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# जो भी संगीत सुनाना हो उसकी गुणवत्ता उत्तम होना चाहिए। साथ ही उसमें विविधता भी होना चाहिए। अनेक राग, अनेक वाद्य, अनेक गायकों का वादन एवं गायन वे सुन पाएँ, ऐसी व्यवस्था करना चाहिए।
 
# जो भी संगीत सुनाना हो उसकी गुणवत्ता उत्तम होना चाहिए। साथ ही उसमें विविधता भी होना चाहिए। अनेक राग, अनेक वाद्य, अनेक गायकों का वादन एवं गायन वे सुन पाएँ, ऐसी व्यवस्था करना चाहिए।
 
# संगीत में शब्द की अपेक्षा स्वर का महत्व अधिक है। इसलिए स्वर की दृष्टि से विविधता एवं गुणवत्ता होनी चाहिए।
 
# संगीत में शब्द की अपेक्षा स्वर का महत्व अधिक है। इसलिए स्वर की दृष्टि से विविधता एवं गुणवत्ता होनी चाहिए।
# जो कुछ सुनें उसका आधार भारतीय शास्त्रीय संगीत होना चाहिए। लोकसंगीत एक अलग विषय है। कानों को तैयार करने के लिए शास्त्रीय संगीत ही अधिक उपयोगी हो सकता है।
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# जो कुछ सुनें उसका आधार धार्मिक शास्त्रीय संगीत होना चाहिए। लोकसंगीत एक अलग विषय है। कानों को तैयार करने के लिए शास्त्रीय संगीत ही अधिक उपयोगी हो सकता है।
 
# केवल ध्वनिमुद्रिकाएँ ही सुनवाना पर्याप्त नहीं है। जीवंत व्यक्ति प्रत्यक्ष रूप से गाएँ और छात्र सामने बैठकर सुनें ऐसी व्यवस्था करना चाहिए। इस दृष्टि से विद्यालय में संगीताचार्य हों यह आवश्यक है। इसके अतिरिक्त कभी कभी अच्छे गायक, वादक एवं नर्तक विद्यालय में जाएँ, ऐसी योजना भी बनाना चाहिए। इस तरह वातावरण से ही संगीत का अनुभव हो तो छात्रों को आसानी से संगीत अवगत होता है।
 
# केवल ध्वनिमुद्रिकाएँ ही सुनवाना पर्याप्त नहीं है। जीवंत व्यक्ति प्रत्यक्ष रूप से गाएँ और छात्र सामने बैठकर सुनें ऐसी व्यवस्था करना चाहिए। इस दृष्टि से विद्यालय में संगीताचार्य हों यह आवश्यक है। इसके अतिरिक्त कभी कभी अच्छे गायक, वादक एवं नर्तक विद्यालय में जाएँ, ऐसी योजना भी बनाना चाहिए। इस तरह वातावरण से ही संगीत का अनुभव हो तो छात्रों को आसानी से संगीत अवगत होता है।
  

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