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| 'हाउ एक्साइटिंग ! | | 'हाउ एक्साइटिंग ! |
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− | इस 'हाउ एक्साइटिंग' में से ही सारी समस्याएँ निर्माण होती हैं। कई हत्याएँ मात्र ‘एक्साइटमेंट' के लिये होती है। एक सौंदर्यप्रसाधन गृह में एक युवक गया और और वहाँ बाल बनवा रही आठ- दस महिलाओं को उसने अकारण ही पिस्तौल से मार दिया। उसमें उसे निर्हेतुक आनंद था । अपने देश में दारिद्रय के कारण मृत्यु सस्ती है पर अमेरिका में तो विपुल संपत्ति के कारण मृत्यु सस्ती है । पर वहाँ प्राकृतिक मौत बहुत महंगी है। 'दफन' की बात | + | इस 'हाउ एक्साइटिंग' में से ही सारी समस्याएँ निर्माण होती हैं। कई हत्याएँ मात्र ‘एक्साइटमेंट' के लिये होती है। एक सौंदर्यप्रसाधन गृह में एक युवक गया और और वहाँ बाल बनवा रही आठ- दस महिलाओं को उसने अकारण ही पिस्तौल से मार दिया। उसमें उसे निर्हेतुक आनंद था । अपने देश में दारिद्रय के कारण मृत्यु सस्ती है पर अमेरिका में तो विपुल संपत्ति के कारण मृत्यु सस्ती है । पर वहाँ प्राकृतिक मौत बहुत महंगी है। 'दफन' की बात होते ही वहाँ जिंदा मौत आती है। अपने शुभकार्यों की तरह वहाँ अशुभ कार्य वाले भी प्रथम, द्वितीय, तृतीय स्तर का सुशोभन उपलब्ध कराते हैं । हमने तो केवल मुर्दा और चेक ही उनके हवाले करना है। शबपेटी, खड्डा, पुष्पहार, तस्वीरें,अखबारों में प्रसिद्धि आदि कोई चिंता करने की आवश्यकता नहीं है । |
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| + | मुझे लगता है कि अमेरिका में जिंदा रहने से मरना अधिक महंगा है । मृत्यु तो क्या,बीमार पड़ना भी उतना ही महंगा है। उसमें भी बाकी अन्य बीमारियों से भी दाढ का दर्द तो मनुष्य को दिवालिया ही बना देता है। डॉक्टर्स एक- एक दांत के लिये एक-एक हजार रूपिया ( तीस चालीस साल पहले ) लेते हैं । दांत की डॉक्टरी एक प्रतिष्ठित लूट ही है । मेरे एक मित्र की पत्नी का दांत सफाई का बील देखने के बाद तो मुझे लगा कि इतने पैसे में से अपने भारतीय दंतवैद्य ने प्राणी संग्रहालय के सभी मगरमच्छों के दांत भी साफ कर दिये होते । परंतु दंतवैद्य के यहाँ जाना और फिर पार्टीओँ में उसका उल्लेख करना भी बडी प्रतिष्ठा की बात रहती है । जैसे अपने यहाँ-कल ताज में गये थे - वहाँ क्या हुआ उसका कोई महत्त्व नहीं-ताज में लंच के लिये गये यह सुनाना महत्त्वपूर्ण होता है उस प्रकार 'सॉरी, कल तो मैं रमी खेलने नहीं आ सकती, मेरी डेंटीस्ट की एपोइंटमेंट है- यह वाक्य सब के सर पर ठोकना होता है। क्यों कि उस देश में आपका सभी बडप्पन आपकी पासबुक पर ही आधारित रहता है। |
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| + | 'सर्वे गुणा :कांचनमाश्रयते' यह ठीक है पर अमेरिका में डॉलर्स शब्द का जितनी अधिक बार उल्लेख होता है उतना कहीं नहीं होता । टीवी पर घण्टों तक हजारों डॉलर्स के इनामों की घोषणाएं चलती रहती है । साहित्य, संगीत, कला सबका मूल्यांकन मिले हुए डॉलर्स के आधार पर ही होता है। इसलिये जीवन की प्रत्येक कृति का पर्यवसान डॉलर्स में ही होता है। यह शिक्षा बचपन से ही मिलती है। पति की जेब से डॉलर्स खतम तो पत्नी भी गई । पिता की जेब से डॉलर्स समाप्त तो बच्चे घर से बाहर । बहुत मिन्नत करके आपको किश्तों पर फ्रिझ, फर्निचर,कार देनेवाले लोग अगर आपकी एक किश्त अनियमित हुई तो पूरे परिवार को घर से रास्ते पर ला देते |
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| + | इन सब बातों से उब गई तरुण पिढीने भी डूबकी लगाई तो अफीम, गांजे जैसे भयंकर व्यसनों में । उपर से सब कितना सुंदर दिखता है, नजर लग जाय ऐसे मकान, सुंदर उद्यान, बाझार में दूध दही, फलफूल के ढेर देखकर आँखें चौंधिया जाती है। मैं वॉशिंग्टन में घुम रहा था। करोडो डॉलर्स खर्चा करके बनाया 'केनेडी नाट्यगृह'वहाँ की पोटोमेक नदी के किनारे खडा है। उस विशाल नाट्यगृह में एक साथ तीन कार्यक्रम हो सके ऐसे विशाल सभागार हैं। उसकी छत से वॉशिंग्टन का बडा सुंदर द्रश्य दिखता है। पोटोमेक का शांत प्रवाह बडा नयनरम्य है। |
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| + | 'कैसी सुंदर नदी है। ऐसी सालभर भर भर कर बहनेवाली नदियाँ हो तो और क्या चाहिये ?' |
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| + | केवल दिखने में सुंदर है यह नदी ।' |
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| + | 'यानी? |
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| + | 'पूरा पानी पॉल्युटेड है। दुषित है, एक चूंट भी पीनेलायक नहीं है। मेरे अमेरिकन मित्र ने कहा। |
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| + | यहाँ सब ऐसा ही है। मेरी ऑफिस में काम करनेवाले मित्र की माताजी का देहावसान हुआ। हमेशा की तरह ऑफिस में हम व्यावसायिक चर्चा कर रहे थे । मैं ने बडे संकोच से कहा, 'माताजी दिवंगत हो गई, बहुत बुरी खबर है, तुम फ्युनरल में कब जाओगे ?' उसकी माँ निकटस्थ उपनगर में रहती थी। 'मैं क्यों फ्युनरल में जाउंगा ? मैंने फ्यूनरल कंपनी को फोन कर दिया है। वे लोग सब संभाल लेंगे। यह उसका उत्तर था। |
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| + | और इस देश में 'मधर्स डे' बहुत उत्साह से मनाया जाता है। मुझे अमेरिका की पोस्टऑफिस का पता तो मिल गया पर खुद अमेरिका का पता नहीं मिला । वास्तव में तो खुद अमेरिकन्स भी अपना पता खो बैठे हैं। |
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