वहां एक जिन्न प्रकट हुआ। पहले तो ब्राह्मण उसे देखकर डर जाता है, लेकिन जैसे ही वो ब्राह्मण से काम मांगता है, तब ब्राह्मण का डर दूर हो जाता है और वो उसे पहला काम खेत जोतने का देता है।
 
साधु ब्राह्मण को वरदान में एक जिन्न देते हैं और कहते है की जिन्न को हमेशा काम में व्यस्त रखना, अगर उसे काम नहीं दिया, तो वो तुम्हें खा जाएगा। वरदान पाकर ब्राह्मण मन ही मन बहुत प्रसन्न  हुआ और साधु को आदर के साथ विदा किया। साधु के जाते ही वहां एक जिन्न प्रकट हुआ। पहले तो ब्राह्मण उसे देखकर डर जाता है, लेकिन जैसे ही वो ब्राह्मण से काम मांगता है, तब ब्राह्मण का डर दूर हो जाता है और वो उसे पहला काम खेत जोतने का देता है।
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जिन्न वहां से गायब हो जाता है और ब्राह्मण की खुशी का ठिकाना नहीं रहता। कुछ ही देर में जिन्न फिर आ जाता है और बोलता है कि खेत जोत दिया, दूसरा काम दीजिए। ब्राह्मण सोचता है कि इतना बड़ा खेत इसने इतनी जल्दी कैसे जोत दिया। ब्राह्मण इतना सोच ही रहा था कि जिन्न बोलता है कि जल्दी मुझे काम बताओ नहीं तो मैं आपको खा जाऊंगा।
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जिन्न वहां से गायब हो जाता है और ब्राह्मण की खुशी का ठिकाना नहीं रहता। कुछ ही देर में जिन्न फिर आ जाता है और बोलता है कि खेत जोत दिया, दूसरा काम दीजिए। ब्राह्मण सोचता है कि इतना बड़ा खेत इसने इतनी जल्दी कैसे जोत दिया। ब्राह्मण इतना सोच ही रहा था कि जिन्न बोलता है कि जल्दी मुझे काम बताओ नहीं तो मैंं आपको खा जाऊंगा।
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ब्राह्मण डर जाता है और बोलता है कि जाकर खेतों में सिंचाई करो। जिन्न फिर वहां से गायब हो जाता है और थोड़ी ही देर में फिर आ जाता है। जिन्न आकर बोलता है कि खेतों की सिंचाई हो गई, अब अगला काम बताइए। ब्राह्मण एक-एक कर सभी काम बताता जाता है और जिन्न उसे चुटकियों में पूरा कर देता है। ब्राह्मण की पत्नी यह सब देख रही थी और अपने पति के आलसीपन पर चिंता करने लगी। शाम होने के पहले ही जिन्न सभी काम कर देता था। सब काम करने के बाद जिन्न ब्राह्मण के पास आ जाता और बोलता कि अगला काम बताइए, नहीं तो मैं आपको खा जाऊंगा।
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ब्राह्मण डर जाता है और बोलता है कि जाकर खेतों में सिंचाई करो। जिन्न फिर वहां से गायब हो जाता है और थोड़ी ही देर में फिर आ जाता है। जिन्न आकर बोलता है कि खेतों की सिंचाई हो गई, अब अगला काम बताइए। ब्राह्मण एक-एक कर सभी काम बताता जाता है और जिन्न उसे चुटकियों में पूरा कर देता है। ब्राह्मण की पत्नी यह सब देख रही थी और अपने पति के आलसीपन पर चिंता करने लगी। शाम होने के पहले ही जिन्न सभी काम कर देता था। सब काम करने के बाद जिन्न ब्राह्मण के पास आ जाता और बोलता कि अगला काम बताइए, नहीं तो मैंं आपको खा जाऊंगा।
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अब ब्राह्मण के पास कोई भी काम नहीं बचा, जो उसे करने के लिए कह सके। उसे चिंता होने लगी है और वह बहुत डर जाता है। जब ब्राह्मण की पत्नी अपने पति को डरा हुआ देखती है, तो अपने पति को इस संकट से निकालने के बारे में सोचने लगती है। वह ब्राह्मण से बोलती है कि स्वामी अगर आप मुझे वचन देंगे कि आप कभी आलस नहीं करेंगे और अपने सभी काम खुद करेंगे, तो मैं इस जिन्न को काम दे सकती हूं।
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अब ब्राह्मण के पास कोई भी काम नहीं बचा, जो उसे करने के लिए कह सके। उसे चिंता होने लगी है और वह बहुत डर जाता है। जब ब्राह्मण की पत्नी अपने पति को डरा हुआ देखती है, तो अपने पति को इस संकट से निकालने के बारे में सोचने लगती है। वह ब्राह्मण से बोलती है कि स्वामी अगर आप मुझे वचन देंगे कि आप कभी आलस नहीं करेंगे और अपने सभी काम खुद करेंगे, तो मैंं इस जिन्न को काम दे सकती हूं।
    
इस पर ब्राह्मण सोचता है कि पता नहीं यह क्या काम देगी। अपनी जान बचाने के लिए ब्राह्मण अपनी पत्नी को वचन दे देता है। इसके बाद ब्राह्मण की पत्नी जिन्न से बोलती है कि हमारे यहां एक कुत्ता है। तुम जाकर उसकी पूंछ पूरी सीधी कर दो। याद रखना उसकी पूंछ एकदम सीधी होनी चाहिए। जिन्न बोलता है कि अभी यह काम कर देता हूं। यह बोलकर वह वहां से चला जाता है। लाख कोशिश के बाद भी वह कुत्ते की पूंछ सीधी नहीं कर पाता और हार मान लेता है। हारकर जिन्न ब्राह्मण के यहां से चला जाता है। उस दिन के बाद से ब्राह्मण अपने आलस को छोड़कर सभी काम करने लगता है और उसका परिवार खुशी-खुशी रहने लगता है।
 
इस पर ब्राह्मण सोचता है कि पता नहीं यह क्या काम देगी। अपनी जान बचाने के लिए ब्राह्मण अपनी पत्नी को वचन दे देता है। इसके बाद ब्राह्मण की पत्नी जिन्न से बोलती है कि हमारे यहां एक कुत्ता है। तुम जाकर उसकी पूंछ पूरी सीधी कर दो। याद रखना उसकी पूंछ एकदम सीधी होनी चाहिए। जिन्न बोलता है कि अभी यह काम कर देता हूं। यह बोलकर वह वहां से चला जाता है। लाख कोशिश के बाद भी वह कुत्ते की पूंछ सीधी नहीं कर पाता और हार मान लेता है। हारकर जिन्न ब्राह्मण के यहां से चला जाता है। उस दिन के बाद से ब्राह्मण अपने आलस को छोड़कर सभी काम करने लगता है और उसका परिवार खुशी-खुशी रहने लगता है।

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