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# जिस देश के धर्म और संस्कृति की विश्व के अनेक चिन्तकों ने प्रसंसा की, जिस देश की विज्ञान और तन्त्रज्ञान की उपलब्धियों पर यूरोप के अनेक तन्त्रज्ञान निष्णात विस्मित हुए, जिस देश की कलाकारीगरी की आजतक विश्व में कहीं बराबरी नहीं हो सकी उस देश को दरिद्रता का भय कैसे हो सकता है। ऐसा देश विश्व को चिरन्तर समृद्धि के उपाय बता सकता है।  
 
# जिस देश के धर्म और संस्कृति की विश्व के अनेक चिन्तकों ने प्रसंसा की, जिस देश की विज्ञान और तन्त्रज्ञान की उपलब्धियों पर यूरोप के अनेक तन्त्रज्ञान निष्णात विस्मित हुए, जिस देश की कलाकारीगरी की आजतक विश्व में कहीं बराबरी नहीं हो सकी उस देश को दरिद्रता का भय कैसे हो सकता है। ऐसा देश विश्व को चिरन्तर समृद्धि के उपाय बता सकता है।  
 
# भौतिक समृद्धि, कलाकारीगरी, विज्ञान और तत्त्वज्ञान, शौर्य और पराक्रम, नीति और सदाचार, सिद्धान्त और व्यवहार, राजनीति और व्यापार आदि सर्व क्षेत्रों में भारत हमेशा अग्रणी रहा है। आज भी है। विश्व को आज भी वह सर्व क्षेत्रों में पथप्रदर्शन कर सकता है। आवश्यकता है खोया हुआ आत्मविश्वास पुनः प्राप्त करने की।
 
# भौतिक समृद्धि, कलाकारीगरी, विज्ञान और तत्त्वज्ञान, शौर्य और पराक्रम, नीति और सदाचार, सिद्धान्त और व्यवहार, राजनीति और व्यापार आदि सर्व क्षेत्रों में भारत हमेशा अग्रणी रहा है। आज भी है। विश्व को आज भी वह सर्व क्षेत्रों में पथप्रदर्शन कर सकता है। आवश्यकता है खोया हुआ आत्मविश्वास पुनः प्राप्त करने की।
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==== ५. हीनताबोध से मुक्ति ====
    
==References==
 
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