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उदास होकर लकडहारा बैठा था तभी अचानक नदी से एक देवी प्रकट हुई, देवी ने लकड़हारे से पूछा " क्या हुआ तुम उदास क्यों बैठे हों ? लकडहारे ने कहा " हे देवी मेरे पास एक ही कुल्हाडी  जो नदी में गिर गई है उसी कुल्हाड़ी से मेरे परिवार और घर का खर्च चलता था | अब मै क्या करूँ कुछ समझ में नहीं आ रहा है और मेरे पास धन भी नहीं है जिससे मै नई कुल्हाड़ी खरीद लू |  
 
उदास होकर लकडहारा बैठा था तभी अचानक नदी से एक देवी प्रकट हुई, देवी ने लकड़हारे से पूछा " क्या हुआ तुम उदास क्यों बैठे हों ? लकडहारे ने कहा " हे देवी मेरे पास एक ही कुल्हाडी  जो नदी में गिर गई है उसी कुल्हाड़ी से मेरे परिवार और घर का खर्च चलता था | अब मै क्या करूँ कुछ समझ में नहीं आ रहा है और मेरे पास धन भी नहीं है जिससे मै नई कुल्हाड़ी खरीद लू |  
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देवी बोली बस इतनी सी बात मै अभी नदी में से कुल्हाड़ी लती हूँ | देवी नदी में चली गई और थोड़ी समय बाद बाहर आई उनके हाथ में एक सोने की कुल्हाड़ी थी | देवी ने कहाँ हे बालक यह लो तुम्हारी कुल्हाड़ी, कुल्हाड़ी को देखकर लकडहारा मुस्कुराया और बोला हे देवी यह कुल्हाड़ी मेरी नहीं है यह किसी और की होगी |
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देवी बोली बस इतनी सी बात मै अभी नदी में से कुल्हाड़ी लती हूँ | देवी नदी में चली गई और थोड़ी समय बाद बाहर आई उनके हाथ में एक सोने की कुल्हाड़ी थी | देवी ने कहाँ हे बालक यह लो तुम्हारी कुल्हाड़ी, कुल्हाड़ी को देखकर लकडहारा मुस्कुराया और बोला हे देवी यह कुल्हाड़ी मेरी नहीं है यह किसी और की है | मेरी कुल्हाड़ी तो लोहे की पुरानी टूटी हुई कुल्हाड़ी है|
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देवी ने कहा हे बालक कोई बात नहीं यह लेलो सोने की है तुम्हारे काम आएगी | परन्तु लकडहारा नहीं माना उसे केवल अपन लोहे कही कुल्हाड़ी चाहिए
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देवी ने कहा हे बालक कोई बात नहीं यह ले लो सोने की है तुम्हारे काम आएगी | परन्तु लकडहारा नहीं माना उसे केवल अपन लोहे वाली कुल्हाड़ी चाहिए, दुसरे का सामान लेकर मै पाप क्यों करू | देवी दुबारा नदी में गई और बाहर निकली तो उनके हाथो में इसबार चांदी की कुल्हाड़ी थी, देवी ने कहा लो बालक तुम्हारी कुल्हाड़ी , लकडहारा रोने लगा बोला देवी यह कुल्हाड़ी भी हमारी नहीं हैं | देवी बोली कोई बात नहीं , यह रख लो चांदी की कुल्हाड़ी है तुम्हारा जीवन सुधर जायेगा | लकडहारा ने कहा नहीं देवी मुझे बिना मेहनत किये खाने की आदत नहीं है कृपया मुझे मेरी कुल्हाड़ी दे दे|
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देवी फिर से नदी में गई और इस बार लकड़हारे की कुल्हाड़ी हाथो में लेकर आई, कुल्हाड़ी देखकर लकडहारा बहुत प्रसन्न
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