धीरे धीरे पश्चिमी देशों को भी इसकी प्रतीति हो रही है। जिस मार्ग पर विश्व चल रहा है वह विनाश की ओर ले जा रहा है इसकी शत-प्रतिशत निश्चिति न भी हुई हो तो भी कुछ भारी गडबड चल रही है ऐसा तो लगने लगा है। तथापि सही मार्ग कौन सा होगा यह भी ध्यान में नहीं आ रहा है। पश्चिम में भी अनेक समझदार और बुद्धिमान लोग मार्ग खोजने का प्रयास कर रहे हैं। भारत विश्व को मार्ग दिखा सकता है ऐसा भी पश्चिम को लगने लगा है। इस स्थिति में भारत को ओर ध्यान देना ही होगा। अपने शाश्वत चिन्तन के प्रकाश में विश्व के संकटों को समझकर उन्हें दूर करने के उपाय विश्व के समक्ष प्रस्तुत करने होंगे। | धीरे धीरे पश्चिमी देशों को भी इसकी प्रतीति हो रही है। जिस मार्ग पर विश्व चल रहा है वह विनाश की ओर ले जा रहा है इसकी शत-प्रतिशत निश्चिति न भी हुई हो तो भी कुछ भारी गडबड चल रही है ऐसा तो लगने लगा है। तथापि सही मार्ग कौन सा होगा यह भी ध्यान में नहीं आ रहा है। पश्चिम में भी अनेक समझदार और बुद्धिमान लोग मार्ग खोजने का प्रयास कर रहे हैं। भारत विश्व को मार्ग दिखा सकता है ऐसा भी पश्चिम को लगने लगा है। इस स्थिति में भारत को ओर ध्यान देना ही होगा। अपने शाश्वत चिन्तन के प्रकाश में विश्व के संकटों को समझकर उन्हें दूर करने के उपाय विश्व के समक्ष प्रस्तुत करने होंगे। |