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एकबार सम्राट चन्द्रगुप्त जी और आचार्य चाणक्य के कुछ चर्चा चल रही थी, तभी अचानक सम्राट चन्द्रगुप्त ने चाणक्य जी से कहा," काश आप खूबसूरत होते" ? आचार्य चाणक्य यह बात सुनकर सम्राट से कहा "राजन मनुष्य की पहचान उसके बाह्य रंग रूप से होती है या उसके आतंरिक गुणों से होती है?
 
एकबार सम्राट चन्द्रगुप्त जी और आचार्य चाणक्य के कुछ चर्चा चल रही थी, तभी अचानक सम्राट चन्द्रगुप्त ने चाणक्य जी से कहा," काश आप खूबसूरत होते" ? आचार्य चाणक्य यह बात सुनकर सम्राट से कहा "राजन मनुष्य की पहचान उसके बाह्य रंग रूप से होती है या उसके आतंरिक गुणों से होती है?
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आचार्य के प्रश्नों को सुनकर सम्राट चंद्रगुप्त ने आचार्य से कहा आचार्य क्या आप इस बात को प्रमाणिक कर सकते हैं कि रूप के सामने गुण का महत्व अधिक होता है । रूपवान से अधिक गुणवान व्यक्ति उपयोगी होता है। आचार्य चाणक्य ने कहा जी मै इसे प्रमाणित कर सकता हूँ।
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आचार्य के प्रश्नों को सुनकर सम्राट चंद्रगुप्त ने आचार्य से कहा आचार्य क्या आप इस बात को प्रमाणिक कर सकते हैं कि रूप के सामने गुण का महत्व अधिक होता है । रूपवान से अधिक गुणवान व्यक्ति उपयोगी होता है। आचार्य चाणक्य ने कहा जी मैं इसे प्रमाणित कर सकता हूँ।
    
आचार्य जी ने महारानी जी से जाकर कुछ कहा और सम्राट से आग्रह किया कि महाराज आप दो गिलास पानी पी लिजिये। सम्राट ने दोनों गिलास पानी पी लिया अब आचार्य ने सम्राट से पूछा की आपको किस गिलास का पानी अच्छा लगा और आपकी तृप्ति हुई। सम्राट ने उत्तर दिया जी पहले गिलास की अपेक्षा दूसरे गिलास का पानी बढिया था और पीने से तृप्ति भी हो गई।
 
आचार्य जी ने महारानी जी से जाकर कुछ कहा और सम्राट से आग्रह किया कि महाराज आप दो गिलास पानी पी लिजिये। सम्राट ने दोनों गिलास पानी पी लिया अब आचार्य ने सम्राट से पूछा की आपको किस गिलास का पानी अच्छा लगा और आपकी तृप्ति हुई। सम्राट ने उत्तर दिया जी पहले गिलास की अपेक्षा दूसरे गिलास का पानी बढिया था और पीने से तृप्ति भी हो गई।

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