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चार वर्ष बाद चारो भाई शिक्षा प्राप्त करके इसी शिव मंदिर में वापस मिलें |चारो भाई  अपने  अपने शिक्षा की चर्चा करने लगे | पहले भाई कहा की मैने कंकाल को जोड़ने की शिक्षा प्राप्त की है | दुसरे भाई ने कहा की मैने कंकाल के ऊपर मास और रक्त भर सकता हूँ | तीसरे भाई ने कहा की मैने शव में जान  डाल सकता हूँ | चौथे भाई ने कहा की मैने व्यक्ति को अपनी एक फुक से नीर जिव बना सकता हूँ |  
 
चार वर्ष बाद चारो भाई शिक्षा प्राप्त करके इसी शिव मंदिर में वापस मिलें |चारो भाई  अपने  अपने शिक्षा की चर्चा करने लगे | पहले भाई कहा की मैने कंकाल को जोड़ने की शिक्षा प्राप्त की है | दुसरे भाई ने कहा की मैने कंकाल के ऊपर मास और रक्त भर सकता हूँ | तीसरे भाई ने कहा की मैने शव में जान  डाल सकता हूँ | चौथे भाई ने कहा की मैने व्यक्ति को अपनी एक फुक से नीर जिव बना सकता हूँ |  
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मंदिर में विराजमान पारवती माता की मूर्ति सुन रही थी चारो भियो की भाते सुन रही थी |
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मंदिर में विराजमान पारवती चारो भियो की भाते सुन रही थी | चारो भाईयो ने तय किया की ओ सब वन में अपनी विद्या का प्रयोग करगे | चारो भाई वन में पहुच गए | पहला भाई एक हाड़ी लेके आया और नेत्र बंद करके हाड़ी को छुआ उस छण यो हाड़ी से बाकी हाड़ी जुड़ गयी | दुसरे भाई ने हाड़ी के कंकाल को छुआ तो उस कंकाल में मास और  रक्त भर गया | तो मलूम पड़ा की वो शेर का कंकाल है | तीसरे भाई ने कहा की अब मै इस शेर में जान दालू गा |
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