इस प्रश्न का एक और पहलू भी है। शिक्षा अर्थ निरपेक्ष होने का एक पहलू है पढ़ाने के पैसे नहीं लेना । यह निश्चय तो शिक्षक को करना है। वर्तमान समय में अर्थार्जन ही मुख्य लक्ष्य हो गया हो तब पढ़ाने का पैसा नहीं लेने वाले शिक्षक कहाँ से मिलेंगे ? निःशुल्क शिक्षा के जो भी उदाहरण दिये जाते हैं उनमें छात्रों को शुल्क नहीं देना पड़ता है यह सत्य है परन्तु शिक्षकों को तो वेतन दिया ही जाता है। शिक्षा के क्षेत्र के किसी भी प्रयोग का प्रारम्भ शिक्षकों से ही होना अपेक्षित है । शिक्षक जब तक पढ़ाने के पैसे लेना बन्द नहीं करेगा तब तक शिक्षा अर्थ निरपेक्ष नहीं हो सकती है। अतः हमें शिक्षकों को ही यह बात समझानी होगी। | इस प्रश्न का एक और पहलू भी है। शिक्षा अर्थ निरपेक्ष होने का एक पहलू है पढ़ाने के पैसे नहीं लेना । यह निश्चय तो शिक्षक को करना है। वर्तमान समय में अर्थार्जन ही मुख्य लक्ष्य हो गया हो तब पढ़ाने का पैसा नहीं लेने वाले शिक्षक कहाँ से मिलेंगे ? निःशुल्क शिक्षा के जो भी उदाहरण दिये जाते हैं उनमें छात्रों को शुल्क नहीं देना पड़ता है यह सत्य है परन्तु शिक्षकों को तो वेतन दिया ही जाता है। शिक्षा के क्षेत्र के किसी भी प्रयोग का प्रारम्भ शिक्षकों से ही होना अपेक्षित है । शिक्षक जब तक पढ़ाने के पैसे लेना बन्द नहीं करेगा तब तक शिक्षा अर्थ निरपेक्ष नहीं हो सकती है। अतः हमें शिक्षकों को ही यह बात समझानी होगी। |