३. नवीन पद्धति में शिक्षा डिग्री अवलम्बित हो गई । चूँकि डिग्री से रोजगार मिलता है, शिक्षा का उद्देश्य ज्ञानप्राप्ति के स्थान पर डिग्री प्राप्त करना और उसके माध्यम से रोजगार, जिसका एकमात्र अर्थ “नौकरी' रह गया, प्राप्त करना हो गया । “सा विद्या या विमुक्तये' के स्थान पर “सा विद्या या नियुक्तये' हो गया । डिग्री देने वाली संस्था सरकारी मान्यता से युक्त हो, यह अनिवार्यता हुई । मान्यता देने वाली संस्थाओं - प्राधिकरणों ने जो मानक तय किए उनमें शिक्षा संस्थानों के संचालन के लिए शैक्षिक गुणवता, वातावरण, प्रयोग-नवाचार.. अथवा शिक्षकीय तज्ञता के स्थान पर भूमि-भवन, भौतिक संसाधनों की उपलब्धता को अधिक स्थान दिया गया । प्राचीन भारत के गुरुकुल-आश्रमों और वर्तमान काल के शान्तिनिकेतन आदि को इन मानकों पर नहीं परखा जा सकता । शिक्षा संस्थान संचालन करने वाली संस्थाओं को शैक्षिक गुणवत्ता विकास के स्थान पर भौतिक संसाधन जुटाने की होड़ में सम्मिलित होना पड़ा । | ३. नवीन पद्धति में शिक्षा डिग्री अवलम्बित हो गई । चूँकि डिग्री से रोजगार मिलता है, शिक्षा का उद्देश्य ज्ञानप्राप्ति के स्थान पर डिग्री प्राप्त करना और उसके माध्यम से रोजगार, जिसका एकमात्र अर्थ “नौकरी' रह गया, प्राप्त करना हो गया । “सा विद्या या विमुक्तये' के स्थान पर “सा विद्या या नियुक्तये' हो गया । डिग्री देने वाली संस्था सरकारी मान्यता से युक्त हो, यह अनिवार्यता हुई । मान्यता देने वाली संस्थाओं - प्राधिकरणों ने जो मानक तय किए उनमें शिक्षा संस्थानों के संचालन के लिए शैक्षिक गुणवता, वातावरण, प्रयोग-नवाचार.. अथवा शिक्षकीय तज्ञता के स्थान पर भूमि-भवन, भौतिक संसाधनों की उपलब्धता को अधिक स्थान दिया गया । प्राचीन भारत के गुरुकुल-आश्रमों और वर्तमान काल के शान्तिनिकेतन आदि को इन मानकों पर नहीं परखा जा सकता । शिक्षा संस्थान संचालन करने वाली संस्थाओं को शैक्षिक गुणवत्ता विकास के स्थान पर भौतिक संसाधन जुटाने की होड़ में सम्मिलित होना पड़ा । |