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'''प्रशासक''' : और हमारा प्रशासकों का वर्ग तो पक्षीय राजनीति में है ही नहीं । वह अच्छे और सही कामों में सहयोग करने के लिये तत्पर रहेगा ही।
 
'''प्रशासक''' : और हमारा प्रशासकों का वर्ग तो पक्षीय राजनीति में है ही नहीं । वह अच्छे और सही कामों में सहयोग करने के लिये तत्पर रहेगा ही।
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'''शिक्षक''' : हमारी प्रशासकीय सेवाओं का भारतीय करण करने का आपके लिये भी अच्छा अवसर है। वास्तव में हमारी सभी व्यवस्थाओं का पुनर्विचार करने का प्रारम्भ हमें कर देना चाहिये । सारा राष्ट्रजीवन भारतीय बने इसलिये ऐसा करना आवश्यक है।
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'''शिक्षक''' : हमारी प्रशासकीय सेवाओं का धार्मिक करण करने का आपके लिये भी अच्छा अवसर है। वास्तव में हमारी सभी व्यवस्थाओं का पुनर्विचार करने का प्रारम्भ हमें कर देना चाहिये । सारा राष्ट्रजीवन धार्मिक बने इसलिये ऐसा करना आवश्यक है।
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'''प्रशासक''' : यह आपने अच्छा सुझाव दिया । हमारी प्रशासकीय सेवाओं के पाठ्यक्रमों का हम पुनर्विचार करेंगे । उसका प्रशिक्षण चलता है। उसमें भी भारतीयता का मुद्दा चर्चा में आना आवश्यक है। हमें आपकी सहायता चाहिये । हमारे वर्गों में वर्तमान विश्वविद्यालयों में पढे हुए लोग होते हैं। उन्हें भारत का भारतीय दृष्टि से लिखा हुआ इतिहास, भारतीय जीवनदृष्टि, राष्ट्रजीवन आदि बातों का परिचय ही नहीं होता। परन्तु वे बुद्धिमान होते हैं। व्यवहारदक्ष और चतुर भी होते हैं । शासन और प्रजा दोनों यदि भारतीयता चाहते हैं तो उन्हें भारतीयता क्या है यह समझने में देर नहीं लगेगी । हाँ, उन्हें अपने आपको प्रजा से अलग समझना बन्द करना होगा। मैं इसके लिये प्रयास करूँगा।
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'''प्रशासक''' : यह आपने अच्छा सुझाव दिया । हमारी प्रशासकीय सेवाओं के पाठ्यक्रमों का हम पुनर्विचार करेंगे । उसका प्रशिक्षण चलता है। उसमें भी धार्मिकता का मुद्दा चर्चा में आना आवश्यक है। हमें आपकी सहायता चाहिये । हमारे वर्गों में वर्तमान विश्वविद्यालयों में पढे हुए लोग होते हैं। उन्हें भारत का धार्मिक दृष्टि से लिखा हुआ इतिहास, धार्मिक जीवनदृष्टि, राष्ट्रजीवन आदि बातों का परिचय ही नहीं होता। परन्तु वे बुद्धिमान होते हैं। व्यवहारदक्ष और चतुर भी होते हैं । शासन और प्रजा दोनों यदि धार्मिकता चाहते हैं तो उन्हें धार्मिकता क्या है यह समझने में देर नहीं लगेगी । हाँ, उन्हें अपने आपको प्रजा से अलग समझना बन्द करना होगा। मैं इसके लिये प्रयास करूँगा।
    
'''मन्त्री''' : यह अच्छा विचार है। शासन इस पर अवश्य विचार करेगा । हमें भारत को भारत केन्द्री होना चाहिये इस सूत्र को प्रचार में लाना चाहिये । मैंने अभी एक लेख पढा था । उसमें एक मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की गई थी। लेखक कहता था कि आज भारत के बौद्धिकों का वैचारिक गतिविधियों का गुरुत्वमध्यबिन्दु भारत के बाहर है, उसे पुनः भारत में लाना चाहिये । लेखकने भारत के शिक्षा आयोग के अध्यक्ष डॉ. दौलतसिंह कोठारी के सन्दर्भ से यह कहा था। लेखक ने इसके कई उदाहरण भी दिये थे। वैचारिक गुरुत्व मध्यबिन्दु को भारत में कैसे लाया जाय इसके कई सुझाव भी दिये थे। मैंने कई लोगों से इसकी चर्चा की। कुछ लोगों को बहुत विस्मय हुआ कि आज तक हमें यह बात सूझी क्यों नहीं । मुद्दा तो एकदम सही है ।इस बात पर व्यापक चर्चा होनी चाहिये ।
 
'''मन्त्री''' : यह अच्छा विचार है। शासन इस पर अवश्य विचार करेगा । हमें भारत को भारत केन्द्री होना चाहिये इस सूत्र को प्रचार में लाना चाहिये । मैंने अभी एक लेख पढा था । उसमें एक मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की गई थी। लेखक कहता था कि आज भारत के बौद्धिकों का वैचारिक गतिविधियों का गुरुत्वमध्यबिन्दु भारत के बाहर है, उसे पुनः भारत में लाना चाहिये । लेखकने भारत के शिक्षा आयोग के अध्यक्ष डॉ. दौलतसिंह कोठारी के सन्दर्भ से यह कहा था। लेखक ने इसके कई उदाहरण भी दिये थे। वैचारिक गुरुत्व मध्यबिन्दु को भारत में कैसे लाया जाय इसके कई सुझाव भी दिये थे। मैंने कई लोगों से इसकी चर्चा की। कुछ लोगों को बहुत विस्मय हुआ कि आज तक हमें यह बात सूझी क्यों नहीं । मुद्दा तो एकदम सही है ।इस बात पर व्यापक चर्चा होनी चाहिये ।
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दूसरा मुजे लगता है कि एक शिक्षा आयोग की रचना की जाय जो भारत केन्द्री शिक्षा की संकल्पना और स्वरूप का दस्तावेज तैयार करे तथा साथ में उसे लागू कैसे किया जाय इसकी व्यावहारिक योजना भी दे। यह बात ठीक है कि सरकार द्वारा गठित आयोगों पर किसी को श्रद्धा या विश्वास नहीं होते, परन्तु हम इस बार आयोग की रचना और उसके कामकाज को पर्याप्त गम्भीरता से लेंगे।
 
दूसरा मुजे लगता है कि एक शिक्षा आयोग की रचना की जाय जो भारत केन्द्री शिक्षा की संकल्पना और स्वरूप का दस्तावेज तैयार करे तथा साथ में उसे लागू कैसे किया जाय इसकी व्यावहारिक योजना भी दे। यह बात ठीक है कि सरकार द्वारा गठित आयोगों पर किसी को श्रद्धा या विश्वास नहीं होते, परन्तु हम इस बार आयोग की रचना और उसके कामकाज को पर्याप्त गम्भीरता से लेंगे।
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इस आयोग में सुलझे हुए विद्वजनों को लेना चाहिये । आयोग में बहुत अधिक व्यक्ति नहीं होने चाहिये । इस आयोग का कार्यक्षेत्र सम्पूर्ण देश होना चाहिये । साथ ही विश्व के प्रमुख देशों में भी उन्होंने जाना चाहिये । यह ध्यान में रखना चाहिये कि केवल अच्छी शिक्षा हमारा उद्देश्य नहीं है, अच्छी भारतीय शिक्षा हमारा उद्देश है। वर्तमान समय में हम अच्छी शिक्षा की संकल्पना विचार में लेते हैं, परन्तु भारतीय शिक्षा का मुद्दा छूट ही जाता है। हम सरकार के मन्त्रीमण्डल से इस आयोग के गठन हेतु परामर्श भी ले सकते हैं।
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इस आयोग में सुलझे हुए विद्वजनों को लेना चाहिये । आयोग में बहुत अधिक व्यक्ति नहीं होने चाहिये । इस आयोग का कार्यक्षेत्र सम्पूर्ण देश होना चाहिये । साथ ही विश्व के प्रमुख देशों में भी उन्होंने जाना चाहिये । यह ध्यान में रखना चाहिये कि केवल अच्छी शिक्षा हमारा उद्देश्य नहीं है, अच्छी धार्मिक शिक्षा हमारा उद्देश है। वर्तमान समय में हम अच्छी शिक्षा की संकल्पना विचार में लेते हैं, परन्तु धार्मिक शिक्षा का मुद्दा छूट ही जाता है। हम सरकार के मन्त्रीमण्डल से इस आयोग के गठन हेतु परामर्श भी ले सकते हैं।
    
'''शिक्षक''' : आपका यह विचार उत्तम है। आपका दोसौ वर्षों के इतिहास के लेखन का प्रस्ताव तो हमें पूर्ण रूप से स्वीकार्य है। मैं आज से ही योग्य व्यक्तियों को खोजकर उनसे बात करना शुरू कर देता हैं। शीघ्र ही मैं उनके नाम और अन्य जानकारी, अनुकूल विश्वविद्यालयों की जानकारी तथा प्रकल्प की रूपरेखा आपके सम्मुख प्रस्तुत करूँगा । आयोग हेतु आप दोनों सक्रिय हों तो पर्याप्त
 
'''शिक्षक''' : आपका यह विचार उत्तम है। आपका दोसौ वर्षों के इतिहास के लेखन का प्रस्ताव तो हमें पूर्ण रूप से स्वीकार्य है। मैं आज से ही योग्य व्यक्तियों को खोजकर उनसे बात करना शुरू कर देता हैं। शीघ्र ही मैं उनके नाम और अन्य जानकारी, अनुकूल विश्वविद्यालयों की जानकारी तथा प्रकल्प की रूपरेखा आपके सम्मुख प्रस्तुत करूँगा । आयोग हेतु आप दोनों सक्रिय हों तो पर्याप्त
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'''शिक्षक''' : मैं विस्तार पूर्वक तो योजना कुछ दिनों बाद बताऊँगा परन्तु अभी मैं इतना कह सकता हूँ कि हमें तीन विभाग एक साथ शुरू करने होंगे। एक होगा विश्वअध्ययन केन्द्र, दूसरा होगा भारत अध्ययन केन्द्र और तीसरा होगा राष्ट्रीय ग्रन्थालय । हम तीनों विभागों की टोली को अपनी अपनी पाँच वर्षों की योजना बनाने के लिये बतायेंगे। प्रथम दो विभागों में अनुसन्धान से कार्य का प्रारम्भ होगा और धीरे धीरे नीचे की ओर चलते जायेंगे।
 
'''शिक्षक''' : मैं विस्तार पूर्वक तो योजना कुछ दिनों बाद बताऊँगा परन्तु अभी मैं इतना कह सकता हूँ कि हमें तीन विभाग एक साथ शुरू करने होंगे। एक होगा विश्वअध्ययन केन्द्र, दूसरा होगा भारत अध्ययन केन्द्र और तीसरा होगा राष्ट्रीय ग्रन्थालय । हम तीनों विभागों की टोली को अपनी अपनी पाँच वर्षों की योजना बनाने के लिये बतायेंगे। प्रथम दो विभागों में अनुसन्धान से कार्य का प्रारम्भ होगा और धीरे धीरे नीचे की ओर चलते जायेंगे।
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इस विश्वविद्यालय की व्याप्ति सम्पूर्ण विश्व की रहेगी परन्तु वह जहाँ भी होगा भारतीय दृष्टि से विश्व का अध्ययन यह प्रमुख विषय रहेगा । इस दृष्टि को स्पष्ट करने हेतु चार आयामों में विचार होगा...
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इस विश्वविद्यालय की व्याप्ति सम्पूर्ण विश्व की रहेगी परन्तु वह जहाँ भी होगा धार्मिक दृष्टि से विश्व का अध्ययन यह प्रमुख विषय रहेगा । इस दृष्टि को स्पष्ट करने हेतु चार आयामों में विचार होगा...
 
# भारत की दृष्टि से विश्व का अध्ययन...  
 
# भारत की दृष्टि से विश्व का अध्ययन...  
 
# भारत की दृष्टि से भारत का अध्ययन...  
 
# भारत की दृष्टि से भारत का अध्ययन...  
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'''शिक्षक''' : आपकी बात ठीक है । खर्च बहुत होगा । हम सरकार से अपेक्षा नहीं करेंगे । हम समाज पर ही निर्भर करेंगे । वैसे आज जितने भी सामाजिक, सांस्कृतिक संगठन और संस्थायें इस देश में कार्यरत हैं उन सब का कार्य समाज के भरोसे ही चलता है । हम समाज से भिक्षा माँगेंगे। समाज पर भरोसा रखेंगे। आप लोगों के पास व्यक्तिगत रूप से भी हम भिक्षा माँगेंगे और सरकारों से भी माँगेंगे । वह अनुदान या कृपा नहीं होंगे, केवल सहयोग होगा।
 
'''शिक्षक''' : आपकी बात ठीक है । खर्च बहुत होगा । हम सरकार से अपेक्षा नहीं करेंगे । हम समाज पर ही निर्भर करेंगे । वैसे आज जितने भी सामाजिक, सांस्कृतिक संगठन और संस्थायें इस देश में कार्यरत हैं उन सब का कार्य समाज के भरोसे ही चलता है । हम समाज से भिक्षा माँगेंगे। समाज पर भरोसा रखेंगे। आप लोगों के पास व्यक्तिगत रूप से भी हम भिक्षा माँगेंगे और सरकारों से भी माँगेंगे । वह अनुदान या कृपा नहीं होंगे, केवल सहयोग होगा।
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'''मन्त्री''' : यह विचार अच्छा है। हम भी आपके कार्य में अवश्य सहयोग करेंगे । परन्तु क्या भारतीय के साथ साथ विदेशों से भी विद्वान शोध और अध्ययन करने हेतु या अध्यापन करने हेतु आयेंगे ? या आप केवल भारतीयों को ही पढाने की अनुमति देंगे ?
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'''मन्त्री''' : यह विचार अच्छा है। हम भी आपके कार्य में अवश्य सहयोग करेंगे । परन्तु क्या धार्मिक के साथ साथ विदेशों से भी विद्वान शोध और अध्ययन करने हेतु या अध्यापन करने हेतु आयेंगे ? या आप केवल धार्मिकों को ही पढाने की अनुमति देंगे ?
    
'''शिक्षक''' : अरे यह आन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय है तो हम सम्पूर्ण विश्व से अध्यापकों को आमान्त्रित करेंगे। वास्तव में पूर्व और पश्चिम का भेद दिशाओं का, अथवा भारत और अमेरिका का नहीं है, वह दैवी और आसुरी सम्पदा का विरोध है । इसलिये विश्व के किसी भी स्थान से अध्यापक और विद्यार्थी यहा आयेंगे।  
 
'''शिक्षक''' : अरे यह आन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय है तो हम सम्पूर्ण विश्व से अध्यापकों को आमान्त्रित करेंगे। वास्तव में पूर्व और पश्चिम का भेद दिशाओं का, अथवा भारत और अमेरिका का नहीं है, वह दैवी और आसुरी सम्पदा का विरोध है । इसलिये विश्व के किसी भी स्थान से अध्यापक और विद्यार्थी यहा आयेंगे।  
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==References==
 
==References==
<references />भारतीय शिक्षा : वैश्विक संकटों का निवारण भारतीय शिक्षा (भारतीय शिक्षा ग्रन्थमाला ५), प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे
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<references />धार्मिक शिक्षा : वैश्विक संकटों का निवारण धार्मिक शिक्षा (धार्मिक शिक्षा ग्रन्थमाला ५), प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे
[[Category:भारतीय शिक्षा : वैश्विक संकटों का निवारण भारतीय शिक्षा]]
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[[Category:धार्मिक शिक्षा : वैश्विक संकटों का निवारण धार्मिक शिक्षा]]
 
[[Category:Education Series]]
 
[[Category:Education Series]]
[[Category:Bhartiya Shiksha Granthmala(भारतीय शिक्षा ग्रन्थमाला)]]
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[[Category:Bhartiya Shiksha Granthmala(धार्मिक शिक्षा ग्रन्थमाला)]]

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