मगींग-माने आते जाते एकाकी आदमी को मार कर लूट लेना । किस पल अपनी मौत आएगी यह कह नहीं सकते।
मगींग-माने आते जाते एकाकी आदमी को मार कर लूट लेना । किस पल अपनी मौत आएगी यह कह नहीं सकते।
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यह वृद्धा मुझे गुंडा मान बैठी थी । मैं उसे मार कर लूट लुंगा ऐसा उसे लगता था। उसने मुझे पोस्ट ओफ़िस
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यह वृद्धा मुझे गुंडा मान बैठी थी । मैं उसे मार कर लूट लुंगा ऐसा उसे लगता था। उसने मुझे पोस्ट ओफ़िस पहुँचने तक लगातार हत्या तथा पीटाई के भय से उसके जैसी वृद्धाओं को कैसा एकाकी जीवन जीना पडता है यह समझाया । एक सप्ताह पूर्व ही उसकी एक समवयस्क पडोसन की पिटाई कर कोई उसकी पर्स उठा ले गया था ।
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'मैं भी हमेशा घण्टी बजने पर बड़ी सावधानी से दरवाजा खोलती हूँ।
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मुझे याद आया की यहाँ तो पोस्टमेन भी नीचे सबके नाम लिखी पेटी में ही डाक डालता है। दूधवाला भी दरवाजे पर बॉटल रख कर चला जाता है। कभी कभी बॉटल दूसरे दिन भी वहाँ पड़ी मिली तो पुलिस को जानकारी देता है, दरवाजा तोड कर अंदर जाने पर पुलिस को सडी हुई लाश मिलती है। उस एकाकी जीवन के अंतिम क्षण भी ऐसे भयावह होते हैं।
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दो दिन पहले ही हमने न्यूयोर्क को घेर कर बहती नदियों में नाव में बैठकर शहर की परिक्रमा की थी। कितना रमणीय दिखता था वह शहर ! किनारे पर स्थित वह रमणीय उद्यान, विश्वविद्यालय का रमणीय परिसर, खेल के विशाल मैदान, उसमे चल रहे युवक -युवतिओं के खेल,नदी पर बना वह प्रचंड सेतु । नदी में चल रहा युवाओं का स्वच्छंद नौकाविहार, हडसन नदी पर से न्यूजर्सी की ऑर जानेवाला वह प्रचण्ड पुल । तिमंजिले रास्ते,मोटरों की कतारें, उत्तुंग भवन, और फिर भी इतनी ही समृद्ध वनसंपदा । स्वातंत्र्यदेवी की प्रतिमा से मेनहटन की ओर बोट मुडते ही अपनी सौ सवासौ मंजिलों वाली इमारतों पर विद्युतदीपों को झगमगाती और सहस्र कुबेरों का ऐश्वर्य प्रकट करनेवाली वह न्यूयोर्क नगरी । मन ही मन कह रहा था, कितने सौभाग्यशाली हैं ये लोग ? परंतु यहां तो बात कुछ और ही सुनने को मिलि । तो फिर क्या यह अंदर से सडे गले सेवों का बगीचा था ?
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शहर और अपराध एकदूसरे का हाथ पकडकर ही आते हैं। मैं दस वर्ष पूर्व इस शहर में आया था। सेंट्रल पार्क में बहुत घुमाफिरा था । परंतु हमें किसी ने आधी रात को न घुमने की हिदायत नहीं दी थी । और आज दस वर्ष