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भारतीय जीवन को भी स्वाभाविक पोषण नहीं मिलता है । इसका परिणाम यह
भारतीय जीवन को भी स्वाभाविक पोषण नहीं मिलता है । इसका परिणाम यह
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होता है कि भारत का जनजीवन अभारतीय ज्ञानधारा से आप्लावित होता है ।
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होता है कि भारत का जनजीवन अधार्मिक ज्ञानधारा से आप्लावित होता है ।
इससे बचना चाहिये । बचने का उपाय शिक्षा में ही प्राप्त हो सकता है । कारण
इससे बचना चाहिये । बचने का उपाय शिक्षा में ही प्राप्त हो सकता है । कारण
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तत्त्वचिन्तन के इस खण्ड में समग्र विकास प्रतिमान की शब्दावली की
तत्त्वचिन्तन के इस खण्ड में समग्र विकास प्रतिमान की शब्दावली की
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व्याख्या की गई है । जहाँ आवश्यक है वहाँ अभारतीय अर्थ भी बताया गया
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व्याख्या की गई है । जहाँ आवश्यक है वहाँ अधार्मिक अर्थ भी बताया गया
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है । परन्तु अभारतीय व्याख्याओं का विवेचन करना यह मुख्य लक्ष्य नहीं है ।
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है । परन्तु अधार्मिक व्याख्याओं का विवेचन करना यह मुख्य लक्ष्य नहीं है ।
यथासम्भव निरूपण को सरल बनाने का प्रयास भी किया गया है ।
यथासम्भव निरूपण को सरल बनाने का प्रयास भी किया गया है ।