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| === [[वर्तमानकालीन वैश्विक परिस्थिति]] === | | === [[वर्तमानकालीन वैश्विक परिस्थिति]] === |
| + | 1. [[सोवियत संघ का विनाश]] 2. युरो आटलिन्टिक विश्व का पतन और इन्डो पेंसिफिक विश्व का उदय 3. इस्लामी आतंकवादका प्रसार 4. छीनने मचाया हुआ उत्पात |
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− | ==== सोवियत संघ का विनाश ==== | + | === राजनीतिक प्रवाहों का वैश्विक परिदृश्य === |
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− | ==== युरो आटलिन्टिक विश्व का पतन और इन्डो पेंसिफिक विश्व का उदय ==== | + | === अमेरिका एक समस्या === |
− | | + | विकास की अवधारणा |
− | ==== इस्लामी आतंकवादका प्रसार ====
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− | ==== चीनने मचाया हुआ उत्पात ====
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− | === राजनीतिक प्रवाहों का वैश्विक परिदृश्य ===
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− | अमेरिका एक समस्या
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− | ==== विकास की अवधारणा राष्ट्रीय व सामाजिक रचना के मूलभूत आधार से सम्बंधित समस्याएँ ====
| + | 1 .राष्ट्रीय व सामाजिक रचना के मूलभूत आधार से सम्बंधित समस्याएँ |
| # बाजार में सामर्थ्यवान ही टिक पायेगा | | # बाजार में सामर्थ्यवान ही टिक पायेगा |
| # आर्थिक विषमता में लगातार वृद्धि व टेक्नोलोजी का दुरुपयोग | | # आर्थिक विषमता में लगातार वृद्धि व टेक्नोलोजी का दुरुपयोग |
| # पारिवारिक अस्थिरता व व्यक्ति का अकेलापन, पश्चिम के अनुकरणीय गुण, पश्चिम द्वारा निर्मित पारिवारिक-सामाजिक-प्राकृतिक समस्याएँ, पारिवारिक समस्याएँ, सामाजिक समरसता, प्राकृतिक संपदा का संरक्षण व सदुपयोग, अन्य राष्ट्रों के प्रति बडप्पन : सोच व जिम्मेदारी, | | # पारिवारिक अस्थिरता व व्यक्ति का अकेलापन, पश्चिम के अनुकरणीय गुण, पश्चिम द्वारा निर्मित पारिवारिक-सामाजिक-प्राकृतिक समस्याएँ, पारिवारिक समस्याएँ, सामाजिक समरसता, प्राकृतिक संपदा का संरक्षण व सदुपयोग, अन्य राष्ट्रों के प्रति बडप्पन : सोच व जिम्मेदारी, |
| # बौद्धिक-श्रष्टाचार | | # बौद्धिक-श्रष्टाचार |
| + | 2. ऐसी तात्कालिक समस्याएँ, जिन के परिणाम दूर॒गामी हैं, स्वत्व की पहचान (खबशप-गेंद) का भ्रम |
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− | ==== ऐसी तात्कालिक समस्याएँ, जिन के परिणाम दूर॒गामी हैं, स्वत्व की पहचान (खबशप-गेंद) का भ्रम, ====
| + | वैश्विक समस्याओं का भारत पर प्रभाव, विश्व की अर्थ व्यवस्थाएँ सन १००० से २००३, |
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− | ==== वैश्विक समस्याओं का भारत पर प्रभाव, विश्व की अर्थ व्यवस्थाएँ सन १००० से २००३, ====
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| भारत के सात दशक: एक केस-स्टडी, | | भारत के सात दशक: एक केस-स्टडी, |
| # काल-खंड १, १९४७-६७ (लगभग २० वर्ष) : मेहनतकश ईमानदार नागरिक, मगर रोजी-रोटी की जद्दोजहद, | | # काल-खंड १, १९४७-६७ (लगभग २० वर्ष) : मेहनतकश ईमानदार नागरिक, मगर रोजी-रोटी की जद्दोजहद, |