आत्मतत्व के मन में संकल्प जगा 'एकोहम् बहुस्याम' और इस सृष्टि का सृजन हुआ। सृष्टि का सृजन परमात्मा की इच्छाशक्ति का परिणाम है। यह इच्छाशक्ति मनुष्य के अन्तःकरण में काम बनकर निवास कर रही है । अर्थात् काम मनुष्य के जीवन का केन्द्रवर्ती तत्व है। उसकी उपेक्षा करना असम्भव है। | आत्मतत्व के मन में संकल्प जगा 'एकोहम् बहुस्याम' और इस सृष्टि का सृजन हुआ। सृष्टि का सृजन परमात्मा की इच्छाशक्ति का परिणाम है। यह इच्छाशक्ति मनुष्य के अन्तःकरण में काम बनकर निवास कर रही है । अर्थात् काम मनुष्य के जीवन का केन्द्रवर्ती तत्व है। उसकी उपेक्षा करना असम्भव है। |