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| === १. भारत की दॄष्टि से क्यों देखना === | | === १. भारत की दॄष्टि से क्यों देखना === |
| + | भारत विश्व को पश्चिम और पूर्व में बाँटता नहीं है। यूरोप के लोग भारत में आने के लिये निकले तब पूर्व दिशा में उन्होंने यात्रा शुरू की। इसलिये भारत उनके लिये पूर्वी देश है। आज विश्व में युरोपीय शब्दावली रूढ हुई है इसलिये यूरोप और विशेष रूप से इंग्लैण्ड के सन्दर्भ से पूर्वपश्चिम दिशायें तय होती हैं । इसलिये भारत के लिये भी यूरोप और अमेरिका पश्चिम के देश हैं। |
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| + | सांस्कृतिक दृष्टि से भारत विश्व को एक मानता है। इसलिये भारत सभी बातों का वैश्विक सन्दर्भ में ही विचार करता है। विश्व के सन्दर्भ में भारत के मूल विचार कुछ इस प्रकार हैं..<blockquote>अयं निज परोवेत्ति गणना लघुचेतसाम् । </blockquote><blockquote>उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् ।। </blockquote>अर्थात् |
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| + | यह अपना है और यह पराया ऐसी सोच छोटे मन वाले लोगों की होती है, जिनका अन्तःकरण उदार है उनके लिये तो सम्पूर्ण पृथ्वी एक कुटुम्ब है। |
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| + | कुटुम्ब कहते ही आत्मीयता का सम्बन्ध निहित है। अर्थात् भारत सम्पूर्ण विश्व के साथ आत्मीयता से युक्त व्यवहार करता है।<blockquote>यद् भूतहितमत्यन्तं तत्सत्यमभिधीयते । </blockquote>अर्थात् जो भूतमात्र का हित कहता है वही सत्य है। |
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| + | यहां भी केवल अपने ही हित की बात नहीं सोची गई है, केवल मनुष्य के हित की बात भी नहीं सोची गई है अपितु चराचर के हित का विचार करना ही सही माना गया <blockquote>सर्वेभवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः । </blockquote><blockquote>सर्वेभद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत् । </blockquote>अर्थात् |
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| + | भारत विश्व को पश्चिम और पूर्व में बाँटता नहीं है। यूरोप के लोग भारत में आने के लिये निकले तब पूर्व दिशा में उन्होंने यात्रा शुरू की। इसलिये भारत उनके लिये पूर्वी देश है। आज विश्व में युरोपीय शब्दावली रूढ हुई है इसलिये यूरोप और विशेष रूप से इंग्लैण्ड के सन्दर्भ से पूर्वपश्चिम दिशायें तय होती हैं । इसलिये भारत के लिये भी यूरोप और अमेरिका पश्चिम के देश हैं। |
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| + | सांस्कृतिक दृष्टि से भारत विश्व को एक मानता है। इसलिये भारत सभी बातों का वैश्विक सन्दर्भ में ही विचार करता है। विश्व के सन्दर्भ में भारत के मूल विचार कुछ इस प्रकार हैं.. |
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| + | अयं निज परोवेत्ति गणना लघुचेतसाम् । उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् ।। अर्थात् |
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| + | यह अपना है और यह पराया ऐसी सोच छोटे मन वाले लोगों की होती है, जिनका अन्तःकरण उदार है उनके लिये तो सम्पूर्ण पृथ्वी एक कुटुम्ब है। |
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| + | कुटुम्ब कहते ही आत्मीयता का सम्बन्ध निहित है। अर्थात् भारत सम्पूर्ण विश्व के साथ आत्मीयता से युक्त व्यवहार करता है। |
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| + | यद् भूतहितमत्यन्तं तत्सत्यमभिधीयते । अर्थात् जो भूतमात्र का हित कहता है वही सत्य है। |
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| + | यहां भी केवल अपने ही हित की बात नहीं सोची गई है, केवल मनुष्य के हित की बात भी नहीं सोची गई है अपितु चराचर के हित का विचार करना ही सही माना गया |
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| + | सर्वेभवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः । सर्वेभद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत् । अर्थात् |