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महाराज कृष्णदेवराय जी के पास एक बहुत ही सुन्दर एवं मनमोहक मुद्रिका थी जिन्हें वे हमेशा धारण करते थे कभी भी उस मुद्रिका को अपने से दूर नहीं करते थे | महाराज की दृष्टि हमेशा उस मुद्रिका को देखती रहती | दरबार में सभी मंत्री गणों एवं दरबारियों को मुद्रिका दिखाते रहते और उस मुद्रिका की सुन्दरता की प्रसंशा करते रहते |

एक दिन महाराज कृष्णदेवराय उदास अपने आसन पर बैठे थे तभी वहां तेनालीरामा आए उन्होंने महाराज को उदास देखकर पूछा महाराज आप उदास क्यों है? क्या कोई चिंता का विषय है मुझे बताइए मै उसका समाधान करने का प्रयास करता हूँ |
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