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| '''यह कहानी युगों–युगों से कही और बताई जाती रही है, लेकिन निश्चित रूप से यह एक ऐसी कहानी है जो आपके बच्चे को एक महत्वपूर्ण सीख देती है जो जीवनभर उसके साथ रहता है। आप इस कहानी का क्लासिक रूप भी बच्चों को सुना सकते हैं या कुछ अलग - अलग प्रकार के साथ भी सुना सकते हैं जो कि आपके बच्चे को सीखने के लिए एक मूल्यवान पाठ सबित होगा ।''' | | '''यह कहानी युगों–युगों से कही और बताई जाती रही है, लेकिन निश्चित रूप से यह एक ऐसी कहानी है जो आपके बच्चे को एक महत्वपूर्ण सीख देती है जो जीवनभर उसके साथ रहता है। आप इस कहानी का क्लासिक रूप भी बच्चों को सुना सकते हैं या कुछ अलग - अलग प्रकार के साथ भी सुना सकते हैं जो कि आपके बच्चे को सीखने के लिए एक मूल्यवान पाठ सबित होगा ।''' |
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− | = '''1. कछुए और खरगोश की कहानी''' = | + | == '''1. कछुए और खरगोश की कहानी''' == |
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− | एक वक्त की बात है, किसी घने जंगल में एक खरगोश रहता था, जिसे अपने तेज दौड़ने पर बहुत घमंड था। उसे जंगल में जो दिखता, वो उसी को अपने साथ दौड़ लगाने की चुनौती दे देता। दूसरे जानवरों के बीच वो हमेशा खुद की तारीफ करता और कई बार दूसरे का मजाक भी उड़ाता। | + | एक समय की बात है। एक घने जंगल में एक खरगोश रहता था, जिसको अपने दौड़ने की गति पर बहुत घमंड था। उसे जंगल में जो दिखता, उसे वो अपने साथ दौडने की चुनौती दे देता। खरगोश हमेशा दूसरे जानवरों के बीच में वो हमेशा खुद की तारीफ करता और कई बार दूसरे का मजाक भी उड़ाता।एक दिन कछुआ जंगल में घूम रहा था अचानक उसे एक कछुआ दिखा, उसकी सुस्त चाल को देखकर खरगोश मन ही मन हँसाने लगा और कछुए को दौड़स्पर्धा की चुनौती दे दी।कछुए ने अपने आत्मविश्वास के बल पर और खरगोश के घमंड को देखकर खरगोश की चुनौती स्वीकार कर ली और दौड़ लगाने के लिए तैयार हो गया। |
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− | एक बार उसे एक कछुआ दिखा, उसकी सुस्त चाल को देखते हुए खरगोश ने कछुए को भी दौड़ लगाने की चुनौती दे दी। कछुए ने खरगोश की चुनौती मान ली और दौड़ लगाने के लिए तैयार हो गया। | + | स्पर्धा की बात जंगल में आग की तरह पसर गई और सभी जानवर कछुए और खरगोश की दौड़ देखने के लिए जमा हो गए। दौड़ शुरू हो गई और खरगोश तेजी से दौड़ने लगा और कछुआ अपनी धीमी चाल से आगे बढ़ने लगा। कुछ दूर पहुंचने के बाद खरगोश रुका और सोचा एक बार पीछे मुड़कर देखता हूँ की खरगोश कहाँ पंहुचा है, तब खरगोश पीछे मुड़कर देखा, तो उसे कछुआ कहीं नहीं दिखा। खरगोश ने सोचा, कछुआ तो बहुत धीमे - धीमे चल रहा है और उसे यहां तक पहुंचने में काफी वक्त लग जाएगा, क्यों न थोड़ी देर आराम कर लिया जाए। यह सोचते हुए वह एक पेड़ के नीचे आराम करने लगा। |
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− | जंगल के सभी जानवर कछुए और खरगोश की दौड़ देखने के लिए जमा हो गए। दौड़ शुरू हो गई और खरगोश तेजी से दौड़ने लगा और कछुआ अपनी धीमी चाल से आगे बढ़ने लगा। थोड़ी दूर पहुंचने के बाद खरगोश ने पीछे मुड़कर देखा, तो उसे कछुआ कहीं नहीं दिखा। खरगोश ने सोचा, कछुआ तो बहुत धीरे-धीरे चल रहा है और उसे यहां तक पहुंचने में काफी वक्त लग जाएगा, क्यों न थोड़ी देर आराम ही कर लिया जाए। यह सोचते हुए वह एक पेड़ के नीचे आराम करने लगा।
| + | पेड़ के नीचे आराम करते - करते उसकी कब आंख लग गई, उसे पता भी नहीं चला। उधर, कछुआ धीरे-धीरे और बिना रुके लक्ष्य तक बढ़ता गया। कछुए को आगे बढ़ते देखकर बाकी जानवरों ने जोर - जोर से तालियां बजानी शुरू कर दी। तालियों की आवाज सुनकर खरगोश की नींद खुल गई और वो दौड़कर अंतिम रेखा तक पहुंचा परन्तु खरगोश ने देखा कछुआ पहले ही अंतिम रेखा पर पहुँच कर स्पर्धा जीत चुका था और खरगोश अपने घमंड के बारे में सोच कर पछताता रह गया। |
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− | पेड़ के नीचे सुस्ताते-सुस्ताते कब उसकी आंख लग गई, उसे पता भी नहीं चला। उधर, कछुआ धीरे-धीरे और बिना रुके लक्ष्य तक पहुंच गया। उसकी जीत देखकर बाकी जानवरों ने तालियां बजानी शुरू कर दी। तालियों की आवाज सुनकर खरगोश की नींद खुल गई और वो दौड़कर जीत की रेखा तक पहुंचा, लेकिन कछुआ तो पहले ही जीत चुका था और खरगोश पछताता रह गया।
| + | '''कहानी से सीख : -''' '''कि जो धैर्य और मेहनत से काम करता है, उसकी जीत पक्की होती है और जिन्हें खुद पर या अपने किए हुए कार्य पर घमंड होता है, उसका घमंड कभी न कभी टूटता जरूर है।''' |
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− | '''कहानी से सीख''' | |
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− | इस कहानी से यही सीख मिलती है कि जो धैर्य और मेहनत से काम करता है, उसकी जीत पक्की होती है और जिन्हें खुद पर या अपने किए हुए कार्य पर घमंड होता है, उसका घमंड कभी न कभी टूटता जरूर है।
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| [[Category:शिक्षा पाठ्यक्रम एवं निर्देशिका]] | | [[Category:शिक्षा पाठ्यक्रम एवं निर्देशिका]] |