ये सभी मुद्दे पर्याप्त शोध और अध्ययन की अपेक्षा रखते हैं। साथ ही यह चिंतन का विषय भी है। ये सभी रखते हैं। साथ ही यह चिंतन का विषय भी है। ये सभी बातें आज के युग में अकल्प्य, अवास्तविक और अव्यावहारिक लग सकती हैं। आज के युग में इस प्रकार की व्यवस्था चलाने का कोई विचार भी नहीं कर सकता। फिर भी हमें यह भूलना नहीं चाहिये कि अभी अभी तक ये सभी व्यवस्थाएँ हमारे देश में मौजूद थीं। इसलिये अर्थनिरपेक्ष, फिर भी (या तो इसीलिये) टिकाऊ और गुणवत्ता से पूर्ण व्यवस्थाओं के विषय में विचार करने की आवश्यकता है। | ये सभी मुद्दे पर्याप्त शोध और अध्ययन की अपेक्षा रखते हैं। साथ ही यह चिंतन का विषय भी है। ये सभी रखते हैं। साथ ही यह चिंतन का विषय भी है। ये सभी बातें आज के युग में अकल्प्य, अवास्तविक और अव्यावहारिक लग सकती हैं। आज के युग में इस प्रकार की व्यवस्था चलाने का कोई विचार भी नहीं कर सकता। फिर भी हमें यह भूलना नहीं चाहिये कि अभी अभी तक ये सभी व्यवस्थाएँ हमारे देश में मौजूद थीं। इसलिये अर्थनिरपेक्ष, फिर भी (या तो इसीलिये) टिकाऊ और गुणवत्ता से पूर्ण व्यवस्थाओं के विषय में विचार करने की आवश्यकता है। |