हम सब यह जानते हैं कि सत्य और धर्म इस सृष्टि की धारणा करने वाले मूल तत्व हैं । धर्म विश्वनियम हैं । इस सृष्टि की उत्पत्ति के साथ ही धर्म की भी उत्पत्ति हुई है।वर्तमान सृष्टि के प्रलय के बाद भी नई सृष्टि के सृजन के लिये जो बीज बचे रहते हैं उनके साथ धर्म के भी बीज बचे रहते हैं । इस धर्म को जानना, समझना और अपनाना मनुष्य का कर्तव्य है । यही मनुष्य के लिये प्रमुख रूप से और सर्व प्रथम करणीय कार्य है । | हम सब यह जानते हैं कि सत्य और धर्म इस सृष्टि की धारणा करने वाले मूल तत्व हैं । धर्म विश्वनियम हैं । इस सृष्टि की उत्पत्ति के साथ ही धर्म की भी उत्पत्ति हुई है।वर्तमान सृष्टि के प्रलय के बाद भी नई सृष्टि के सृजन के लिये जो बीज बचे रहते हैं उनके साथ धर्म के भी बीज बचे रहते हैं । इस धर्म को जानना, समझना और अपनाना मनुष्य का कर्तव्य है । यही मनुष्य के लिये प्रमुख रूप से और सर्व प्रथम करणीय कार्य है । |