मनुष्य भी एक प्राणी है। उसके प्राणिक आवेगों के कारण उसे जीने के लिए कई बातों की अनिवार्य रूप में आवश्यकता होती है। जब तक जीवन चलता है आवश्यकताओं की पूर्ति आवश्यक होती है। पशु, पक्षी, प्राणियों में बुद्धि का स्तर कम होता है। इस कारण उनके लिए आजीविका की प्राप्ति में अनिश्चितता रहती है। शेर जंगल का राजा होता है। लेकिन उसकी भी स्वाभाविक मृत्यू भुखमरी के कारण ही होती है। यौवनावस्था में अनिश्चितताएं कम होंगी लेकिन होती अवश्य हैं। बुरे समय, शैशव, बाल्य और बुढापे में यह अनिश्चितता बहुत अधिक होती है। इन अनिश्चितताओं से मुक्ति के लिए मनुष्य और मनुष्य समाज भिन्न भिन्न प्रकार की व्यवस्थाएं निर्माण करता है। | मनुष्य भी एक प्राणी है। उसके प्राणिक आवेगों के कारण उसे जीने के लिए कई बातों की अनिवार्य रूप में आवश्यकता होती है। जब तक जीवन चलता है आवश्यकताओं की पूर्ति आवश्यक होती है। पशु, पक्षी, प्राणियों में बुद्धि का स्तर कम होता है। इस कारण उनके लिए आजीविका की प्राप्ति में अनिश्चितता रहती है। शेर जंगल का राजा होता है। लेकिन उसकी भी स्वाभाविक मृत्यू भुखमरी के कारण ही होती है। यौवनावस्था में अनिश्चितताएं कम होंगी लेकिन होती अवश्य हैं। बुरे समय, शैशव, बाल्य और बुढापे में यह अनिश्चितता बहुत अधिक होती है। इन अनिश्चितताओं से मुक्ति के लिए मनुष्य और मनुष्य समाज भिन्न भिन्न प्रकार की व्यवस्थाएं निर्माण करता है। |