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− | === भारतीय शिक्षा ग्रन्थमाला २ ===
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| === शिक्षा का समग्र विकास प्रतिमान === | | === शिक्षा का समग्र विकास प्रतिमान === |
− | Gage
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− | प्रकाशक
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− | पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट
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− | ९बी, ज्ञानमू, बलियाकाका मार्ग, जूना ढोर बजार, कांकरिया, अहमदाबाद-३े८० ०२८
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− | GENT : (०७९) २५३२२६५५
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− | Website : www.punarutthan.org
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− | Email : punvidya2012 @ gmail.com
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− | Ce)
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− | भारतीय शिक्षा ग्रन्थमाला २
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− | शिक्षा का समग्र विकास प्रतिमान
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− | लेखन एवं संपादन
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− | इन्दुमति काटदरे अहमदाबाद... ०९४२८८२६७३१
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− | सह संपादक
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− | aca Heh नासिक ९४२२९४६४७५
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− | सुधा करंजगावकर अहमदाबाद ९८७९५८८०१०
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− | वासुदेव प्रजापति जोधपुर ९द१४१३६३१४
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− | संकलन सहयोग
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− | पराग बाबरिया दिलीप केलकर तारा हातवलणे विपुल रावल ब्रजमोहन रामदेव
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− | राजकोट डॉबीवली अकोला अहमदाबाद जैसलमेर
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− | ९४२७२ ३७७१९ ९४२२६६२१६६ ९०१५११०२०६९ ९९७९०९९५१४२ ९७८३८०४२३६
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− | प्रकाशक
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− | पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट
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− | ९बी, ज्ञानमू, बलियाकाका मार्ग, जूना ढोर बजार,
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− | कांकरिया, अहमदाबाद-३८० ०२८
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− | दूरभाष : (०७९) २५३२२६५५
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− | ash
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− | नूतन आर्ट, अहमदाबाद
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− | प्रकाशन तिथि
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− | व्यास पूर्णिमा, युगाब्द ५११९, दि. ९ जुलै २०१७
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− | प्रतियाँ : १०००
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− | मूल्य : रु. ८००/-
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− | === ।। मंगलाचरण ।। ===
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− | हे सरस्वती ! आप विद्या की देवी हैं । शुद्ध बुद्धि देने
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− | वाली हैं । नादब्रह्मा आपका मूल रूप है। आप परा,
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− | पश्यन्ति, मध्यमा और वैखरी के रूप में प्रकट होती हैं ।
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− | आप क्रत को सत्य के रूप में प्रकट करती हैं । आप
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− | ब्रह्मानन्दसहोदर काव्यरस को बहाने वाली हैं । आपको
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− | नमस्कार कर इस ग्रन्थ का लेखन प्रारम्भ कर रहे हैं ।
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− | हे भगवान व्यास ! आप आर्षद्रष्टा ऋषियों द्वारा देखे
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− | गये मंत्रों का सम्पादन कर उन्हें जिज्ञासुओं को सुलभ
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− | बनाने हेतु वेदों के रूप में सुलभ बनाने वाले हैं । कठिन
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− | और जटिल रचना को अभ्यासुओं के लिये सुगम बनाने
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− | हेतु एक वेद को चार वेदों में वर्गीकृत करने वाले आद्य
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− | सम्पादक हैं । आप उपनिषदों के प्रेरक हैं । वेदों का ज्ञान
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− | सर्वजनसुलभ बनाने हेतु अष्टादश पुराणों की रचना करने
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− | वाले हैं । आप विद्वानों के शास्रार्थ हेतु ब्रह्मसूत्रों की रचना
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− | करने वाले हैं । आप विश्व को शास्त्रीय और लोकज्ञान के
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− | आगर ऐसे महाभारत ग्रंथ को देने वाले हैं । आजतक ज्ञान
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− | के क्षेत्र में अद्वितीय ऐसे अद्भुत, सर्व उपनिषदों के साररूप
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− | ग्रन्थ भगवद्वीता के रचयिता हैं । जो भी लोककल्याण हेतु
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− | ज्ञान को प्रस्तुत करना चाहता है उसके लिये आप आदर्श
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− | हैं । आपसे सदैव प्रेरणा प्राप्त होती रहे ऐसी प्रार्थना के साथ
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− | आपको नमस्कार करते हैं ।
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− | अर्पण पत्रिका
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− | भारतीय शिक्षा ग्रंथमाला का श्री ज्ञानसरस्वती (बासर क्षेत्र) के
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− | चरणों में अर्पण ।
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− | हे माँ सरस्वती !
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− | पुनरुत्थान विद्यापीठने भारतीय शिक्षा ग्रन्थमाला के नाम से भारतीय
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− | शिक्षा के पाँच संदर्भ ग्रन्थों का निर्माण कार्य संपन्न किया है । आज संपूर्ण
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− | भारतवर्ष में प्रतिष्ठित पाश्चात्य शिक्षणपद्धति से भारत का अध्यात्म, ज्ञान,
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− | धर्म तथा संस्कृति सब अस्तव्यस्त हुए हैं । इस के उपाय स्वरूप इस ग्रंथ
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− | निर्माण योजना का कार्य विद्यापीठने हाथों में लिया है । हे माते आप इन
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− | ग्रंथों के एक एक अक्षर को सत्यरूप दें । हम सब भारतवासियों के मन में
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− | ज्ञानरूपी सरस्वती को प्रतिष्ठित होने दें । इन ग्रन्थों द्वारा सर्वजनसमाज के
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− | आचरण से भारतीय संस्कृति प्रत्यक्ष व्यवहार में उतरे जिससे हमारा
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− | भारतवर्ष फिर से विश्वगुरु के पद पर विराजित हो ।
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− | भारतीय शिक्षा द्वारा ज्ञान का पुनरुत्थान हो ऐसा आशिष हमें प्रदान
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− | करें । पूर्णता को पहुँचे ये पाँचों ग्रन्थ हम सब सर्व प्रथम आपके चरणों में
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− | सादर सविनय समर्पित करते हैं ।
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− | पुनरुत्थान विद्यापीठ के प्रमुख कार्यकर्ता श्रावण कृ. ६,
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− | दि. १३-८-२०१७ को श्रीक्षेत्र बासर गये । और मा ज्ञानसरस्वती के
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− | चरणों में यह पाँच ग्रंथ सादर समर्पित किये ।
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− | सम्पादकीय... .
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− | पुनरुत्थान विद्यापीठ शिक्षा का भारतीयकरण करने के लिये प्रयासरत है । पश्चिमीकरण से भारतीय शिक्षा की मुक्ति
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− | और भारतीय शिक्षा की पुनर्प्रतिष्ठा करना ही इन प्रयासों का स्वरूप है । इस कार्य के लिये विद्यापीठ ने चरणबद्ध योजना
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− | बनाई है । इस योजना का प्रथम चरण है भारतीय शिक्षा विषयक अध्ययन, अनुसन्धान, साहित्य निर्माण और विमर्श ।
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− | भारतीय ज्ञानधारा जिन शाख्रग्रन्थों में सुरक्षित है उन शाख्रग्रन्थों का अध्ययन, उसे वर्तमान परिप्रेक्ष्य में लागू किया
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− | जा सके उस रूप में उसका पुनर्नि्माण करने के उद्देश्य से अनुसन्धान, उसे विद्वानों और सामान्यजनों के लिये सुलभ बनाने
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− | हेतु साहित्य निर्माण और उसकी उपयोगिता और प्रासंगिकता किस प्रकार बढाई जाय इसका विचार करने हेतु विद्वानों और
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− | कार्यकर्ताओं का विमर्श इस प्रकार से कार्य चलता है ।
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− | साहित्यनिर्माण के क्षेत्र में विद्यापीठ ने अब तक भारतीय ज्ञानधारा को विद्यार्थियों तक पहुँचाने हेतु 'पुण्यभूमि भारत
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− | संस्कृति वाचनमाला' के नाम से एक सौ पुस्तिकाओं का निर्माण किया है । साथ ही परिवारजीवन से सम्बन्धित विषयों
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− | को लेकर पांच सन्दर्भग्रन्थ निर्माण किये हैं । विद्यापीठ का मत है कि शिक्षा व्यक्ति के जीवन के साथ प्रारम्भ से ही जुडी
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− | हुई है और वह आजीवन चलती है । वह परिवार में शुरू होती है । व्यक्ति के जीवनविकास का एक बहुत बडा हिस्सा
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− | परिवार में ही होता है । घर भी एक महत्त्वपूर्ण पाठशाला है । परिवार विषयक ये पाँच ग्रन्थ - गृहशास्त्र, अधिजननशास्त्र,
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− | आहारशासख्र, गृहअर्थशास्त्र और गृहस्थाश्रमी का समाजधर्म - शिक्षा विषयक सन्दर्भ ग्रन्थ हैं जिनका क्रियान्वयन का क्षेत्र
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− | घर और समाज है ।
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− | इसी कडी में आगे विद्याकेन्द्रों - प्राथमिक, माध्यमिक विद्यालय तथा उच्च शिक्षा हेतु महाविद्यालय और
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− | विश्वविद्यालय - में शिक्षा विषयक पाँच सन्दर्भग्रन्थ निर्माण करने की योजना बनी । सन २०१५ के प्रारम्भ में बनी
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− | इस योजना की आज लगभग ढाई वर्ष के बाद सिद्धता हो रही है और देश के शिक्षाक्षेत्र में कार्यरत विदट्रज्जनों के
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− | सम्मुख इन्हें प्रस्तुत करते हुए हम हर्ष और सन्तोष का अनुभव कर रहे हैं । प्रत्येक ग्रन्थ चार सौ पृष्ठी का है । ये ग्रन्थ
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− | इस प्रकार हैं -
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− | 1, भारतीय शिक्षा : संकल्पना एवं स्वरूप
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− | 2. शिक्षा का समग्र विकास प्रतिमान
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− | 3. भारतीय शिक्षा के व्यावहारिक आयाम
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− | 4. पश्चिमीकरण से भारतीय शिक्षा की मुक्ति
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− | 5. वैश्विक संकटों का निवारण भारतीय शिक्षा
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− | शिक्षा का भारतीयकरण करने हेतु जितने अंगों से विचार करना चाहिये उन सभी अंगों का विचार करने का प्रयास
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− | इन ग्रन्थों में किया गया है ।
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− | 2.
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| यद्यपि इन पांच ग्रन्थों में “पश्चिमीकरण से शिक्षा की मुक्ति' एक ग्रन्थ है, और वह चौथे क्रमांक पर है तो भी शिक्षा | | यद्यपि इन पांच ग्रन्थों में “पश्चिमीकरण से शिक्षा की मुक्ति' एक ग्रन्थ है, और वह चौथे क्रमांक पर है तो भी शिक्षा |