मंदिर में विराजमान पार्वती माता चारो भाई की बातें सुन रही थी | चारो भाईयो ने तय किया की हम सब वन में अपनी विद्या का प्रयोग करेंगें | चारो भाई वन में पहुच गए | पहला भाई एक हडडी लेके आया और नेत्र बंद करके हडडी को छुआ उस छण वह हडडी को छुआ तो कंकाल बनी गई | दुसरे भाई ने हडडी के कंकाल को छुआ तो उस कंकाल में मास और रक्त भर गया | तो मालूम पड़ा की वो शेर का कंकाल है | तीसरे भाई ने कहा की अब मै इस शेर में जान डालूँगा | दुसरे भाई ने कहा की तुम इस शेर में जान मत डालो | तीसरे भाई ने कहा की तुम ने भी अपनी विद्या का प्रयोग किया | मै भी अपनी विद्या का प्रयोग क्यू ना करु ?| | मंदिर में विराजमान पार्वती माता चारो भाई की बातें सुन रही थी | चारो भाईयो ने तय किया की हम सब वन में अपनी विद्या का प्रयोग करेंगें | चारो भाई वन में पहुच गए | पहला भाई एक हडडी लेके आया और नेत्र बंद करके हडडी को छुआ उस छण वह हडडी को छुआ तो कंकाल बनी गई | दुसरे भाई ने हडडी के कंकाल को छुआ तो उस कंकाल में मास और रक्त भर गया | तो मालूम पड़ा की वो शेर का कंकाल है | तीसरे भाई ने कहा की अब मै इस शेर में जान डालूँगा | दुसरे भाई ने कहा की तुम इस शेर में जान मत डालो | तीसरे भाई ने कहा की तुम ने भी अपनी विद्या का प्रयोग किया | मै भी अपनी विद्या का प्रयोग क्यू ना करु ?| |