− | आचायों विनायकः (विनोबा भावे)<ref>महापुरुषकीर्तनम्, लेखक- विद्यावाचस्पति विद्यामार्तण्ड धर्मदेव; सम्पादक: आचार्य आनन्दप्रकाश; प्रकाशक: आर्ष-विद्या-प्रचार-न्यास, आर्ष-शोध-संस्थान, अलियाबाद, मं. शामीरेपट, जिला.- रंगारेड्डी, (आ.प्र.) -500078</ref> (11 सितम्बर 1894-15 नवम्बर 1982 ई०)<blockquote>भूदानाख्यमहाध्वर*स्य भुवने, योऽस्तीह नेता महान्, देवोपास्तिपरः श्रुतिं सुसुखदां, यो मन्यते मातरम्।</blockquote><blockquote>दीनोद्धाररतस्तपस्विषुवरो ऽहिंसाब्रतो सात्त्विक, मान्याचार्यविनायको विजयतेऽसौ कर्मयोगी महान् ॥77।।</blockquote>जो भूदान नामक महायज्ञ के महान् नेता है, जो परमेश्वर की उपासना करने वाले और श्रुति (वेद) को उत्तम सुख देने वाली माता मानने बाले हैं, दीनों के उद्धार में तत्पर, तपस्वियों में उत्तम, सात्त्विक, अहिंसात्रत धारी उन महान् कर्मयोगी मान्य आचार्य विनायक (विनोबा भावे) जी की जय हो। | + | आचायों विनायकः (विनोबा भावे)<ref>महापुरुषकीर्तनम्, लेखक- विद्यावाचस्पति विद्यामार्तण्ड धर्मदेव; सम्पादक: आचार्य आनन्दप्रकाश; प्रकाशक: आर्ष-विद्या-प्रचार-न्यास, आर्ष-शोध-संस्थान, अलियाबाद, मं. शामीरेपट, जिला.- रंगारेड्डी, (आ.प्र.) -500078</ref> (11 सितम्बर 1894-15 नवम्बर 1982 ई०)<blockquote>भूदानाख्यमहाध्वरस्य<ref><nowiki>*</nowiki>अध्वरस्य = यज्ञस्य।</ref> भुवने, योऽस्तीह नेता महान्, देवोपास्तिपरः श्रुतिं सुसुखदां, यो मन्यते मातरम्।</blockquote><blockquote>दीनोद्धाररतस्तपस्विषुवरो ऽहिंसाब्रतो सात्त्विक, मान्याचार्यविनायको विजयतेऽसौ कर्मयोगी महान् ॥77।।</blockquote>जो भूदान नामक महायज्ञ के महान् नेता है, जो परमेश्वर की उपासना करने वाले और श्रुति (वेद) को उत्तम सुख देने वाली माता मानने बाले हैं, दीनों के उद्धार में तत्पर, तपस्वियों में उत्तम, सात्त्विक, अहिंसात्रत धारी उन महान् कर्मयोगी मान्य आचार्य विनायक (विनोबा भावे) जी की जय हो। |
| निर्भीकश्चरतीह यो हि सकले, देशे महाकोविदः*, | | निर्भीकश्चरतीह यो हि सकले, देशे महाकोविदः*, |