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| यो भक्तियोगी हरिभक्तिमार्गे जनान् सदा नेतुमिहायतिष्ट। | | यो भक्तियोगी हरिभक्तिमार्गे जनान् सदा नेतुमिहायतिष्ट। |
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− | न जातिभेद न च वान्यभेदं यः सन्नुदारो 5 गणयत्कदाचित्।।8॥। | + | न जातिभेद न च वान्यभेदं यः सन्नुदारोऽ गणयत्कदाचित्।। |
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− | जिस भक्तियोगी ने विष्णु की भक्ति के मार्ग में लोगों को लाने | + | जिस भक्तियोगी ने विष्णु की भक्ति के मार्ग में लोगों को लाने का सदा प्रयत्न किया, जिस ने उदार होकर जाति भद वा अन्य किसी प्रकार के कल्पित भेद की कभी परवाह नहीं की। |
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− | का सदा प्रयत्न किया, जिस ने उदार होकर जाति भद वा अन्य किसी | |
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− | प्रकार के कल्पित भेद की कभी परवाह नहीं की। | |
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− | 1.* ब्रह्मभूतो अतितुलो मारसेनप्पमद्दनो।
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− | 2. *आराकयेन्मार्गमृषिप्रवेदितम्-धम्मपद 2811
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− | 1 न जच्चा ब्राह्मणो होति, न जच्चा होति म्रब्राह्मणो।
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− | कम्मना ग्ह्मणो होति कम्मना होति अब्राह्मणो।। सुत्तनिपात 6501
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| यस्याभवत् सुप्रथितः कबीरः शिष्यो हि यो भक्तजनाग्रगण्यः। | | यस्याभवत् सुप्रथितः कबीरः शिष्यो हि यो भक्तजनाग्रगण्यः। |
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− | म्लेच्छाननेकानपि बैष्ण्वान् यः चक्रे प्रभावेन निजेन धीरः।।9।। | + | म्लेच्छाननेकानपि बैष्ण्वान् यः चक्रे प्रभावेन निजेन धीरः।। |
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− | जिस का भक्त शिरोमणि सुप्रसिद्ध कबीर शिष्य था। जिस धीर ने
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− | ग्रनेक म्लेच्छों को भी अपने प्रभाव से वैष्णव बना दिया ।
| + | जिस का भक्त शिरोमणि सुप्रसिद्ध कबीर शिष्य था। जिस धीर ने अनेक म्लेच्छों को भी अपने प्रभाव से वैष्णव बना दिया । |
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| प्रचार्य भक्तिं विभयांश्चकार संचार्य देशे निखिलेऽपि लोकान्। | | प्रचार्य भक्तिं विभयांश्चकार संचार्य देशे निखिलेऽपि लोकान्। |
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− | दिल्लीश्वरो ऽप्यास यदीयभक्तस्तं देवभक्तं विबुधं नमामि।।10॥ | + | दिल्लीश्वरो ऽप्यास यदीयभक्तस्तं देवभक्तं विबुधं नमामि।। |
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− | सारे देश में संचार करके और भक्ति का प्रचार कर जिस ने लोगों
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− | को निर्भय बना दिया। दिल्ली का बादशाह (गयासुद्दीन) भी जिस का भकत
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− | था, ऐसे परमात्मभक्त बुद्धिमान स्वामी रामानन्द जी को मैं नमस्कार करता
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− | हूँ॥
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− | शुद्धाचारा विमलमतयो देवभक्तौ निमग्ना
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− | आत्मारामा अपि सुनिरता ये सदैवोपकारे।
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− | शुद्धौदार्यं सकलविषयेऽदर्शयन् यं प्रशान्ता
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− | रामानन्दान् प्रथितयशसस्तान् समानं नमामि॥।11॥
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− | जो शुद्धाचार सम्पन्न, शुद्ध-बुद्धि युक्त, देवभक्ति परायण, आत्मा में
| + | सारे देश में संचार करके और भक्ति का प्रचार कर जिस ने लोगों को निर्भय बना दिया। दिल्ली का बादशाह (गयासुद्दीन) भी जिस का भकत था, ऐसे परमात्मभक्त बुद्धिमान स्वामी रामानन्द जी को मैं नमस्कार करता हूँ॥ |
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− | रमण करने वाले होकर भी जो सदा परोपकार में तत्पर थे, जिन्होंने प्रशान्त
| + | शुद्धाचारा विमलमतयो देवभक्तौ निमग्ना आत्मारामा अपि सुनिरता ये सदैवोपकारे। |
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− | होकर सब विषयों में शुद्ध उदारता को प्रदर्शित किया, ऐसे कीर्तिशाली स्वामी
| + | शुद्धौदार्यं सकलविषयेऽदर्शयन् यं प्रशान्ता रामानन्दान् प्रथितयशसस्तान् समानं नमामि॥। |
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− | रामानन्द जी को आदर के साथ नमस्कार करता हूँ। | + | जो शुद्धाचार सम्पन्न, शुद्ध-बुद्धि युक्त, देवभक्ति परायण, आत्मा में रमण करने वाले होकर भी जो सदा परोपकार में तत्पर थे, जिन्होंने प्रशान्त होकर सब विषयों में शुद्ध उदारता को प्रदर्शित किया, ऐसे कीर्तिशाली स्वामी रामानन्द जी को आदर के साथ नमस्कार करता हूँ। |
| ==References== | | ==References== |
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