संसार के सब मनुष्य जगदुत्पादक एक इश्वर के पुत्र हैं, इसलिए सब को परस्पर स्नेह उचित है, कोई भी अस्पृश्य नहीं। इस प्रकार के विमल भाव के प्रचारक सरल-हृदय दयानन्द योगी की जय हो। | संसार के सब मनुष्य जगदुत्पादक एक इश्वर के पुत्र हैं, इसलिए सब को परस्पर स्नेह उचित है, कोई भी अस्पृश्य नहीं। इस प्रकार के विमल भाव के प्रचारक सरल-हृदय दयानन्द योगी की जय हो। |