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सन १९०२ में, केवल बीस वर्ष की आयु में सावरकरजी ने एक कविता में इन साम्राज्यों को प्रश्न पूछा था, ' विश्व में आज तक शाश्वत क्या रहा है?' आज वही प्रश्न इन साम्राज्याधीशों के सामने आ कर खडा हो गया है । प्रातःकाल में उदित होने वाला सूर्य शाम होते होते अस्तंगत होता है वैसे ही, अरे ब्रिटिशों ! आप भी कल अस्त हो जाओगे , इस आशय का भविष्य कथन सावरकरजी ने तब किया था जो आज सत्य सिद्ध होने जा रहा है।
 
सन १९०२ में, केवल बीस वर्ष की आयु में सावरकरजी ने एक कविता में इन साम्राज्यों को प्रश्न पूछा था, ' विश्व में आज तक शाश्वत क्या रहा है?' आज वही प्रश्न इन साम्राज्याधीशों के सामने आ कर खडा हो गया है । प्रातःकाल में उदित होने वाला सूर्य शाम होते होते अस्तंगत होता है वैसे ही, अरे ब्रिटिशों ! आप भी कल अस्त हो जाओगे , इस आशय का भविष्य कथन सावरकरजी ने तब किया था जो आज सत्य सिद्ध होने जा रहा है।
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अर्थात भारत समक्ष अधिक जटिल आह्वान खड़े ही हैं। चीन और पाकिस्तान की मैत्री राहु केतु की युति समान है। आज रुस भी उस युति के साथ हाथ मिलाने जा रहा है। अमरिका ने भारत, जपान और ऑस्ट्रेलिया इन तीनों देशों के साथ मित्रता के संकेत दिये हैं यह सत्य है परंतु अमरिका के वर्तमान अध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प विश्वसनीय नहीं लगते है। ग्रेट ब्रिटन का स्मॉल इंग्लैंड में परिवर्तन हुआ है। मुस्लिम देश भारत की ओर द्रष्टि फेरने लगे हैं। क्यों कि भारत की बहुविधता, सर्वसमावेशकता, यहाँ की मिट्टी में समाहित सर्वधर्मसमभाव, यहाँ का लोकतंत्र, आर्थिक विकास, यहाँ की संरक्षण सिद्धता, सुशिक्षितता इत्यादि विशेषताओं का मुस्लिम विश्व पर गहरा प्रभाव होता जा रहा है। परंतु इस्लामिक स्टेट भारतीय मुस्लिमों को भी प्रभावित करेगा क्या यह गंभीर सवाल हमारे सामने भी उठ खडा हुआ है।
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अर्थात भारत समक्ष अधिक जटिल आह्वान खड़े ही हैं। चीन और पाकिस्तान की मैत्री राहु केतु की युति समान है। आज रुस भी उस युति के साथ हाथ मिलाने जा रहा है। अमरिका ने भारत, जपान और ऑस्ट्रेलिया इन तीनों देशों के साथ मित्रता के संकेत दिये हैं यह सत्य है परंतु अमरिका के वर्तमान अध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प विश्वसनीय नहीं लगते है। ग्रेट ब्रिटन का स्मॉल इंग्लैंड में परिवर्तन हुआ है। मुस्लिम देश भारत की ओर द्रष्टि फेरने लगे हैं। क्यों कि भारत की बहुविधता, सर्वसमावेशकता, यहाँ की मिट्टी में समाहित सर्वधर्मसमभाव, यहाँ का लोकतंत्र, आर्थिक विकास, यहाँ की संरक्षण सिद्धता, सुशिक्षितता इत्यादि विशेषताओं का मुस्लिम विश्व पर गहरा प्रभाव होता जा रहा है। परंतु इस्लामिक स्टेट धार्मिक मुस्लिमों को भी प्रभावित करेगा क्या यह गंभीर सवाल हमारे सामने भी उठ खडा हुआ है।
    
इस परिस्थिति में मुस्लिमों का सूफी संप्रदाय कैसे बना रहेगा, शताब्दियों से भारत में अपने मूल जमाये बैठा सामाजिक ऐक्य कैसे सुद्रढ होगा, जयिष्णुता और सहिष्णुता, क्रोधावशता और क्षमाशीलता एवं सर्वसमावेशकता और व्यावर्तकता के बीच उचित सन्तुलन कैसे निर्माण होगा वही हमारे लिये चिंता के विषय हैं।
 
इस परिस्थिति में मुस्लिमों का सूफी संप्रदाय कैसे बना रहेगा, शताब्दियों से भारत में अपने मूल जमाये बैठा सामाजिक ऐक्य कैसे सुद्रढ होगा, जयिष्णुता और सहिष्णुता, क्रोधावशता और क्षमाशीलता एवं सर्वसमावेशकता और व्यावर्तकता के बीच उचित सन्तुलन कैसे निर्माण होगा वही हमारे लिये चिंता के विषय हैं।
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==References==
 
==References==
भारतीय शिक्षा : वैश्विक संकटों का निवारण भारतीय शिक्षा (भारतीय शिक्षा ग्रन्थमाला ५): पर्व २: अध्याय १७, प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे  
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धार्मिक शिक्षा : वैश्विक संकटों का निवारण धार्मिक शिक्षा (धार्मिक शिक्षा ग्रन्थमाला ५): पर्व २: अध्याय १७, प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे  
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[[Category:भारतीय शिक्षा ग्रंथमाला 5: पर्व 2: विश्वस्थिति का आकलन]]
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[[Category:धार्मिक शिक्षा ग्रंथमाला 5: पर्व 2: विश्वस्थिति का आकलन]]

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