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व्यक्ति अपने आप स्वयंपूर्ण या स्वावलंबी नहीं बन सकता । उसे अन्यों की मदद लेनी ही पड़ती है । अधार्मिक (अभारतीय) समाजों की मान्यता के अनुसार व्यक्ति अपने स्वार्थ को प्राप्त करने के लिए साथ में आकर एक करार करते हैं । इसे ‘सोशल कोंट्राक्ट थियरी’ कहते हैं । इसलिए प्रत्येक सामाजिक परस्पर संबंधों का आधार कोंट्राक्ट होता है । राजा प्रजा का सम्बन्ध किंग्ज चार्टर होता है । यहांतक पुरुष और स्त्री का विवाह भी एक करार होता है।
 
व्यक्ति अपने आप स्वयंपूर्ण या स्वावलंबी नहीं बन सकता । उसे अन्यों की मदद लेनी ही पड़ती है । अधार्मिक (अभारतीय) समाजों की मान्यता के अनुसार व्यक्ति अपने स्वार्थ को प्राप्त करने के लिए साथ में आकर एक करार करते हैं । इसे ‘सोशल कोंट्राक्ट थियरी’ कहते हैं । इसलिए प्रत्येक सामाजिक परस्पर संबंधों का आधार कोंट्राक्ट होता है । राजा प्रजा का सम्बन्ध किंग्ज चार्टर होता है । यहांतक पुरुष और स्त्री का विवाह भी एक करार होता है।
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भारतीय सामाजिक विचार इससे भिन्न है । केवल अपने स्वार्थ का विचार न कर ‘सर्वे भवन्तु सुखिन:’ का विचार करने का है ।
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भारतीय सामाजिक विचार इससे भिन्न है । केवल अपने स्वार्थ का विचार न कर ‘सर्वे भवन्तु सुखिन:’ का विचार करने का है ।<ref>जीवन का भारतीय प्रतिमान-खंड १, अध्याय ९, लेखक - दिलीप केलकर</ref>
    
== समाज से संबंधित महत्वपूर्ण धार्मिक (भारतीय) बिन्दु ==
 
== समाज से संबंधित महत्वपूर्ण धार्मिक (भारतीय) बिन्दु ==

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