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A comprehensive treatment of this topic can be seen [[Bharatiya Samskrtika Parampara (भारतीयसांस्कृतिकपरम्परा)|here]].  
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हिन्दु/राष्ट्रीय साहित्य परिचय:<ref>जीवन का भारतीय प्रतिमान-खंड १, अध्याय ५, लेखक - दिलीप केलकर</ref>
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हिन्दु/राष्ट्रीय साहित्य परिचय:<ref>जीवन का धार्मिक प्रतिमान-खंड १, अध्याय ५, लेखक - दिलीप केलकर</ref>
    
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=== श्रीमद्भगवद्गीता ===
 
=== श्रीमद्भगवद्गीता ===
बोलचाल की भाषा में इसे गीता कहते हैं। यह ग्रन्थ विश्वविख्यात है। विश्व के भिन्न भिन्न विचारों के विद्वानों ने गीता के विषय में अपने विचार व्यक्त किये हैं। लेखन और प्रवचन किये हैं। यह धार्मिक (भारतीय) ज्ञानधारा का महत्वपूर्ण ग्रन्थ है। प्रत्येक धार्मिक (भारतीय) को इसे पढ़ना, समझना और व्यवहार में लाना चाहिए। अभी हम इसका प्राथमिक परिचय ही देखेंगे।  
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बोलचाल की भाषा में इसे गीता कहते हैं। यह ग्रन्थ विश्वविख्यात है। विश्व के भिन्न भिन्न विचारों के विद्वानों ने गीता के विषय में अपने विचार व्यक्त किये हैं। लेखन और प्रवचन किये हैं। यह धार्मिक (धार्मिक) ज्ञानधारा का महत्वपूर्ण ग्रन्थ है। प्रत्येक धार्मिक (धार्मिक) को इसे पढ़ना, समझना और व्यवहार में लाना चाहिए। अभी हम इसका प्राथमिक परिचय ही देखेंगे।  
    
१. श्रीमद्भगवद्गीता का अर्थ है यह प्रत्यक्ष भगवान द्वारा कही गई गयी है। यह अर्जुन को पास बिठाकर अनेक रहस्यों को समझानेवाली है। इसलिए यह उपनिषद् है: गीतोपनिषद।   
 
१. श्रीमद्भगवद्गीता का अर्थ है यह प्रत्यक्ष भगवान द्वारा कही गई गयी है। यह अर्जुन को पास बिठाकर अनेक रहस्यों को समझानेवाली है। इसलिए यह उपनिषद् है: गीतोपनिषद।   
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*१८. मोक्षसंन्यास – ७८ }}
 
*१८. मोक्षसंन्यास – ७८ }}
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९. वेद के मोटे मोटे ३ भाग हैं। ज्ञानकाण्ड, कर्मकांड और उपासनाकाण्ड। उपनिषद् ज्ञानकाण्ड हैं याने वेदों का ज्ञानात्मक हिस्सा हैं। वेद धार्मिक (भारतीय) ज्ञानधारा के सोत और सत्य ज्ञान के ग्रन्थ हैं। १२० उपनिषदों में से १० मुख्य उपनिषद हैं। इन सभी उपनिषदों का सार गीता है। <blockquote>कहा गया है:</blockquote><blockquote>सर्वोपनिषदो गावो दोग्धा गोपालनंदन:।</blockquote><blockquote>पार्थो वत्स: सुधीर्भोक्ता दुग्धं गीतामृतं महत् ।।<ref>गीता ध्यानं श्लोक 4 </ref></blockquote>उपनिषद् गायें हैं, इन गायों को दुहनेवाले स्वयं गोपालनंदन श्रीकृष्ण हैं। गायों का दूध गीता रूपी ज्ञान है। अर्जुन उसका दूध पीनेवाला बछडा है।  
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९. वेद के मोटे मोटे ३ भाग हैं। ज्ञानकाण्ड, कर्मकांड और उपासनाकाण्ड। उपनिषद् ज्ञानकाण्ड हैं याने वेदों का ज्ञानात्मक हिस्सा हैं। वेद धार्मिक (धार्मिक) ज्ञानधारा के सोत और सत्य ज्ञान के ग्रन्थ हैं। १२० उपनिषदों में से १० मुख्य उपनिषद हैं। इन सभी उपनिषदों का सार गीता है। <blockquote>कहा गया है:</blockquote><blockquote>सर्वोपनिषदो गावो दोग्धा गोपालनंदन:।</blockquote><blockquote>पार्थो वत्स: सुधीर्भोक्ता दुग्धं गीतामृतं महत् ।।<ref>गीता ध्यानं श्लोक 4 </ref></blockquote>उपनिषद् गायें हैं, इन गायों को दुहनेवाले स्वयं गोपालनंदन श्रीकृष्ण हैं। गायों का दूध गीता रूपी ज्ञान है। अर्जुन उसका दूध पीनेवाला बछडा है।  
    
१०. गीता ब्रह्मविद्या का ग्रन्थ है। ब्रह्म को जानने की विद्या। ब्रह्म याने जिसमें से यह सारी सृष्टि निर्माण हुई है और जिसमें यह फिर से विलीन होनेवाली है उसे जानने की यह विद्या है। इस सृष्टि के मूल तत्व को तथा सृष्टि के साथ हमारा व्यवहार कैसा हो यह जानने के लिए उपयोगी यह ग्रन्थ है।  
 
१०. गीता ब्रह्मविद्या का ग्रन्थ है। ब्रह्म को जानने की विद्या। ब्रह्म याने जिसमें से यह सारी सृष्टि निर्माण हुई है और जिसमें यह फिर से विलीन होनेवाली है उसे जानने की यह विद्या है। इस सृष्टि के मूल तत्व को तथा सृष्टि के साथ हमारा व्यवहार कैसा हो यह जानने के लिए उपयोगी यह ग्रन्थ है।  
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<references />
 
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[[Category:Bhartiya Jeevan Pratiman (भारतीय जीवन प्रतिमान - भाग १)]]
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[[Category:Bhartiya Jeevan Pratiman (धार्मिक जीवन प्रतिमान - भाग १)]]
 
[[Category:Dharmik Jeevan Pratiman (धार्मिक जीवन प्रतिमान)]]
 
[[Category:Dharmik Jeevan Pratiman (धार्मिक जीवन प्रतिमान)]]

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