Changes

Jump to navigation Jump to search
Line 60: Line 60:  
'''शिक्षक''' : आपकी बात से मैं पूर्ण सहमत हूँ। यही नहीं, मैं आग्रहपूर्वक कहता हूँ कि यह कार्य शिक्षकों को करना है। परन्तु सरकार उन्हें करने नहीं देती। सरकार की सारी संस्थायें शिक्षण, प्रशिक्षण, अनुसन्धान, पाठ्यक्रम आदि बातों में नियन्त्रण करती हैं जिसमें अन्तिम निर्णय आपका होता है। में प्रशासन की सिस्टम और राजकीय पक्षों के निहित स्वार्थ दोनों को इसके लिये जिम्मेदार मानता हूँ। आप विद्वान देशभक्त शिक्षकों को आवाहन करने के स्थान पर, निवेदन करने के स्थान पर उन्हें आदेश देते हैं, उन्हें नियन्त्रित करते हैं और आप निर्णायक बनते हैं, उनका निर्णय नहीं चलता, आपका चलता है ।
 
'''शिक्षक''' : आपकी बात से मैं पूर्ण सहमत हूँ। यही नहीं, मैं आग्रहपूर्वक कहता हूँ कि यह कार्य शिक्षकों को करना है। परन्तु सरकार उन्हें करने नहीं देती। सरकार की सारी संस्थायें शिक्षण, प्रशिक्षण, अनुसन्धान, पाठ्यक्रम आदि बातों में नियन्त्रण करती हैं जिसमें अन्तिम निर्णय आपका होता है। में प्रशासन की सिस्टम और राजकीय पक्षों के निहित स्वार्थ दोनों को इसके लिये जिम्मेदार मानता हूँ। आप विद्वान देशभक्त शिक्षकों को आवाहन करने के स्थान पर, निवेदन करने के स्थान पर उन्हें आदेश देते हैं, उन्हें नियन्त्रित करते हैं और आप निर्णायक बनते हैं, उनका निर्णय नहीं चलता, आपका चलता है ।
   −
'''प्रशासक''' : लेकिन उन्हें निर्णय करने की स्वतन्त्रता दी तो वे कुछ भी करेंगे । आखिर वे कर्मचारी हैं, वेतन
+
'''प्रशासक''' : लेकिन उन्हें निर्णय करने की स्वतन्त्रता दी तो वे कुछ भी करेंगे । आखिर वे कर्मचारी हैं, वेतन मिलते ही उनका मतलब पूरा दो जाता है। वे स्वतन्त्र होने के लायक नहीं हैं। आपकी बात व्यावहारिक नहीं है।
 +
 
 +
'''शिक्षक''' : मुझे हँसी आती है। शिक्षक यदि वेतनभोगी, वेतन का मतलबी कर्मचारी है तो आप उनसे अलग हैं क्या ? उनका भरोसा नहीं किया जा सकता तो आप कैसे दावा कर सकते हैं कि आपका भरोसा किया जाय ? आपकी बात अन्यायपूर्ण है।
 +
 
 +
'''प्रशासक''' : लेकिन हम तो सिस्टम से बन्धे हुए हैं और उसकी मर्यादाओं के अन्दर ही काम करते हैं। उनकी क्या सिस्टम है ?
 +
 
 +
'''शिक्षक''' : अरे महाशय, उनके लिये भी तो आपने सिस्टम बनाई है और आप चाहे तो दण्ड भी दे सकते हैं तो भी वे सिस्टम से नहीं चलते, पढाई होती नहीं और आप कुछ नहीं कर सकते यह तो अभी आपने भी कहा । यदि वे सिस्टम में रहने के लिये बाध्य नहीं किये जा सकते तो आप तो अधिकारी हैं, आपको कौन बाध्य करेगा ?
 +
 
 +
रही बात सिस्टम की। शिक्षा इस निर्जीव सिस्टम में नहीं चलती। शिक्षा की अपनी सिस्टम होती है जिसे आप समझना चाहें तो समझ सकते हैं, परन्तु शिक्षा को उस जिन्दा सिस्टम में काम करने दिया जाय तो शिक्षक अभी भी स्वेच्छा, स्वयंप्रेरणा और ज्ञान से शिक्षा में परिवर्तन करेंगे। आप जरा सिस्टम के बन्धन शिथिल करके तो देखिये, शिक्षकों को आवाहन करके तो देखिये ।
 +
 
 +
'''प्रशासक''' : परन्तु सिस्टम में परिवर्तन करना हमारा काम नहीं है, हमारा अधिकार भी नहीं है। यह तो संसद का काम है, उनका अधिकार है। हम तो सिस्टम के सेवक हैं।
 +
 
 +
'''शिक्षक''' : आपके मुँह से 'सेवक' शब्द सुनकर बहुत अच्छा लगा, परन्तु इन सेवकों' का रॉब तो सम्राट जैसा, नहीं ब्रिटीशों जैसा है। आपके सामने खडा रहकर व्यक्ति पहले तो दब जाय ऐसी ही आपकी भावभंगिमा होती है। खैर, आपने अपने आपको सेवक कहा और
    
==References==
 
==References==
1,815

edits

Navigation menu