Line 56: |
Line 56: |
| 21. सन् १९३० में राष्ट्रपति रूजवेल्ट ने युद्ध जहाज भेज कर पनामा के ऊपर चढ़ाई की, अपनी फौज उतारी । पनामा के लोकप्रिय कमाण्डर को पकड़ा और मार डाला और पनामा को स्वतन्त्र देश घोषित किया। फिर वहाँ पर एक कठपूतली सरकार बिठा दी और उसके साथ पनामा नहर का करार किया । उसके अनुसार नहर के दोनों और का प्रदेश अमेरिकन प्रदेश घोषित करवाया गया। अमेरिकन सेना की उपस्थिति वैध मानी गई । और इस प्रकार स्वतन्त्र करवाये गये पनामा देश के ऊपर वाशिंग्टन का सम्पूर्ण अंकुश स्थापित हो गया । विशेष बात यह है कि इस करार के ऊपर अमेरिका के सेक्रेटरी के हस्ताक्षर किये गये और दूसरे पक्ष में एक फ्रेंच इंजिनीयर के हस्ताक्षर करवाये गये । पनामा के किसी भी नागरिक के हस्ताक्षर इस करार पर नहीं थे । संक्षेप में, अमेरिका का हित साधने के लिए पनामा को कोलम्बिया से बिल्कुल अलग थलग कर दिया गया । पचास वर्ष से भी अधिक समय तक वोशिंग्टन के साथ प्रगाढ़ सम्बन्ध रखने वाले धनवान परिवारों ने पनामा पर राज्य चलाया । अमेरिका के हितों को ही प्रोत्साहन मिलता रहे, इसके लिए जो कुछ भी करना पड़े, वह करने वाले स्वयं सत्ताधीशों ने पनामा पर राज्य किया। | | 21. सन् १९३० में राष्ट्रपति रूजवेल्ट ने युद्ध जहाज भेज कर पनामा के ऊपर चढ़ाई की, अपनी फौज उतारी । पनामा के लोकप्रिय कमाण्डर को पकड़ा और मार डाला और पनामा को स्वतन्त्र देश घोषित किया। फिर वहाँ पर एक कठपूतली सरकार बिठा दी और उसके साथ पनामा नहर का करार किया । उसके अनुसार नहर के दोनों और का प्रदेश अमेरिकन प्रदेश घोषित करवाया गया। अमेरिकन सेना की उपस्थिति वैध मानी गई । और इस प्रकार स्वतन्त्र करवाये गये पनामा देश के ऊपर वाशिंग्टन का सम्पूर्ण अंकुश स्थापित हो गया । विशेष बात यह है कि इस करार के ऊपर अमेरिका के सेक्रेटरी के हस्ताक्षर किये गये और दूसरे पक्ष में एक फ्रेंच इंजिनीयर के हस्ताक्षर करवाये गये । पनामा के किसी भी नागरिक के हस्ताक्षर इस करार पर नहीं थे । संक्षेप में, अमेरिका का हित साधने के लिए पनामा को कोलम्बिया से बिल्कुल अलग थलग कर दिया गया । पचास वर्ष से भी अधिक समय तक वोशिंग्टन के साथ प्रगाढ़ सम्बन्ध रखने वाले धनवान परिवारों ने पनामा पर राज्य चलाया । अमेरिका के हितों को ही प्रोत्साहन मिलता रहे, इसके लिए जो कुछ भी करना पड़े, वह करने वाले स्वयं सत्ताधीशों ने पनामा पर राज्य किया। |
| | | |
− | 22. मैं विचार करता हूँ कि मेरे देश का व्यवहार | + | 22. मैं विचार करता हूँ कि मेरे देश का व्यवहार दुनिया के प्रति कैसा है ? प्रेसिडेन्ट जेम्स मनरो ने १८२३ में मनरो सिद्धान्त लागू किया । उसमें कहा गया कि अमेरिका की नीति को जो लागू करने से मना करे उस देश पर चढ़ाई करने का अमेरिका को विशेष अधिकार है । मनरो के बाद के प्रमुखों ने जब दूसरे देशों पर चढ़ाई की तब उसे उचित ठहराने के लिए इस मनरो सिद्धान्त को वह बहाने के रुप में आगे किया गया था। |
| + | |
| + | 23. विदेशी सहायता का जो खेल है, वह बनावटी है। उससे राजनेता अति धनवान होते हैं और देश कर्ज में डूब जाता है । यह पद्धति ऐसी धारणा पर रची हुई है कि सत्ता पर बैठे सभी राजनेता भ्रष्टाचारी होते हैं। और कोई सत्ताधीश अगर स्वयं के हित के लिए उसका उपयोग न करना चाहे अर्थात् ऐसा प्रामाणिक निकले तो उसे अमेरिका को धमकी देने के रूप में देखा जाता है, क्यों कि उसके एक के बाद एक ऐसे प्रत्याघात आते हैं कि इन देशों को चूसने की यह पद्धति ही टूट जाती है। |
| + | |
| + | 24. रोबर्ट मेकनमारा (फोर्ड कम्पनी का मेनेजर, जिसे अमेरिकन प्रमुख केनेडी ने सरकार में गृह मंत्री बनाया था) आक्रमक नेतागीरी की वकालत करता था, और वियतनाम युद्ध जीतने के लिए गणितीय गणना करके आँकड़े निकाल कर उसके अनुसार वित्तीय आवंटन करता था । यह पद्धति सरकार और बड़े बड़े कोर्पोरेशन चलाने का आधार बन गई। और उसके अनुसार देश की उच्चतम मेनेजमेंट की स्कूलों में भी पढ़ाना प्रारम्भ हुआ। उसमें से चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसरों की एक नई जाति ही पैदा हो गई। जिन्हों ने अमेरिका को विश्व साम्राज्य बनाने के लिए सर्वत्र पैठ बनाई थी। मैं अब देखता हूँ कि रॉबर्ट मेक्नामारा का इतिहास में सबसे बड़ा पापी निर्णय यही था। दुनिया ने कभी देखा न हो इतनी हद तक विश्व बैंक को वैश्विक साम्राज्य का एजेन्ट बना दिया गया है। उसके बाद तो अनेक कोर्पोरेशनों के मेनेजर सरकार में बड़े पदों पर चुने जाने लगे, जो हमारे जैसे आर्थिक हत्यारों की मदद से अमेरिका को विश्व साम्राज्य में बदलने लगे। |
| + | |
| + | 25. सन १९७८ में कुछ समय के लिए पेट्रोलियम का संकट निर्माण हुआ था। परन्तु उसका प्रभाव बहुत अधिक हुआ। उससे कोर्पोरेटोक्रेसी - कम्पनीशाही बहुत मजबूत हुई । उसके तीन आधार स्तम्भों - बड़े कोर्पोरेशन, अन्तरराष्ट्रीय बैंक और सरकार - का गठबन्धन इससे पहले कभी न था, ऐसा मजबूत हुआ। |
| + | |
| + | 26. साउदी अरब के नबीरा परिवार पूरी दुनिया में घूमते थे युरोप अमेरिका के स्कूल, युनिवर्सिटियों में पढ़ते थे, फेन्सी कार खरीदते थे और अपने घरों को पश्चिमी पद्धति से सजाते थे । पुरानी धार्मिक मान्यताओं के स्थान पर भौतिक वाद फैल गया। इस भौतिकवाद के कारण से हमें यह पक्का विश्वास हो गया कि भविष्य में अब कभी तेल की कमी नहीं आयेगी। |
| + | |
| + | 27. मैं यही कहना चाहता हूँ कि करोड़ों - अरबों डॉलर साउदी अरब के अर्थतंत्र में डाल देने के लिए उचित ठहराने का तर्क ढूँढ़ निकालना, जिसमें विशेष शर्ते ये होती थीं कि हमारे देश की इन्जिनीयरिंग और निर्माण कार्य की कम्पनियों को ही ओर्डर मिले, जिससे सारा धन हमारे देश में आ जाये और उनका अर्थतंत्र हम पर निर्भर हो जाय और साथ साथ वे लोग पश्चिम की पद्धति के गुलाम बन जाय, जिससे भविष्य में वे हमारा विरोध न करे । |
| + | |
| + | 28. हमने यह निश्चित किया कि साउदी अरब में राक्षसी कद के विशाल उद्योग विकसित किया जाय और उसके रण में पेट्रोलियम रिफाइनरियाँ स्थापित करके पेट्रोलियम का एक्सपोर्ट किया जाय । उसके लिए जंगी औद्योगिक क्षेत्रों को बसाना, उनके लिए हजारों मेगावाट के विद्युत केन्द्र खड़े करना, उनकी ट्रान्समिशन लाइनें डालना, हाइवे, पाइपलाइन, दूरसंचार के नेटवर्क, ट्रान्सपोर्ट, नये एयरपोर्ट स्थापित करना, बन्दरगाह विकसित करना, अनेक प्रकार की सेवा उद्योग श्रेणी और यह सब चालू रखने के लिए जरुरी आधारभूत ढाँचा खड़ा किया जाय । हमें बहुत ऊँची आशा थी कि ऐसा एक मॉडल खड़ा हो तो शेष दुनिया को दिखाकर साउदी हमारा गुणगान करेंगे । अनेक देश के नेताओं को आमंत्रण देकर हमारा किया हुआ जादुई विकास बतायेंगे और दूसरे देश के नेता अपने देश में ऐसा ही करने के लिए हमें विनती करेंगे । और जहाँ पेट्रोलियम नहीं निकलता ऐसे देश विश्व बैंक से लोन लेकर ऐसा करने के लिए ललचायेंगे । इतने लोन देकर उन्हें कर्ज में डूबो देने की हमारी नीति जीतेगी और अमेरिका वैश्विक साम्राज्य स्थापित करने में सफल होगा । |
| + | |
| + | 29. इस विकास में से फिर और अधिक विकास के अवसर मिले। मजदूरों के लिए घर चाहिए, उनके लिए मकान निर्माण कार्य के संकुल चाहिए, उनके लिए बाजारों के शोपिंग सेन्टर या मॉल, अस्पताल, फायर स्टेशन से लेकर पुलिस चौकियाँ तक के भवन, पानी के स्रोत तथा गन्दा पानी निकास के प्लान्ट, बिजली, सन्देश-व्यवहार, ट्रान्सपोर्टेशन का मायाजाल, ऐसे पूरे के पूरे आधुनिक शहर ही खड़े करने होंगे । फिर यह सब पूरे रण में खड़ा करना होगा। समुद्र के खारे पानी को मीठा पानी बनाने के प्लान्ट, स्वास्थ्य सेवाओं के संकुल, कम्प्यूटर टेक्नोलॉजी आदि जेसे जंगी अवसर मिलेंगे । इतिहास में कभी न हुआ हो ऐसे जंगी अवसर । फिर इनके पास पेट्रोलियम का अनाप-शनाप पैसा है ही। हमारा मुख्य हेतु उनका धन अमेरिका में आ जाय और साउदी अरब हम पर निर्भर बन जाय, यह था । हम मात्र निर्माण काम ही खड़ा करके दे देंगे, इतना ही नहीं अपितु सभी तंत्र चलाते रहने का रखरखाव का ठेका भी ले लिया । अर्थात् ऐसा आयोजन किया कि मेइन, बेचेल, ब्राउन और रुट, हली बर्टन, स्टोन एण्ड वेबस्टर जैसी अनेक कम्पनियों की आने वाले दशकों तक कमाई के ठाटबाट हो जाय । फिर इस में से एक नई बात निकली कि सउदी अरब का विकास हो यह रुढ़िवादी मुस्लिमों को पसन्द नहीं आयेगा । इजराइल और पड़ौसी देशों को धमकी के रूप में लगेगा । इसमें से युद्ध के भय के कारण मिलिट्री के बड़े बड़े ठेके मिलेंगे और इन कामों के रख रखाव के ठेके भी मिलेंगे। इसमें से पुलिसथाना, मिसाइल की जगह एयरपोर्ट और सेना के साथ जुड़े हुए ढाँचागत व्यवस्थाओं के ठेके आदि । साउदी अरब को विकास के नाम पर लूट लेने की इस सम्पूर्ण योजना को हमने SAMA नाम दिया । SAMA अर्थात् “साउदी अरब मनी लोण्डरिंग अफेर” । यह हमारा गुप्त नाम था । परन्तु “साउदी अरब मोनेटरी एजेन्सी” | अर्थात SAMA नाम वहाँ पर था ही। संक्षेप में हमें लगता था कि हम सभी निवृत्त हो जायेंगे, तबतक इस गाय को दुहते ही रहना है। इसलिए १९७३ में जो तेल का संकट पैदा हुआ, वह हमारे लिए अकल्पनीय आशीर्वाद बन गया जो अन्त में हमें वैश्विक साम्राज्य की ओर ले गया । |
| + | |
| + | 30. राष्ट्रपति बुश, साउदी अरब का मुख्य घर और ओसामा बिन लादेन के व्यापारिक सम्बन्धों के बारे में जो बात प्रकट हुई, उससे मुझे तनिक भी आश्चर्य नहीं लगा। मुझे तो उनके सम्बन्ध ठेठ १९७८ से हैं अर्थात् पुराने हैं. इसकी जानकारी थी। |
| + | |
| + | 31. अमेरिका में ११ सितम्बर को दो टॉवर गिरा दिये गये उसके बाद धनवान साउदी अरब जिसमें ओसामा बिन लादेन के परिवार के लोग भी थे, उन्हें प्राइवेट जेट विमानों के द्वारा फुर्ती के साथ अमेरिका से बाहर भगा दिया गया । इन |
| + | |
| + | उड़ानों का क्लीयरन्स भी नहीं हुआ। किसी भी पेसेन्जर को कुछ भी पूछा नहीं गया । राष्ट्रपति बुश के दीर्घकालीन पारिवारिक सम्बन्धों ने ही इसमें मदद की है ना ? |
| + | |
| + | 32. एक दिन पौला (कोलम्बिया की एक स्त्री का नाम) ने मुझे कहा कि आपने अच्छा किया कि जो बाँध बना रहे हो नदी के किनारे पर, वहाँ के स्थानीय लोग और सभी किसान तुम्हें धिक्कार रहे हैं । अरे ! शहर के लोग जिनका इस बाँध के साथ कोई सम्बन्ध नहीं वे सब भी तुम्हारे निर्माण करने वाले केम्प के ऊपर जो गेरिला लोग हमला करते हैं, उनके प्रति सहानुभूति रखते हैं । तुम्हारी सरकार भले ही उन्हें साम्यवादियों, आतंकवादियों और नार्कोटिक जैसे ड्रग बैचने वालों के रूप में बताये सत्य हकीकत यही है कि तुम्हारी कम्पनी जिन जमीनों का नाश कर रही है, उन जमीनों पर जीने वाले कुटुम्ब - कबीले वाले लोग बिल्कुल सीधे सादे हैं । ऐसी नीतियों के कारण मुझे मेरे साथ ही जीने में बहुत अधिक कठिनाई निर्माण होने लगीं । पौला ने मेरे सामने ही एक समाचारपत्र खोला, और उसमें छपा हआ पत्र मुझे पढ़ कर सुनाया । वह पत्र यह था। "हम सब अपने पूर्वजों के रक्त की सौगन्ध खाकर प्रतिज्ञा करते हैं कि इस नदी के ऊपर कभी भी बाँध बनने नहीं देंगे । हमारी जमीन पर पानी भर जाय उससे तो अच्छा |
| | | |
| ==References== | | ==References== |