# नर और मादा तो सभी जीवों में होते ही है। उनमें आकर्षण भी स्वाभाविक ही है। मानवेतर किसी भी जीव-जाति के नर द्वारा उस जीव-जाति की मादा पर बलात्कार संभव नहीं है। उनकी शारीरिक रचना ही ऐसी बनी हुई है। शरीर रचना के अंतर के कारण केवल मानव जाति में नारी के ऊपर नर बलात्कार कर सकता है। इसलिए मानव जाति को सुखी, सौहार्दपूर्ण, सुसंस्कृत सहजीवन जीने के लिए संस्कारों की और शिक्षण प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। इसी हेतु से विवाह होते हैं। परिवारों की रचना स्त्री की सुरक्षा के लिए भी होती है। पिता, भाई और पति ये तीनों ही पारिवारिक रिश्ते ही तो हैं जिनसे स्त्री की रक्षा की अपेक्षा होती है। इसी दृष्टि से विद्यालयीन और लोक शिक्षा की व्यवस्था में भी मार्गदर्शन होना चाहिए। | # नर और मादा तो सभी जीवों में होते ही है। उनमें आकर्षण भी स्वाभाविक ही है। मानवेतर किसी भी जीव-जाति के नर द्वारा उस जीव-जाति की मादा पर बलात्कार संभव नहीं है। उनकी शारीरिक रचना ही ऐसी बनी हुई है। शरीर रचना के अंतर के कारण केवल मानव जाति में नारी के ऊपर नर बलात्कार कर सकता है। इसलिए मानव जाति को सुखी, सौहार्दपूर्ण, सुसंस्कृत सहजीवन जीने के लिए संस्कारों की और शिक्षण प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। इसी हेतु से विवाह होते हैं। परिवारों की रचना स्त्री की सुरक्षा के लिए भी होती है। पिता, भाई और पति ये तीनों ही पारिवारिक रिश्ते ही तो हैं जिनसे स्त्री की रक्षा की अपेक्षा होती है। इसी दृष्टि से विद्यालयीन और लोक शिक्षा की व्यवस्था में भी मार्गदर्शन होना चाहिए। |