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== विद्यालय में मध्यावकाश का भोजन ==
 
== विद्यालय में मध्यावकाश का भोजन ==
1. विद्यालय में मध्यावकाश के भोजन सम्बन्ध में कितने प्रकार की व्यवस्था होती है<ref>भारतीय शिक्षा के व्यावहारिक आयाम (भारतीय शिक्षा ग्रन्थमाला ३): पर्व ३: अध्याय १०, प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे</ref> ?  
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1. विद्यालय में मध्यावकाश के भोजन सम्बन्ध में कितने प्रकार की व्यवस्था होती है<ref>धार्मिक शिक्षा के व्यावहारिक आयाम (धार्मिक शिक्षा ग्रन्थमाला ३): पर्व ३: अध्याय १०, प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे</ref> ?  
    
2. विद्यालय में मध्यावकाश के भोजन की सबसे अच्छी व्यवस्था क्या हो सकती है ?  
 
2. विद्यालय में मध्यावकाश के भोजन की सबसे अच्छी व्यवस्था क्या हो सकती है ?  
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पहला प्रश्न था. विद्यालय में मध्यावकाश के भोजनसंबंध मे कितने प्रकार की व्यवस्था होती है ? इस प्रश्न के उत्तर में लगभग सभी ने अलग अलग प्रकार के मेनू ही लिखे हैं । वास्तव में समूहभोजन, वनभोजन, देवासुर भोजन, स्वेच्छाभोजन, कृष्ण और गोपी भोजन ऐसी अनेकविध व्यवस्थायें भोजन लेने में आनंद, संस्कार, विविधता की मजा का अनुभव देती है ।
 
पहला प्रश्न था. विद्यालय में मध्यावकाश के भोजनसंबंध मे कितने प्रकार की व्यवस्था होती है ? इस प्रश्न के उत्तर में लगभग सभी ने अलग अलग प्रकार के मेनू ही लिखे हैं । वास्तव में समूहभोजन, वनभोजन, देवासुर भोजन, स्वेच्छाभोजन, कृष्ण और गोपी भोजन ऐसी अनेकविध व्यवस्थायें भोजन लेने में आनंद, संस्कार, विविधता की मजा का अनुभव देती है ।
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बाकी बचे ९ प्रश्नों के उत्तर सभी उत्तरदाताओंने सही ढंग से, आदर्श व्यवहार के रूप में लिखे हैं । परन्तु आदर्शों का वर्णन करना और उनका प्रत्यक्ष व्यवहार इन दोनों में बहुत अंतर नजर आता है । उपदेश देना सरल है परंतु तदनुसार व्यवहार मे आचरण करना कठिन होता है; उसके प्रति आग्रही रहना चाहिये । शिक्षा की आधी समस्‍यायें खत्म हो जाएगी । घर और विद्यालयों में भारतीय विचारों का आदर्श रखना परंतु पाश्चात्य खानपान का सेवन करना यह तो अपने आपको दिया गया धोखा है । उसके ही परिणाम हम भुगत रहे हैं ऐसा लगता है ।
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बाकी बचे ९ प्रश्नों के उत्तर सभी उत्तरदाताओंने सही ढंग से, आदर्श व्यवहार के रूप में लिखे हैं । परन्तु आदर्शों का वर्णन करना और उनका प्रत्यक्ष व्यवहार इन दोनों में बहुत अंतर नजर आता है । उपदेश देना सरल है परंतु तदनुसार व्यवहार मे आचरण करना कठिन होता है; उसके प्रति आग्रही रहना चाहिये । शिक्षा की आधी समस्‍यायें खत्म हो जाएगी । घर और विद्यालयों में धार्मिक विचारों का आदर्श रखना परंतु पाश्चात्य खानपान का सेवन करना यह तो अपने आपको दिया गया धोखा है । उसके ही परिणाम हम भुगत रहे हैं ऐसा लगता है ।
    
==== अभिमत ====
 
==== अभिमत ====
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भोजन की सारी व्यवस्था आज अस्तव्यस्त हो गई है। इस भारी गडबड का स्वरूप प्रथम ध्यान में आना चाहिये । कुछ बिन्दु इस प्रकार है ।
 
भोजन की सारी व्यवस्था आज अस्तव्यस्त हो गई है। इस भारी गडबड का स्वरूप प्रथम ध्यान में आना चाहिये । कुछ बिन्दु इस प्रकार है ।
 
* अन्न पवित्र है ऐसा अब नहीं माना जाता है। वह एक जड पदार्थ है।
 
* अन्न पवित्र है ऐसा अब नहीं माना जाता है। वह एक जड पदार्थ है।
* भारतीय परम्परा में अनाज भले ही बेचा जाता हो, अन्न कभी बेचा नहीं जाता था । अन्न पर भूख का और भूखे का स्वाभाविक अधिकार है, पैसे का या अन्न के मालिक का नहीं । आज यह बात सर्वथा विस्मृत हो गई है।  
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* धार्मिक परम्परा में अनाज भले ही बेचा जाता हो, अन्न कभी बेचा नहीं जाता था । अन्न पर भूख का और भूखे का स्वाभाविक अधिकार है, पैसे का या अन्न के मालिक का नहीं । आज यह बात सर्वथा विस्मृत हो गई है।  
 
* अन्नदान महादान है यह विस्मृत हो गया है।  
 
* अन्नदान महादान है यह विस्मृत हो गया है।  
 
* होटल उद्योग अपसंस्कृति की निशानी है। इसे अधिकाधिक प्रतिष्ठा मिल रही है।
 
* होटल उद्योग अपसंस्कृति की निशानी है। इसे अधिकाधिक प्रतिष्ठा मिल रही है।
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* भोजन का स्वास्थ्य, संस्कार और संस्कृति के साथ सम्बन्ध है इस बात का विस्मरण हो गया है।
 
* भोजन का स्वास्थ्य, संस्कार और संस्कृति के साथ सम्बन्ध है इस बात का विस्मरण हो गया है।
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== भारतीय इन्स्टंट फ़ूड एवं जंक फ़ूड ==
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== धार्मिक इन्स्टंट फ़ूड एवं जंक फ़ूड ==
 
इन सभी समस्याओं का समाधान विद्यालय में विभिन्न स्तरों पर सोचा जाना चाहिये । विद्यालय में भोजन केवल विद्यार्थियों के नास्ते तक सीमित नहीं है, भोजन से सम्बन्धित कार्य, भोजन से सम्बन्धित दृष्टि एवं मानसिकता तथा भोजन विषयक समस्याओं एवं उनके समाधान आदि सभी विषयों का समावेश इसमें होता है।
 
इन सभी समस्याओं का समाधान विद्यालय में विभिन्न स्तरों पर सोचा जाना चाहिये । विद्यालय में भोजन केवल विद्यार्थियों के नास्ते तक सीमित नहीं है, भोजन से सम्बन्धित कार्य, भोजन से सम्बन्धित दृष्टि एवं मानसिकता तथा भोजन विषयक समस्याओं एवं उनके समाधान आदि सभी विषयों का समावेश इसमें होता है।
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आजकल दौडधूपकी जिंदगी में ऐसे तुरन्त बनने वाले पदार्थों की आवश्यकता अधिक रहती है । गृहिणी को स्वयं भी शीघ्रातिशीघ्र काम निपटकर नौकरी पर निकलना होता है अथवा बच्चों और पति को भेजना होता है।  
 
आजकल दौडधूपकी जिंदगी में ऐसे तुरन्त बनने वाले पदार्थों की आवश्यकता अधिक रहती है । गृहिणी को स्वयं भी शीघ्रातिशीघ्र काम निपटकर नौकरी पर निकलना होता है अथवा बच्चों और पति को भेजना होता है।  
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छाप ऐसी पडती है कि इन्स्टण्ट फूड का आविष्कार आज के जमाने में ही हुआ है। परन्तु ऐसा है नही। झटपट भोजन की आवश्यकता तो कहीं भी और कभी भी रह सकती है। इसलिये भारतीय गृहिणी भी इस कला में माहिर होगी ही। ऐसे कई पदार्थों की सूची यहाँ दी गई है। यह सूची सबको परिचित है, घर घर में प्रचलित भी है। परन्तु ध्यान इस बातकी ओर आकर्षित करना है कि ये सब पदार्थ झटपट तैयार होने वाले होने के साथ साथ पोषक एवं स्वादिष्ट भी होते हैं, बनाने में सरल हैं और आर्थिक दृष्टि से देखा जाय तो सर्वसामान्य गृहिणी बना सकेगी ऐसे भी हैं।  
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छाप ऐसी पडती है कि इन्स्टण्ट फूड का आविष्कार आज के जमाने में ही हुआ है। परन्तु ऐसा है नही। झटपट भोजन की आवश्यकता तो कहीं भी और कभी भी रह सकती है। इसलिये धार्मिक गृहिणी भी इस कला में माहिर होगी ही। ऐसे कई पदार्थों की सूची यहाँ दी गई है। यह सूची सबको परिचित है, घर घर में प्रचलित भी है। परन्तु ध्यान इस बातकी ओर आकर्षित करना है कि ये सब पदार्थ झटपट तैयार होने वाले होने के साथ साथ पोषक एवं स्वादिष्ट भी होते हैं, बनाने में सरल हैं और आर्थिक दृष्टि से देखा जाय तो सर्वसामान्य गृहिणी बना सकेगी ऐसे भी हैं।  
    
==== हलवा ====
 
==== हलवा ====
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=== अभिमत ===
 
=== अभिमत ===
अन्य प्रश्नावलियों से प्राप्त उत्तरों की तुलना में इस विद्यालय से प्राप्त उत्तर सही एवं भारतीय दृष्टि की पहचान बताने वाले थे । इसका कारण यह था कि इस विद्यालय में समग्र विकास अभ्यासक्रमानुसार शिक्षण होता है । जब शिक्षा से सही दृष्टि मिलती है तो व्यवहार भी तद्नुसार सही ही होता है। दसरी महत्त्वपूर्ण बात यह कि इस प्रश्नावली में अभिभावकों की सहभागिता अधिक रही। उनमें से कुछ अभिभावक कम पढे लिखे भी थे. फिर भी अनेक उत्तर एकदम सटीक थे । यह आश्चर्य की बात थी । अल्पशिक्षित व्यक्ति भी अच्छा व्यवहार कर सकता है बात को उन्होंने सत्यसिद्ध किया।
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अन्य प्रश्नावलियों से प्राप्त उत्तरों की तुलना में इस विद्यालय से प्राप्त उत्तर सही एवं धार्मिक दृष्टि की पहचान बताने वाले थे । इसका कारण यह था कि इस विद्यालय में समग्र विकास अभ्यासक्रमानुसार शिक्षण होता है । जब शिक्षा से सही दृष्टि मिलती है तो व्यवहार भी तद्नुसार सही ही होता है। दसरी महत्त्वपूर्ण बात यह कि इस प्रश्नावली में अभिभावकों की सहभागिता अधिक रही। उनमें से कुछ अभिभावक कम पढे लिखे भी थे. फिर भी अनेक उत्तर एकदम सटीक थे । यह आश्चर्य की बात थी । अल्पशिक्षित व्यक्ति भी अच्छा व्यवहार कर सकता है बात को उन्होंने सत्यसिद्ध किया।
    
आज हर कोई कार्यालय में, व्याख्यान में, सिनेमा में जाते समय पानी की बोटल साथ लेकर जाता है । परन्तु यहाँ सब लोगों ने मटके के पानी का उपयोग ही सबके लिए श्रेष्ठ बताया है । प्लास्टिक बोतल में रखा पानी प्रदूषित हो जाता है । ऐसा उनका मत था।
 
आज हर कोई कार्यालय में, व्याख्यान में, सिनेमा में जाते समय पानी की बोटल साथ लेकर जाता है । परन्तु यहाँ सब लोगों ने मटके के पानी का उपयोग ही सबके लिए श्रेष्ठ बताया है । प्लास्टिक बोतल में रखा पानी प्रदूषित हो जाता है । ऐसा उनका मत था।
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=== पानी का आर्थिक पक्ष ===
 
=== पानी का आर्थिक पक्ष ===
पानी के आर्थिक पक्ष को देखें तो ईश्वर ने हमारे लिए विपुल मात्रा में जल की व्यवस्था की है। जल पर सबका समान अधिकार है । किसी ने भी पानी माँगा तो उसे सेवाभाव से पानी पिलाना यह भारतीय दृष्टि है । परन्तु पाश्चात्य विचारों के प्रभाव में आकर हमने पानी को भी बिकाऊ बना दिया । बड़ी-बड़ी व्यावसायिक कम्पनियों के मनमोहक विज्ञापनों के सहारे धडल्ले से पानी बिक रहा है । परिणाम स्वरूप सेवाभाव से चलने वाले जलमंदिर बन्द हो रहे हैं।  
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पानी के आर्थिक पक्ष को देखें तो ईश्वर ने हमारे लिए विपुल मात्रा में जल की व्यवस्था की है। जल पर सबका समान अधिकार है । किसी ने भी पानी माँगा तो उसे सेवाभाव से पानी पिलाना यह धार्मिक दृष्टि है । परन्तु पाश्चात्य विचारों के प्रभाव में आकर हमने पानी को भी बिकाऊ बना दिया । बड़ी-बड़ी व्यावसायिक कम्पनियों के मनमोहक विज्ञापनों के सहारे धडल्ले से पानी बिक रहा है । परिणाम स्वरूप सेवाभाव से चलने वाले जलमंदिर बन्द हो रहे हैं।  
    
तरह तरह के वाटर बेग्ज, उनके आकर्षक रंग व आकार पर मोहित हो अभिभावक अपने पुत्र के नाम पर कितना पैसा व्यर्थ में लुटा देते हैं । आर ओ प्लान्ट के बिना जल शुद्ध हो ही नहीं सकता इस विचार के कारण कितना अनावश्यक धन खर्च होता है इसका अभिभावकों को भान ही नहीं है । मेरा खरीदा हुआ पानी, इसलिए उस पर केवल मेरा अधिकार, मैं जैसा चाहूँगा, वैसा उसका उपयोग करूँगा
 
तरह तरह के वाटर बेग्ज, उनके आकर्षक रंग व आकार पर मोहित हो अभिभावक अपने पुत्र के नाम पर कितना पैसा व्यर्थ में लुटा देते हैं । आर ओ प्लान्ट के बिना जल शुद्ध हो ही नहीं सकता इस विचार के कारण कितना अनावश्यक धन खर्च होता है इसका अभिभावकों को भान ही नहीं है । मेरा खरीदा हुआ पानी, इसलिए उस पर केवल मेरा अधिकार, मैं जैसा चाहूँगा, वैसा उसका उपयोग करूँगा
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## पवित्र पदार्थ या स्थान के साथ आदरयुक्त व्यवहार होता है। पवित्रता की रक्षा करने के लिये हम अपवित्र शरीर और मन से उसके पास नहीं जाते हैं । उदाहरण के लिये घर में जहाँ पीने का पानी रखा जाता है वहाँ कोई जूते पहनकर या बिना स्नान किये नहीं जाता है। यह दीर्घकाल की परम्परा है। हम विद्यालय में भी ऐसी व्यवस्था कर सकते हैं ।
 
## पवित्र पदार्थ या स्थान के साथ आदरयुक्त व्यवहार होता है। पवित्रता की रक्षा करने के लिये हम अपवित्र शरीर और मन से उसके पास नहीं जाते हैं । उदाहरण के लिये घर में जहाँ पीने का पानी रखा जाता है वहाँ कोई जूते पहनकर या बिना स्नान किये नहीं जाता है। यह दीर्घकाल की परम्परा है। हम विद्यालय में भी ऐसी व्यवस्था कर सकते हैं ।
 
## जहाँ पीने का पानी रखा होता है वहाँ सायंकाल संध्या के समय दीपक जलाया जाता है। इससे पर्यावरण की शुद्धि होती है । पवित्रता की भावना भी निर्माण होती है।  
 
## जहाँ पीने का पानी रखा होता है वहाँ सायंकाल संध्या के समय दीपक जलाया जाता है। इससे पर्यावरण की शुद्धि होती है । पवित्रता की भावना भी निर्माण होती है।  
## पानी को जलदेवता मानने का प्रचलन शुरू करना चाहिये । जलदेवता की स्तुति करनेवाले मंत्र ऋग्वेद में तो हैं परन्तु हिन्दी में और हर भारतीय भाषा में रचे जा सकते हैं । जलदेवता की स्तुति के गीत भी रचे जा सकते हैं । पानी का प्रयोग करते समय इन मन्त्रों का उच्चारण करने की प्रथा भी शुरु की जा सकती है।  
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## पानी को जलदेवता मानने का प्रचलन शुरू करना चाहिये । जलदेवता की स्तुति करनेवाले मंत्र ऋग्वेद में तो हैं परन्तु हिन्दी में और हर धार्मिक भाषा में रचे जा सकते हैं । जलदेवता की स्तुति के गीत भी रचे जा सकते हैं । पानी का प्रयोग करते समय इन मन्त्रों का उच्चारण करने की प्रथा भी शुरु की जा सकती है।  
 
## पानी का संग्रह जहाँ किया जाता है वहाँ भी जूते पहनकर नहीं जाना, आसपास में गन्दगी नहीं करना, उस स्थान की सफाई के लिये अलग से झाडू आदि की व्यवस्था करना आदि माध्यमो से पवित्रता का भाव जगाया जा सकता है।  
 
## पानी का संग्रह जहाँ किया जाता है वहाँ भी जूते पहनकर नहीं जाना, आसपास में गन्दगी नहीं करना, उस स्थान की सफाई के लिये अलग से झाडू आदि की व्यवस्था करना आदि माध्यमो से पवित्रता का भाव जगाया जा सकता है।  
 
## जलदेवता को सन्तुष्ट और प्रसन्न करने के लिये यज्ञों की रचना करनी चाहिये । यज्ञ में जलदेवता के लिये आहुति देनी चाहिये । जलदेवता प्रसन्न हों इस दृष्टि से जिस प्रकार नये मन्त्रों की रचना होगी उसी प्रकार यज्ञ में होम करने की सामग्री का भी भौतिक विज्ञान की दृष्टि से विचार होगा। यज्ञ तो वैज्ञानिक अनुष्ठान है ही, उसे आज की आवश्यकताओं की पूर्ति कर सके ऐसा स्वरूप दिया जाना चाहिये।
 
## जलदेवता को सन्तुष्ट और प्रसन्न करने के लिये यज्ञों की रचना करनी चाहिये । यज्ञ में जलदेवता के लिये आहुति देनी चाहिये । जलदेवता प्रसन्न हों इस दृष्टि से जिस प्रकार नये मन्त्रों की रचना होगी उसी प्रकार यज्ञ में होम करने की सामग्री का भी भौतिक विज्ञान की दृष्टि से विचार होगा। यज्ञ तो वैज्ञानिक अनुष्ठान है ही, उसे आज की आवश्यकताओं की पूर्ति कर सके ऐसा स्वरूप दिया जाना चाहिये।

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