विभिन्न प्रकार की शिक्षायोजना से व्यक्ति की अंतर्निहित क्षमताओं का विकास करना चाहिए यह हमने पूर्व के अध्याय में देखा। अब प्रश्न यह है कि अपनी विकसित क्षमताओं का व्यक्ति क्या करेगा? इस विषय में यदि कोई निश्चित विचार नहीं रहा तो वह भटक जायेगा। वैसे भी अपनी प्राकृतिक अवस्था में जिस प्रकार पानी नीचे की ओर ही बहता है, उसे ऊपर की ओर उठाने के लिए विशेष प्रयास करने होते हैं उसी प्रकार बिना किसी प्रयास के बलवान और जिद्दी मन विकृति की ओर ही खींच कर ले जाता है । अत: क्षमताओं के विकास के साथ साथ उन क्षमताओं के सम्यक् उपयोग के मार्ग भी विचार में लेने चाहिए। यह शिक्षा का दूसरा पहलू है। अथवा यह भी कह सकते हैं कि मनुष्य के व्यक्तित्व विकास का यह दूसरा आयाम है। | विभिन्न प्रकार की शिक्षायोजना से व्यक्ति की अंतर्निहित क्षमताओं का विकास करना चाहिए यह हमने पूर्व के अध्याय में देखा। अब प्रश्न यह है कि अपनी विकसित क्षमताओं का व्यक्ति क्या करेगा? इस विषय में यदि कोई निश्चित विचार नहीं रहा तो वह भटक जायेगा। वैसे भी अपनी प्राकृतिक अवस्था में जिस प्रकार पानी नीचे की ओर ही बहता है, उसे ऊपर की ओर उठाने के लिए विशेष प्रयास करने होते हैं उसी प्रकार बिना किसी प्रयास के बलवान और जिद्दी मन विकृति की ओर ही खींच कर ले जाता है । अत: क्षमताओं के विकास के साथ साथ उन क्षमताओं के सम्यक् उपयोग के मार्ग भी विचार में लेने चाहिए। यह शिक्षा का दूसरा पहलू है। अथवा यह भी कह सकते हैं कि मनुष्य के व्यक्तित्व विकास का यह दूसरा आयाम है। |