* स्वच्छता के लिए प्रयोग में ली जाने वाली सामग्री चिन्ता का विषय है। साबुन, डीटेर्जेंट, एसिड, फिनाइल आदि सफाई की जो सामग्री होती है वह कृत्रिम और पर्यावरण का प्रदूषण करने वाली ही होती है। इससे होने वाली सफाई सुन्दर दिखाई देने वाली ही होती है परन्तु इसके पीछे व्यापक अस्वच्छता जन्म लेती है जो प्रदूषण पैदा करती है। ऐसी सुन्दर अस्वच्छता की संकल्पना छात्रों को समझ में आए ऐसा करने की आवश्यकता है। विद्यालय की स्वच्छता छात्रों का सरोकार बने यही शिक्षा है। स्वच्छता अपने आपमें साध्य भी है और छात्रों के विकास का माध्यम भी है । यह व्यावहारिक शिक्षा है, कारीगरी की शिक्षा है, विज्ञान की शिक्षा है, सामाजिक शिक्षा भी है। | * स्वच्छता के लिए प्रयोग में ली जाने वाली सामग्री चिन्ता का विषय है। साबुन, डीटेर्जेंट, एसिड, फिनाइल आदि सफाई की जो सामग्री होती है वह कृत्रिम और पर्यावरण का प्रदूषण करने वाली ही होती है। इससे होने वाली सफाई सुन्दर दिखाई देने वाली ही होती है परन्तु इसके पीछे व्यापक अस्वच्छता जन्म लेती है जो प्रदूषण पैदा करती है। ऐसी सुन्दर अस्वच्छता की संकल्पना छात्रों को समझ में आए ऐसा करने की आवश्यकता है। विद्यालय की स्वच्छता छात्रों का सरोकार बने यही शिक्षा है। स्वच्छता अपने आपमें साध्य भी है और छात्रों के विकास का माध्यम भी है । यह व्यावहारिक शिक्षा है, कारीगरी की शिक्षा है, विज्ञान की शिक्षा है, सामाजिक शिक्षा भी है। |