Changes

Jump to navigation Jump to search
PROF.READ
Line 64: Line 64:  
विकासशील और अर्द्धविकसित तथा गरीब देशों को IMF तथा विश्व बैंक से जो कर्ज या सहायता मिलती है उसमें राजीनतिक नेता तो भ्रष्ट होते ही हैं, तथा बड़े बाँध, विदेशी प्रभाव, विदेशी नशीले शीतल पेय, आयोडीन नमक, उद्योगों के लिए भूमि अधिग्रहण, औषधियों के विषैले प्रभाव आदि के विरुद्ध जन आन्दोलन कराने में भी गोलमेज समुदाय की कोई न कोई संस्था परोक्ष रूप से सहायता देती रहती है। इतना नहीं, गोलमेज समुदाय के सदस्य धार्मिक, राजनीतिक और आर्थिक बिन्दु पर आतंक फैलाने वालों को हथियारों और धन से सहायता करते हैं तथा इनको दबाने वाली सरकारी शक्तियों को भी शस्त्रास्त्र बिक्री करती हैं।
 
विकासशील और अर्द्धविकसित तथा गरीब देशों को IMF तथा विश्व बैंक से जो कर्ज या सहायता मिलती है उसमें राजीनतिक नेता तो भ्रष्ट होते ही हैं, तथा बड़े बाँध, विदेशी प्रभाव, विदेशी नशीले शीतल पेय, आयोडीन नमक, उद्योगों के लिए भूमि अधिग्रहण, औषधियों के विषैले प्रभाव आदि के विरुद्ध जन आन्दोलन कराने में भी गोलमेज समुदाय की कोई न कोई संस्था परोक्ष रूप से सहायता देती रहती है। इतना नहीं, गोलमेज समुदाय के सदस्य धार्मिक, राजनीतिक और आर्थिक बिन्दु पर आतंक फैलाने वालों को हथियारों और धन से सहायता करते हैं तथा इनको दबाने वाली सरकारी शक्तियों को भी शस्त्रास्त्र बिक्री करती हैं।
   −
'दि प्रिजन' के लेखक ने पृष्ठ २३५ पर लिखा है -<blockquote>The International Monetary Fund (I.M.F.) is there to intervene, when poor countries in Africa, Asia and the rest of the developing world get into Elite (Round table group) engineered financial trouble. The idea has been to encourage and bribe the politicians in these countries into relinquishing self-sufficiency in food and into opening their lands to the multinational food and chocolate giants. These countries began to export luxury cash crops to the rich nations and to use that money to pay for imported food from those same rich countries. Also the developing nations would export natural resources to the rich nations at knock-down prices and then buy-back (at inflated prices) the luxury products of the industrialised countries made with those natural resources. However, these luxury goods only go to the tiny, corrupt, political and economic clique in these developing countries. The majority of the population go hungry because the food growing land is occupied by the multinational corporation. The Elite policy was to submerge the poor countries in debt and take them over in the same way that had with the multinationals and the industrialised nations. When these governments find themselves in financial troubles and unable to meet their debt repayments they go to the IMF to restructure the repayments or offer more loans to pay the interest on the previous ones. But in return for imposing more debt the IMF insists that its (Elite) economic policies are followed. These involve cutting of food, health and education subsidies and the exporting of more resources and cash crops. The IMF tells all the developing countries to do this and thus create a glut on the world market for these commodities and the price collapses.</blockquote><blockquote>इस प्रकार से IMF की मदद विकासशील देशों को आर्थिक दृष्टि से कमजोर बनाने का परोक्ष षड़यंत्र करने में सक्रिय है।</blockquote>आर्थिक नीतियों के साथ मुक्त व्यवसाय (free trade) भी कमजोर राष्ट्रों के लिये खतरे की घंटी है । मुक्त व्यापार का नियंत्रण वर्ल्ड ट्रेड आर्गेनाइजेशन (W.T.O) के द्वारा होता है । इसका कार्यालय स्विट्जरलैंड में है । GAAT (जनरल एग्रीमेन्ट ऑन एंड टैरिफ) के माध्यम से जो मुक्त व्यवसाय चल रहा है इसमें शक्तिशाली देशों को कमजोर देशों का शोषण करने की छूट मिल जाती है।
+
'दि प्रिजन' के लेखक ने पृष्ठ २३५ पर लिखा है -<blockquote>The International Monetary Fund (I.M.F.) is there to intervene, when poor countries in Africa, Asia and the rest of the developing world get into Elite (Round table group) engineered financial trouble. The idea has been to encourage and bribe the politicians in these countries into relinquishing self-sufficiency in food and into opening their lands to the multinational food and chocolate giants. These countries began to export luxury cash crops to the rich nations and to use that money to pay for imported food from those same rich countries. Also the developing nations would export natural resources to the rich nations at knock-down prices and then buy-back (at inflated prices) the luxury products of the industrialised countries made with those natural resources. However, these luxury goods only go to the tiny, corrupt, political and economic clique in these developing countries. The majority of the population go hungry because the food growing land is occupied by the multinational corporation. The Elite policy was to submerge the poor countries in debt and take them over in the same way that had with the multinationals and the industrialised nations. When these governments find themselves in financial troubles and unable to meet their debt repayments they go to the IMF to restructure the repayments or offer more loans to pay the interest on the previous ones. But in return for imposing more debt the IMF insists that its (Elite) economic policies are followed. These involve cutting of food, health and education subsidies and the exporting of more resources and cash crops. The IMF tells all the developing countries to do this and thus create a glut on the world market for these commodities and the price collapses.</blockquote>इस प्रकार से IMF की मदद विकासशील देशों को आर्थिक दृष्टि से कमजोर बनाने का परोक्ष षड़यंत्र करने में सक्रिय है।
 +
 
 +
आर्थिक नीतियों के साथ मुक्त व्यवसाय (Free trade) भी कमजोर राष्ट्रों के लिये खतरे की घंटी है । मुक्त व्यापार का नियंत्रण वर्ल्ड ट्रेड आर्गेनाइजेशन (W.T.O) के द्वारा होता है । इसका कार्यालय स्विट्जरलैंड में है । GAAT (जनरल एग्रीमेन्ट ऑन एंड टैरिफ) के माध्यम से जो मुक्त व्यवसाय चल रहा है इसमें शक्तिशाली देशों को कमजोर देशों का शोषण करने की छूट मिल जाती है।
    
The consequences of this can now be seen by all but the most dedicated idiots. The media promotes free trade as a good thing and protection as bad. They have bought the line sold to them by economists, politicians and university lecturers and they sell it to the public.
 
The consequences of this can now be seen by all but the most dedicated idiots. The media promotes free trade as a good thing and protection as bad. They have bought the line sold to them by economists, politicians and university lecturers and they sell it to the public.
Line 74: Line 76:  
कृषि उत्पादन में हर अनाज, फल, सब्जी के स्वाभाविक बीज संरक्षण की प्रक्रिया को समाप्त कर दीया है । फसलों के प्राकृतिक बीजों को नष्ट करके नपुंसक बीजों का प्रचलन प्रारम्भ कराया है। इसका परिणाम यह हुआ है कि हर फसल का बीज किसी बहुराष्ट्रीय कम्पनी के एकाधिकार में चला गया है। कम्पनी से मिला हाइब्रीड बीज कृषक को हर बार नया लेना होगा, उसके खेत में जो फसल पैदा हुई है उसका फल बीज नहीं हो सकता, क्योंकि वह नपुंसक फल होता है। फसलों के बीज उत्पन्न करने के लिये बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने एकाधिकार प्राप्त कर लिया है। कृषि क्षेत्र के नियंत्रण का अधिकार पाँच बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को है जिनमें एंग्लो डच जाइंट यूनिलिवर कम्पनी बिल्डरवर्ग समुदाय की है । दूसरी कम्पनी नैस्ले कॉरपोरेशन स्विट्जरलैण्ड की । इस प्रकार से कृषि क्षेत्र में बीज, खाद, पानी और ट्रेक्टर को केन्द्रीय नियंत्रण का माध्यम बना दिया है। खेती के साथ-साथ गौवंश के उत्पादन में भी बहुराष्ट्रीय कम्पनियां अपना दखल जमाने के लिये देशी गोवंश को नष्ट करके विदेशी नस्लों का फैलाव कर रही हैं। प्रजनन में भी परावलम्बी बना दिया है। सारी प्रक्रिया केन्द्रीय नियंत्रण की दिशा में जा रही है। केन्द्रीय नियंत्रण की प्रक्रिया एक ऐसा युद्ध है जो परोक्ष रूप से हर क्षेत्र में स्वायत्त जीवन को नष्ट कर रहा है।
 
कृषि उत्पादन में हर अनाज, फल, सब्जी के स्वाभाविक बीज संरक्षण की प्रक्रिया को समाप्त कर दीया है । फसलों के प्राकृतिक बीजों को नष्ट करके नपुंसक बीजों का प्रचलन प्रारम्भ कराया है। इसका परिणाम यह हुआ है कि हर फसल का बीज किसी बहुराष्ट्रीय कम्पनी के एकाधिकार में चला गया है। कम्पनी से मिला हाइब्रीड बीज कृषक को हर बार नया लेना होगा, उसके खेत में जो फसल पैदा हुई है उसका फल बीज नहीं हो सकता, क्योंकि वह नपुंसक फल होता है। फसलों के बीज उत्पन्न करने के लिये बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने एकाधिकार प्राप्त कर लिया है। कृषि क्षेत्र के नियंत्रण का अधिकार पाँच बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को है जिनमें एंग्लो डच जाइंट यूनिलिवर कम्पनी बिल्डरवर्ग समुदाय की है । दूसरी कम्पनी नैस्ले कॉरपोरेशन स्विट्जरलैण्ड की । इस प्रकार से कृषि क्षेत्र में बीज, खाद, पानी और ट्रेक्टर को केन्द्रीय नियंत्रण का माध्यम बना दिया है। खेती के साथ-साथ गौवंश के उत्पादन में भी बहुराष्ट्रीय कम्पनियां अपना दखल जमाने के लिये देशी गोवंश को नष्ट करके विदेशी नस्लों का फैलाव कर रही हैं। प्रजनन में भी परावलम्बी बना दिया है। सारी प्रक्रिया केन्द्रीय नियंत्रण की दिशा में जा रही है। केन्द्रीय नियंत्रण की प्रक्रिया एक ऐसा युद्ध है जो परोक्ष रूप से हर क्षेत्र में स्वायत्त जीवन को नष्ट कर रहा है।
   −
==== षड़यंत्रकारी घटक: ====
+
== षड़यंत्रकारी घटक: ==
 
विश्व सरकार द्वारा केन्द्रीय नियंत्रण की मुख्य संचालन शक्ति यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका से प्रसारित होती है। यूनाइटड स्टेट केवल १८ से २० व्यक्तियों द्वारा संचालित होता है। ये चुने हुए व्यक्ति नहीं है। इनकी संस्थायें है जिनकी शक्ति यू.एस. के राष्ट्रपति से भी अधिक है। इन संस्थानों ने संयुक्त रूप से गोपनीय कार्य करने के लिए नेशनल सिक्योरिटी एजेन्सी (NSA) के नाम से एक संस्था बना रखी है। (NSA) द्वारा निर्णित सभी योजनाओं को CIA कार्यान्वित करती है। CIA भी सामाजिक स्तर पर यूनाइटेड नेशंस को निर्देश देता है।
 
विश्व सरकार द्वारा केन्द्रीय नियंत्रण की मुख्य संचालन शक्ति यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका से प्रसारित होती है। यूनाइटड स्टेट केवल १८ से २० व्यक्तियों द्वारा संचालित होता है। ये चुने हुए व्यक्ति नहीं है। इनकी संस्थायें है जिनकी शक्ति यू.एस. के राष्ट्रपति से भी अधिक है। इन संस्थानों ने संयुक्त रूप से गोपनीय कार्य करने के लिए नेशनल सिक्योरिटी एजेन्सी (NSA) के नाम से एक संस्था बना रखी है। (NSA) द्वारा निर्णित सभी योजनाओं को CIA कार्यान्वित करती है। CIA भी सामाजिक स्तर पर यूनाइटेड नेशंस को निर्देश देता है।
   Line 95: Line 97:  
नशीले पदार्थों के व्यवसाय में CIA तथा जॉर्ज बुश पूरी तरह से संलिप्त हैं।
 
नशीले पदार्थों के व्यवसाय में CIA तथा जॉर्ज बुश पूरी तरह से संलिप्त हैं।
   −
जोर्ज बुश तेल (पैट्रोलियम ) ऑयल) का व्यवसायी है। इसकी नीयत अरब देशों के तेल पर रहती है। बुश की नीति यह है कि तेल उत्पादन करने वाले अरब देशों में आपसी संघर्ष रहेगा तो उसका लाभ तेल-कम्पनियों को मिलेगा। इसी नीति को कार्यान्वित करने के लिए गल्फ देशों को आपस में लड़ाने की योजना बनाई गयी थी।
+
जोर्ज बुश तेल (पैट्रोलियम ऑयल) का व्यवसायी है। इसकी नीयत अरब देशों के तेल पर रहती है। बुश की नीति यह है कि तेल उत्पादन करने वाले अरब देशों में आपसी संघर्ष रहेगा तो उसका लाभ तेल-कम्पनियों को मिलेगा। इसी नीति को कार्यान्वित करने के लिए गल्फ देशों को आपस में लड़ाने की योजना बनाई गयी थी।
    
जुलाई १९९० में लंकास्टर हाउस लंडन में एक बैठक NATO के सेक्रेटरी मनफर्ड वौरनर की अध्यक्षता में बुलाई गयी । मनफर्ड वौरनर (बिल्डरवर्ग) राउन्ड टेबिल का अन्तरंग सदस्य है। इस बैठक में 'लंदन डिक्लेरेशन' के अन्तर्गत यह निर्णय हुआ ताकि विश्व सेना की भूमिका बन सके।
 
जुलाई १९९० में लंकास्टर हाउस लंडन में एक बैठक NATO के सेक्रेटरी मनफर्ड वौरनर की अध्यक्षता में बुलाई गयी । मनफर्ड वौरनर (बिल्डरवर्ग) राउन्ड टेबिल का अन्तरंग सदस्य है। इस बैठक में 'लंदन डिक्लेरेशन' के अन्तर्गत यह निर्णय हुआ ताकि विश्व सेना की भूमिका बन सके।

Navigation menu