# ज्ञानात्मक हल ढूँढने के लिये शास्त्रग्रन्थों को और लोकपरम्पराओं को आधार मानना चाहिये । साथ ही सद्यस्थिति का सम्यक् आकलन भी करना चाहिये । यह सब करते समय उदार, निष्पक्षपाती, करुणापूर्ण अन्तःकरण युक्त परन्तु निश्चयी भी होना चाहिये । करुणा ऐसी नहीं हो सकती कि असत्य के प्रति कठोर न हो सके और उदार ऐसे नहीं कि अपना है इसलिये दण्ड न दे अथवा मृदु दण्ड दे। | # ज्ञानात्मक हल ढूँढने के लिये शास्त्रग्रन्थों को और लोकपरम्पराओं को आधार मानना चाहिये । साथ ही सद्यस्थिति का सम्यक् आकलन भी करना चाहिये । यह सब करते समय उदार, निष्पक्षपाती, करुणापूर्ण अन्तःकरण युक्त परन्तु निश्चयी भी होना चाहिये । करुणा ऐसी नहीं हो सकती कि असत्य के प्रति कठोर न हो सके और उदार ऐसे नहीं कि अपना है इसलिये दण्ड न दे अथवा मृदु दण्ड दे। |