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| # शिक्षा राष्ट्र की जीवनदृष्टि पर आधारित होती है और उस जीवनदृष्टि को पुष्ट करती है । | | # शिक्षा राष्ट्र की जीवनदृष्टि पर आधारित होती है और उस जीवनदृष्टि को पुष्ट करती है । |
| # राष्ट्र सांस्कृतिक इकाई है। वह भूमि, जन और जीवनदर्शन मिलकर बनता है । | | # राष्ट्र सांस्कृतिक इकाई है। वह भूमि, जन और जीवनदर्शन मिलकर बनता है । |
− | # भारत की जीवनदृष्टि आध्यात्मिक है इसलिए धार्मिक शिक्षा भी अध्यात्मनिष्ठ है । | + | # भारत की जीवनदृष्टि आध्यात्मिक है अतः धार्मिक शिक्षा भी अध्यात्मनिष्ठ है । |
| # शिक्षा मनुष्य के जीवन के साथ सर्वभाव से जुड़ी हुई है । | | # शिक्षा मनुष्य के जीवन के साथ सर्वभाव से जुड़ी हुई है । |
| # शिक्षा आजीवन चलती है । | | # शिक्षा आजीवन चलती है । |
− | # शिक्षा गर्भाधान से भी पूर्व से शुरू होकर अन्त्येष्टि तक चलती है । | + | # शिक्षा गर्भाधान से भी पूर्व से आरम्भ होकर अन्त्येष्टि तक चलती है । |
| # शिक्षा सर्वत्र चलती है । घर, विद्यालय और समाज शिक्षा के प्रमुख केन्द्र हैं । | | # शिक्षा सर्वत्र चलती है । घर, विद्यालय और समाज शिक्षा के प्रमुख केन्द्र हैं । |
| # घर में व्यवहार की, विद्यालय में शास्त्रीय और समाज में प्रबोधनात्मक शिक्षा होती है । | | # घर में व्यवहार की, विद्यालय में शास्त्रीय और समाज में प्रबोधनात्मक शिक्षा होती है । |
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| # विद्यार्थीसापेक्ष पाठ्यक्रम राष्ट्र के अविरोधी होना चाहिए क्योंकि विद्यार्थी भी राष्ट्र का अंग ही है । | | # विद्यार्थीसापेक्ष पाठ्यक्रम राष्ट्र के अविरोधी होना चाहिए क्योंकि विद्यार्थी भी राष्ट्र का अंग ही है । |
| # सर्व प्रकार के शैक्षिक प्रयासों हेतु राष्ट्र सर्वोपरि है । | | # सर्व प्रकार के शैक्षिक प्रयासों हेतु राष्ट्र सर्वोपरि है । |
− | # भारत की जीवनदृष्टि विश्वात्मक है इसलिए राष्ट्रीय होकर शिक्षा विश्व का कल्याण साधने में समर्थ होती है । | + | # भारत की जीवनदृष्टि विश्वात्मक है अतः राष्ट्रीय होकर शिक्षा विश्व का कल्याण साधने में समर्थ होती है । |
| # सर्वकल्याणकारी शिक्षा राष्ट्र को चिरंजीवी बनाती है । भारत ऐसा ही राष्ट्र है । | | # सर्वकल्याणकारी शिक्षा राष्ट्र को चिरंजीवी बनाती है । भारत ऐसा ही राष्ट्र है । |
| ==References== | | ==References== |