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९. यह एक मनोवैज्ञानिक समस्या है । जबतक शासन की मान्यता नहीं तबतक कोई शिक्षित माना नहीं जाता, उसे सरकारी तो क्या निजी क्षेत्र में भी नौकरी नहीं मिलती । नौकरी के बिना अथार्जिन हो सकता है ऐसी कल्पना भी कम ही की जाती है ।
 
९. यह एक मनोवैज्ञानिक समस्या है । जबतक शासन की मान्यता नहीं तबतक कोई शिक्षित माना नहीं जाता, उसे सरकारी तो क्या निजी क्षेत्र में भी नौकरी नहीं मिलती । नौकरी के बिना अथार्जिन हो सकता है ऐसी कल्पना भी कम ही की जाती है ।
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१०. शासकीय मान्यता वाले विद्यालय में प्रवेश, शासकीय मान्यता वाले बोर्ड अथवा विश्वविद्यालय का प्रमाणपत्र, उस प्रमाणपत्र पर आधारित नौकरी और नौकरी ही अथर्जिन का मुख्य साधन ऐसा एक चक्र चला है । इस चक्र में शासन के द्वारा प्रमाणित नहीं है ऐसे किसी ज्ञान की प्रतिष्ठा होना लगभग असम्भव @ | असम्भव नहीं तो अत्यन्त कठिन तो अवश्य है।
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१०. शासकीय मान्यता वाले विद्यालय में प्रवेश, शासकीय मान्यता वाले बोर्ड अथवा विश्वविद्यालय का प्रमाणपत्र, उस प्रमाणपत्र पर आधारित नौकरी और नौकरी ही अर्थार्जन का मुख्य साधन ऐसा एक चक्र चला है । इस चक्र में शासन के द्वारा प्रमाणित नहीं है ऐसे किसी ज्ञान की प्रतिष्ठा होना लगभग असम्भव @ | असम्भव नहीं तो अत्यन्त कठिन तो अवश्य है।
    
=== ज्ञान की प्रतिष्ठा हेतु उपाय ===
 
=== ज्ञान की प्रतिष्ठा हेतु उपाय ===

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