आहार लेने के बाद उसका पाचन होनी चाहिये । शरीर में पाचनतन्त्र होता है। साथ ही अन्न को पचाकर उसका रस बनाने वाला जठराग्नि होता है । आंतें, आमाशय, अन्ननलिका, दाँत आदि तथा विभिन्न प्रकार के पाचनरस अपने आप अन्न को नहीं पचाते, जठराग्नि ही अन्न को पचाती है। शरीर के अंग पात्र हैं और विभिन्न पाचक रस मानो मसाले हैं । जठराग्नि नहीं है तो पात्र और मसाले क्या काम आयेंगे ? | आहार लेने के बाद उसका पाचन होनी चाहिये । शरीर में पाचनतन्त्र होता है। साथ ही अन्न को पचाकर उसका रस बनाने वाला जठराग्नि होता है । आंतें, आमाशय, अन्ननलिका, दाँत आदि तथा विभिन्न प्रकार के पाचनरस अपने आप अन्न को नहीं पचाते, जठराग्नि ही अन्न को पचाती है। शरीर के अंग पात्र हैं और विभिन्न पाचक रस मानो मसाले हैं । जठराग्नि नहीं है तो पात्र और मसाले क्या काम आयेंगे ? |