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| # वाहनव्यवस्था से असुविधा भी हो सकती है क्या ? यदि हां, तो किस प्रकार की ? | | # वाहनव्यवस्था से असुविधा भी हो सकती है क्या ? यदि हां, तो किस प्रकार की ? |
| # वाहन के कारण से क्या क्या समस्यायें निर्माण हो सकती हैं ? | | # वाहन के कारण से क्या क्या समस्यायें निर्माण हो सकती हैं ? |
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| + | ==== प्रश्नावली से प्राप्त उत्तर ==== |
| + | इस प्रश्नावली को भरवाने में गाँधीनगर की विद्याबहन पसारी का सहयोग रहा । दस प्रश्नों की इस प्रश्नावली में प्राचार्य, प्राध्यापक, संस्थाचालक, गृहिणी एवं शिक्षक भी सम्मिलित हुए । उनके उत्तर इस प्रकार थे : |
| + | # छात्र-कर्मचारी, आचार्य आदि सबको लाने के लिए वाहन व्यवस्था आवश्यक है। इस व्यवस्था से पैसे व समय दोनों की बचत होती है । ऐसा सबका मत था । |
| + | # घर से विद्यालय की दरी जितनी कम उतना ही। अच्छा, यह बात तत्त्वतः सबको ही मान्य है। |
| + | # विद्यालय की दूरी को ध्यान में रखकर वाहन का चयन करना चाहिए । साँझा वाहन अच्छा, ऐसा अभिप्राय तीसरे प्रश्न के उत्तर में प्राप्त हुआ। |
| + | # पर्यावरण की हानि न हो, ऐसे वाहनों का ही। उपयोग होना चाहिए। यह उत्तर बहन मीनाक्षी सोमानी तथा पूजा राठीने दिया है। शेष सबने स्कूल बस का ही। पर्याय सुझाया है। |
| + | # दो किमी दूर तक विद्यालय में पैदल ही जाना चाहिए। ऐसा सबका मत था । |
| + | # जो बच्चे कार से विद्यालय आते हैं, उनके प्रति छात्रों एवं आचार्यों में यह धारणा बनती हैं कि वे तो अमीर घर के हैं। जो उचित नहीं है। अतः सभी छात्रों को विद्यालय वाहन से ही आना चाहिए। यह सबका मत था । |
| + | # विद्यालय की वाहन व्यवस्था से निर्माण होने वाली असुविधाएँ एवं समस्याएँ सब जानते हैं। वाहनों के कारण होने वाली दुर्घटनाएँ, वाहन चालकों की लापरवाही, वाहन के खराब हो जाने पर विद्यालय में अनुपस्थिति, एक ही वाहन में अपेक्षा से अधिक संख्या, वाहन के कारण घर से जल्दी आना व देर से घर पहँचना आदि कठिनाइयाँ खड़ी होती हैं। |
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| + | ==== अभिमत : ==== |
| + | सभी उत्तरों को पढने से ऐसा लगा कि हम स्वयं समस्या निर्माण करने वाले हैं और हम ही उनका समर्थन करने वाले हैं। सबसे अच्छी व्यवस्था तो यही है कि जिस आयु का बालक जितनी दूर पैदल जा सकता है, उतनी दूर पर ही उसका विद्यालय होना चाहिए । पैदल जाते समय मित्रों का साथ उन्हें आनन्ददायी लगता है। शारीरिक स्वस्थता एवं स्वावलम्बन दोनों ही सहज में मिलते हैं। आते जाते मार्ग के दृश्य, घटनाएँ बहुत कुछ अनायास ही सिखा देती है। ऐसी अनुकूलता की अनेक बातें छोड़कर हम प्रतिकूल परिस्थिति में जीवन जीते हैं, ऐसा क्यों ? तो ध्यान में आता है कि अपने बालक को केजी से पीजी तक की शिक्षा एक ही अच्छी संस्था में हो वही भेजना ऐसे दुराग्रह रखने से होता है। इसके स्थान पर जो विद्यालय पास में है, उसे ही अच्छा बनाने में सहयोगी होना । ऐसा विचार यदि अभिभावक रखेंगे तो शिक्षा आनन्द दायक व तनावमुक्त होगी। छोटे छोटे गाँवों में बैलगाडी, ऊँटगाडी, घोडागाडी से विद्यालय जाना कितना सुखकर होता था, यह हम भूल गये हैं। इन वाहनों की गति कम होने से दुर्घटना होने की सम्भावना भी कम और मार्ग में निरीक्षण करते जाने का आनन्द अधिक मिलता है। निर्जीव वाहनों में यात्रा करने के स्थान पर जीवित प्राणियों के साथ प्रवास करने से |
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| प्रश्न १ : स्वच्छता का अर्थ लिखते समय तन की स्वच्छता, मन की स्वच्छता, पर्यावरण की स्वच्छता का | | प्रश्न १ : स्वच्छता का अर्थ लिखते समय तन की स्वच्छता, मन की स्वच्छता, पर्यावरण की स्वच्छता का |
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