Changes

Jump to navigation Jump to search
m
Text replacement - "चाटुकार" to "चाटूकार"
Line 1: Line 1:  
महाराज कृष्णदेवराय एक दिन तेनालीरामा से बहुत ही अधिक नाराज थे । महाराज इतने अधिक नाराज थे कि उन्होंने सभी मंत्री गण एवं सभाियों के समक्ष तेनालीरामा को डांटते हुए कहा कि सभा से बाहर निकल जाइये; कल से मैं आपका चेहरा नहीं देखना चाहता । तेनालीरामा सभा से बाहर चले गए।
 
महाराज कृष्णदेवराय एक दिन तेनालीरामा से बहुत ही अधिक नाराज थे । महाराज इतने अधिक नाराज थे कि उन्होंने सभी मंत्री गण एवं सभाियों के समक्ष तेनालीरामा को डांटते हुए कहा कि सभा से बाहर निकल जाइये; कल से मैं आपका चेहरा नहीं देखना चाहता । तेनालीरामा सभा से बाहर चले गए।
   −
दूसरे दिन जब महाराज सभा की तरफ आ रहे थे, तभी कुछ चाटुकार मार्ग में मिल गए और महाराज से कहने लगे कि "महाराज आपने तेनाली रामा को ज्यादा सर पर चढ़ा रखा है, वह किसी की आज्ञा ही नहीं सुनता है। आपकी आज्ञा का भी पालन उसने नहीं किया ।" महाराज ने पूछा "मेरी कौन सी आज्ञा का पालन नही किया?" चाटुकारों ने उत्तर दिया - "महाराज आपने तेनालीरामा को सभा में आने से मना किया था परन्तु वह आपकी आज्ञा का उलंघन करते हुए सभा में आसन जमाकर बैठा  हुआ है । आपका तो वह आदर भीं नहीं कर रहा है ।"
+
दूसरे दिन जब महाराज सभा की तरफ आ रहे थे, तभी कुछ चाटूकार मार्ग में मिल गए और महाराज से कहने लगे कि "महाराज आपने तेनाली रामा को ज्यादा सर पर चढ़ा रखा है, वह किसी की आज्ञा ही नहीं सुनता है। आपकी आज्ञा का भी पालन उसने नहीं किया ।" महाराज ने पूछा "मेरी कौन सी आज्ञा का पालन नही किया?" चाटूकारों ने उत्तर दिया - "महाराज आपने तेनालीरामा को सभा में आने से मना किया था परन्तु वह आपकी आज्ञा का उलंघन करते हुए सभा में आसन जमाकर बैठा  हुआ है । आपका तो वह आदर भीं नहीं कर रहा है ।"
    
महाराज और भी क्रोधित हो गए और सभा की ओर बढ़ चले। सभा में पहुंच कर उन्होंने देखा कि तेनालीरामा मिटटी के घड़े में अपना चेहरा छुपाया हुआ था और उस पर आंख और पत्तो से कान ओर बाल बनाये थे जैसे कोई जानवर का मुख हों । महाराज ने क्रोध भरे स्वर कहाँ "तेनालीरामा जी यह क्या मजाक कर रहे हैं? आप मेरा अपमान कर रहे है और आज्ञा का उल्लंघन कर रहे है । आप मृत्यु दण्ड के भागी है ।"
 
महाराज और भी क्रोधित हो गए और सभा की ओर बढ़ चले। सभा में पहुंच कर उन्होंने देखा कि तेनालीरामा मिटटी के घड़े में अपना चेहरा छुपाया हुआ था और उस पर आंख और पत्तो से कान ओर बाल बनाये थे जैसे कोई जानवर का मुख हों । महाराज ने क्रोध भरे स्वर कहाँ "तेनालीरामा जी यह क्या मजाक कर रहे हैं? आप मेरा अपमान कर रहे है और आज्ञा का उल्लंघन कर रहे है । आप मृत्यु दण्ड के भागी है ।"

Navigation menu