# वर्तमान में तो गाँवों को लेकर कोई व्यवस्था ही नहीं है । व्यवस्था तो नगरों को लेकर भी नहीं है। इसी प्रकार से विचार करें तो शिक्षा, समाज जीवन, न्याय, कानून आदि किसी की भी व्यवस्था नहीं है। सारी अनवस्था ही है । इसका कारण यह है कि हमने एक सर्वथा पराये तन्त्र को अपने आप पर थोप लिया है। अपना भी ठीक नहीं हो रहा है और पराया ठीक बैठ नहीं रहा है। | # वर्तमान में तो गाँवों को लेकर कोई व्यवस्था ही नहीं है । व्यवस्था तो नगरों को लेकर भी नहीं है। इसी प्रकार से विचार करें तो शिक्षा, समाज जीवन, न्याय, कानून आदि किसी की भी व्यवस्था नहीं है। सारी अनवस्था ही है । इसका कारण यह है कि हमने एक सर्वथा पराये तन्त्र को अपने आप पर थोप लिया है। अपना भी ठीक नहीं हो रहा है और पराया ठीक बैठ नहीं रहा है। |